Bullet Train के रखरखाव और जल संरक्षण के लिए डिपो में होगा जलाशयों का निर्माण
बुलेट ट्रेन के रखरखाव में पानी की जरूरतें पूरी करने के लिए रेलवे उसके तीनों डिपो में बारिश के पानी का संचयन करने के लिए जलाशयों का निर्माण कराएगा।
नई दिल्ली, प्रेट्र। बुलेट ट्रेन (Bullet Train) के रखरखाव में पानी की जरूरतें पूरी करने के लिए रेलवे उसके तीनों डिपो में बारिश के पानी का संचयन (water harvesting) करने के लिए जलाशयों (Reservoirs) का निर्माण कराएगा। बुलेट ट्रेन परियोजना को अमलीजामा पहनाने में जुटी एजेंसी नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (NHSRCL) ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना के तहत रेलवे की गुजरात के साबरमती व सूरत और महाराष्ट्र के ठाणे में डिपो बनाने की योजना है। एनएचएसआरसीएल की प्रवक्ता सुषमा गौर ने बताया, 'डिपो की पानी की जरूरतें डिपो परिसर में ही बनाए गए जलाशयों से पूरी की जाएंगी। इन जलाशयों में बारिश का पानी इकट्ठा किया जाएगा और डिपो में ही स्थापित ट्रीटमेंट प्लांटों में ट्रीट किया जाएगा। जमीन में पानी वापस पहुंचाने के लिए रीचार्ज पिट्स (गड्ढ़ों) का निर्माण भी किया जाएगा।' सामान्यत: 22-24 कोचों वाली एक ट्रेन की साफ-सफाई में करीब 12 से 14 हजार लीटर पानी का इस्तेमाल होता है।
प्रवक्ता ने बताया कि साबरमती में बनने वाला डिपो सबसे बड़ा होगा। यह 80 हेक्टेयर में फैला होगा। वहीं ठाणे में बनने वाला डिपो 60 हेक्टेयर और सूरत में बनने वाला डिपो 44 हेक्टेयर में फैला होगा। उन्होने बताया कि ठाणे और सूरत के डिपो में सीवेज के री-साइकिल और फिर से इस्तेमाल की सुविधा भी होगी। साथ ही इन डिपो में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट भी लगाए जाएंगे।
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