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जानें कैसे, पांच साल में रेलवे बोर्ड की आमदनी नौ करोड़ से बढ़कर हुई नौ अरब रुपये

बेरोजगारों से परीक्षा के नाम पर बोर्ड जो फीस वसूलता है, वो 2013-14 में मात्र नौ करोड़ हुआ करती थी, 2018 तक यही राशि बढ़कर करीब 900 करोड़ तक पहुंच गई।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 14 Jan 2019 10:02 AM (IST)Updated: Mon, 14 Jan 2019 10:08 AM (IST)
जानें कैसे, पांच साल में रेलवे बोर्ड की आमदनी नौ करोड़ से बढ़कर हुई नौ अरब रुपये
जानें कैसे, पांच साल में रेलवे बोर्ड की आमदनी नौ करोड़ से बढ़कर हुई नौ अरब रुपये

भोपाल, धनंजय प्रताप सिंह। रेलवे भर्ती बोर्ड (आरआरबी) की परीक्षाएं भी सरकार की आय का बड़ा जरिया बन चुकी हैं। बेरोजगारों से परीक्षा के नाम पर बोर्ड जो फीस वसूलता है, वो 2013-14 में मात्र नौ करोड़ हुआ करती थी, 2018 तक यही राशि बढ़कर करीब 900 करोड़ तक पहुंच गई। इस आय को बोर्ड ने अमाउंट कलेक्शन कहा है।

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2013 तक अंडर ग्रेजुएट की फीस 40 और ग्रेजुएट की 60 रुपये ली जाती थी, जो 2016 में बढ़ाकर 500 रुपये कर दी गई। इसमें एक शर्त रखी गई कि जो बेरोजगार परीक्षा में शामिल होंगे, उन्हें 400 रुपये वापस किए जाएंगे। जो शामिल नहीं होंगे, उनकी फीस वापस नहीं होगी। सूचना का अधिकार के तहत आवेदन में पहले तो बोर्ड ने जानकारी नहीं दी, फिर अपील करने पर ब्यौरा दिया गया।

एससी-एसटी और महिलाओं से फीस नहीं ली जाती थी
बोर्ड ने परीक्षा फीस में साल दर साल बढ़ोतरी की है। 2015 तक एससी-एसटी और महिला उम्मीदवारों से फीस नहीं ली जाती थी, लेकिन 2018 में इनसे भी 250 और बाकी सभी से 500 रुपये लिए गए। साथ ही ये भी कहा गया था कि जो परीक्षा में सम्मिलित होंगे, उन्हें फीस वापस (सामान्य को 400 एवं बाकियों को 250 रुपये) की जाएगी।

कब और कितनी थी फीस
2000- 2013 में अंडर ग्रेजुएट की फीस 40 और ग्रेजुएट की 60 रुपये थी। 2014 में ग्रेजुएट की फीस बढ़कर 100 रुपये कर दी गई। फिर 2015 में सभी के लिए फीस 100 रुपये कर दी गई। दिलचस्प बात ये है कि 2016 एवं 2017 में फीस निर्धारण के लिए कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया।

कितने आवेदन आए, नहीं बताया
बोर्ड ने आरटीआइ के जवाब में आवेदनों की वर्षवार संख्या का जवाब नहीं दिया। कहा कि 74 लाख उम्मीदवारों में से 34 लाख को 200 और 40 लाख को 500 किमी. के अंदर सेंटर दिए गए।

रिक्तियों की जानकारी भी नहीं दी
आरआरबी से 2010 से 2018 तक निकाली गई सभी रिक्तियों एवं वसूली गई फीस की वर्षवार एवं विज्ञापनवार जानकारी मांगी गई थी, लेकिन 2013 से 2018 तक सिर्फ फीस की जानकारी दी गई। विज्ञापनों एवं रिक्तियों की नहीं। अपील करने पर डीओपीटी के निर्देश पर ये जानकारी दी, बाकी के लिए कहा कि देश में 21 आरआरबी हैं, उनसे आप जानकारी मांग सकते हैं।

क्यों बढ़ाई फीस
रेलवे बोर्ड के डायरेक्टर नीरज कुमार ने फीस बढ़ाने की जो वजह बताई हैं, उसके मुताबिक ऑनलाइन आवेदन के कारण बड़ी संख्या में नॉन सीरियस अभ्यर्थी आवेदन करते हैं। इस कारण बोर्ड का खर्च बढ़ता है। ऐसे में फीस बढ़ाना आवश्यक है। अगर ऐसा नहीं किया जाएगा तो जरूरी खर्चों के लिए पैसा कहां से मिलेगा। लेकिन यह सब तर्कसंगत ढंग से किया जाता है। आरआरबी में ये गड़बड़झाला है।

तभी पूरी जानकारी नहीं दी जा रही है। बोर्ड आवेदकों को फीस भी नहीं लौटा रहा है। ये भी नहीं बता रहा है कि कितने आवेदकों को पैसा वापस दिया।
- डॉ. प्रकाश अग्रवाल,
आरटीआइ एक्टिविस्ट 


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