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नकली नोट मामले में अब मल्टीनेशनल कंपनियों के ब्रोकर निशाने पर

रायपुर के अमलीडीह स्थित एक फ्लैट से 5.60 करोड़ के नकली नोट जब्ती के मामले में अब मल्टीनेशनल कंपनियों के ब्रोकर निशाने पर।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Thu, 06 Dec 2018 11:44 AM (IST)Updated: Thu, 06 Dec 2018 11:44 AM (IST)
नकली नोट मामले में अब मल्टीनेशनल कंपनियों के ब्रोकर निशाने पर
नकली नोट मामले में अब मल्टीनेशनल कंपनियों के ब्रोकर निशाने पर

रायपुर, जेएनएन। रायपुर के अमलीडीह स्थित एक फ्लैट से 5.60 करोड़ के नकली नोट जब्ती के मामले में रोज नई बातें सामने आ रही हैं। पुलिस की तफ्तीश में साफ हुआ है कि जेल भेजे गए दंपती निखिल सिंह, पूनम अग्रवाल ने मल्टीनेशनल कंपनियों के सीएसआर मद की रकम को हथियाने के लिए न केवल कंपनी बल्कि एनजीओ के ब्रोकर्स को झांसे में लेकर उनसे असली नोट लेकर करोड़ों के नकली नोट थमाए हैं। जब तक ब्रोकर्स को नकली नोट होने का पता चला, काफी देर हो चुकी थी।

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पुलिस को आशंका है कि ब्रोकर्स ने दो नंबर के पैसों को एक नंबर (सफेद) करने के चक्कर में नकली नोट बाजार में खपाए हैं। फिलहाल पुलिस ने धमतरी के एक एनजीओ संचालक को निशाने पर लेते हुए उसे पूछताछ के लिए तलब किया है। इधर, मामले की जांच के लिए एनआइए की टीम के रायपुर आने की खबर से खलबली मची हुई है। एनआइए ने पुलिस अफसरों को पत्र लिखकर पूरी डिटेल तलब करने के साथ जल्द ही आने के संकेत दिए हैं। एनआइए को इस केस में अब तक की गई कार्रवाई की पूरी जानकारी बंद लिफाफे में भेज दी गई है। अफसरों ने इसकी पुष्टि की है।

पुलिस के जानकार सूत्रों ने बताया कि रायपुर में पहली बार 5.60 करोड़ के नकली नोट बरामद होने के मामले की जांच क्राइम ब्रांच ने तेज कर दी है। जेल भेजे गए दंपती ने पूछताछ में मल्टीनेशनल कंपनियों और एनजीओ के तीन ब्रोकर्स के नाम बताए हैं। लिहाजा पुलिस ने तीनों को निशाने पर लिया है। दंपती से यह भी पता चला है कि कंपनियों के सीएसआर मद (कार्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी) की लाखों की रकम पाने के लिए उन्होंने नकली नोट छापकर रखे थे।

नोटों की वीडियो रिकार्डिंग एनजीओ के ब्रोकर्स को दिखाकर झांसा देते थे कि उनके पास करोड़ों की रकम है। अगर वे सीएसआर मद की रकम नहीं दिला पाए तो उसके एवज में अपने पास से पैसा देंगे। ठीक इसी तरह मल्टीनेशनल कंपनियों से मिलने वाली रकम का 80 फीसद पैसा एक नंबर में लौटाने का झांसा देते थे। पुलिस को आशंका है कि ब्रोकर्स के माध्यम से दंपती ने लाखों के नकली नोट बाजार में खपाए हैं और बरामद नोटों को भी खपाने की पूरी तैयारी कर ली गई थी।

धमतरी का संस्था संचालक तलब

डीएसपी क्राइम अभिषेक माहेश्वरी ने बताया कि जेल भेजे गए दंपती से पूछताछ में धमतरी के ग्रामीण मैत्री सेवा संस्थान के बारे में जानकारी मिली है। संस्था के संचालक मनोज साहू से पिछले आठ साल में संस्था को प्राप्त फंडिंग और संस्था से संबंधित सारे दस्तावेज मांगे गए हैं। इसके अलावा दो-तीन और ऐसे संस्थाओं से दंपती का संपर्क रहा है। उन संस्थाओं के संचालकों को भी तलब किया जाएगा। उनसे पूछा जाएगा कि कब वे दंपती से मिले और क्या बात हुई। पैसों के लेन-देन के बारे में भी जानकारी लेंगे।

टेरर फंडिंग के सुबूत नहीं

डीएसपी ने नकली नोट मामले में टेरर फंडिंग जैसी बातों को सिरे से खारिज करते हुए बताया कि अब तक की जांच में ऐसा कोई सुबूत नहीं मिला है। यह केवल अफवाह है। जब्त नकली नोटों का सैंपल जांच के लिए नासिक स्थित प्रिंटिंग प्रेस भेज दिया गया है। जांच रिपोर्ट आने के बाद चार्जशीट तैयार बिलासपुर के स्पेशल कोर्ट में पेश किया जाएगा। नकली नोट के केस वहीं पेश किए जाते हैं।

नोटों में दो ही सीरियल नंबर प्रिंट

बरामद नकली नोटों में दो ही सीरियल नंबर दर्ज हैं। पुलिस का दावा है कि दंपती ने दो हजार के दो असली नोटों को स्कैन करने के बाद मोटे कागज में कलर प्रिटिंग मशीन में 25 हजार (5 करोड़) नोटों की छपाई की थी। एक पेपर की शीट में चार नग दो हजार का नोट छपे कुल 750 शीट ( 60 लाख रुपए) जब्त की गई। मूल नोटों की पेंटिंग और सुरक्षा मानकों से भिन्ना पाया गया। नोटों की साइज और कलर भी ध्यान से देखने पर नकली प्रतीत होते हैं।


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