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भारतीय रेलवे ने रच दिया इतिहास, सिर्फ पांच घंटे में बनाए छह अंडरब्रिज

रेलवे वे मानव रहित क्रॉसिंग खत्म करने के लिए पांच घंटे में छह मध्यम ऊंचाई के सब-वे का निर्माण किया है।

By Arti YadavEdited By: Published: Sat, 07 Jul 2018 06:56 AM (IST)Updated: Sat, 07 Jul 2018 10:07 AM (IST)
भारतीय रेलवे ने रच दिया इतिहास, सिर्फ पांच घंटे में बनाए छह अंडरब्रिज
भारतीय रेलवे ने रच दिया इतिहास, सिर्फ पांच घंटे में बनाए छह अंडरब्रिज

प्रेट्र (नई दिल्ली)। मानव रहित क्रॉसिंग्‍स पर होने वाली दुर्घटनाओं से परेशान रेलवे के पूर्व तटीय रेलवे ने एक अनूठा उदाहरण पेश किया है। ओडिशा के संबलपुर मंडल में मानव रहित क्रॉसिंग खत्म करने के लिए पांच घंटे से कम समय में छह मध्यम ऊंचाई के सब-वे (अंडरब्रिज) का निर्माण किया है। अंडरब्रिज बन जाने से संबलपुर मंडल के सभी मानव रहित क्रॉसिंग अब खत्म हो जाएंगे। संबलपुर के मंडल रेल प्रबंधक ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी।

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पूर्व तटीय रेलवे में संबलपुर के मंडल रेल प्रबंधक डॉ. जयदीप गुप्ता ने कहा, 'संबलपुर मंडल में छह सब-वे का काम एक साथ शुरू किया गया। गुरुवार को साढ़े चार घंटे में सभी अंडरब्रिज का काम पूरा कर लिया गया।' छह अंडरब्रिज बन जाने से ओडिशा के कालाहांडी इलाके में भवानीपटना-लांजीगढ़ रोड सेक्शन में सात मानव रहित गेट पूरी तरह बंद कर दिए जाएंगे।

रेलवे में अपनी तरह का पहला प्रयास

मंडल रेल प्रबंधक ने कहा, 'संबलपुर मंडल में छह अंडरब्रिज का निर्माण अपने आप में पहला प्रयास है। यह न केवल पूर्व तटीय रेलवे में, बल्कि भारतीय रेलवे में पहली बार किया गया है।' उन्होंने कहा कि छह अंडरब्रिज के एक साथ निर्माण की राह में कई अड़चन थीं। मानसून की स्थिति भी अनुकूल नहीं थी। यह कदम भारतीय रेल के इतिहास में मील का पत्थर साबित होगा।

300 कामगारों, 12 क्रेन की मदद ली गई

मंडल रेल प्रबंधक गुप्ता के मुताबिक, छह अंडरब्रिज के निर्माण में 300 कामगार, 12 क्रेन और 20 एक्सवेटर्स की मदद ली गई। रेलवे ने अंडरब्रिज बनाने के लिए पहले से बने हुए सात कंक्रीट के बॉक्स नुमा ढांचों का सहारा लिया। ये अंडरब्रिज 4.15 मीटर ऊंचे हैं। कुल 42 ऐसे बॉक्स से सभी अंडरब्रिज बनाए गए हैं।

इस तरह कामगारों ने पूरा किया काम

अंडरब्रिज बनाने के लिए रेलवे के कामगारों ने पहले रेलवे ट्रैक को हटाया। इसके बाद एक्सवेटर्स मशीनों से निर्माण स्थल पर खुदाई की गई। क्रेन से वहां कंक्रीट से बने बॉक्स रखे गए। इसके बाद कामगारों ने फिर उनके ऊपर पटरी बिछा दी।


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