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नए साल में निजी कंपनियों के साथ चार 'वंदे भारत' ट्रेनें चला सकता है रेलवे

रेल बजट में निजी क्षेत्र के सहयोग से 150 ट्रेनें चलाने का भी प्रस्ताव किया गया है। माना जाता है कि ये सभी ट्रेनें वंदे भारत मॉडल पर आधारित होंगी।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 03 Feb 2020 10:05 PM (IST)Updated: Mon, 03 Feb 2020 10:05 PM (IST)
नए साल में निजी कंपनियों के साथ चार 'वंदे भारत' ट्रेनें चला सकता है रेलवे
नए साल में निजी कंपनियों के साथ चार 'वंदे भारत' ट्रेनें चला सकता है रेलवे

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। रेल बजट में रेलवे द्वारा तेजस जैसी कई और ट्रेनें चलाए जाने का वादा किया गया है, लेकिन इनका ब्यौरा नहीं दिया गया है। माना जाता है कि ये ट्रेनें वंदे भारत ट्रेनें हो सकती हैं। इनका संचालन निजी कंपनियों के सहयोग से सीधे रेलवे द्वारा किया जाएगा।

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निजी कंपनियों के साथ 'वंदे भारत' ट्रेनें भी शामिल

रेलवे बोर्ड के एक अधिकारी ने कहा कि तेजस जैसी ट्रेनों से आशय उसी तरह की अन्य पीपीपी मॉडल की ट्रेनों से है, जिनमें वंदे भारत ट्रेनें भी शामिल हैं, जिनका उत्पादन अगले वर्ष जून के बाद प्रारंभ हो जाने की उम्मीद है।

जैसे-जैसे वंदे भारत बनती जाएंगी उनका संचालन होता जाएगा

उम्मीद है कि वर्ष 2020-21 के अंत अर्थात 31 मार्च, 2021 तक तीन-चार वंदे भारत ट्रेनें तैयार हो जाएंगी। यदि ऐसा होता है तो जैसे-जैसे वंदे भारत बनती जाएंगी उनका संचालन होता जाएगा। यदि वंदे भारत के उत्पादन में विलंब हुआ तो तेजस के पैटर्न पर दूसरी रेकें बनाकर उन्हें चलाया जा सकता है।

आइआरसीटीसी की 'तेजस' ट्रेनों की रफ्तार से कंपनियां नहीं हैं संतुष्ट

अधिक किराये के बावजूद कम रफ्तार होने से तेजस ट्रेनों की ऑक्यूपेंसी अपेक्षा के अनुरूप नहीं है। जिसे देखते हुए रेलवे ने इनकी और रेकों का उत्पादन बंद करने का निर्णय लिया है। इनके स्थान पर 160 किलोमीटर तक की तेज रफ्तार पर चल सकने वाली वंदे भारत या गतिमान जैसी सेमी हाईस्पीड ट्रेने चलाई जाएंगी। कम समय व कम खर्च के कारण निजी कंपनियां भी तेजस के बजाय सेमी हाईस्पीड ट्रेनों पर दांव लगाना चाहती हैं।

तेजस से बेहतर रफ्तार वाली ट्रेनें चलाने का प्रस्ताव

कुल मिलाकर वर्ष के दौरान तेजस से बेहतर रफ्तार वाली चार ट्रेनें चलाने का प्रस्ताव है। ये रेलवे द्वारा निजी क्षेत्र के सहयोग से चलाई जाने वाली प्रस्तावित 150 ट्रेनों की लॉट से इतर होंगी। परंतु इनका संचालन आइआरसीटीसी द्वारा तेजस के पैटर्न पर ही किया जाएगा।

रेल बजट में निजी क्षेत्र के सहयोग से 150 ट्रेनें चलाने का प्रस्ताव

उल्लेखनीय है कि रेल बजट में निजी क्षेत्र के सहयोग से 150 ट्रेनें चलाने का भी प्रस्ताव किया गया है। माना जाता है कि ये सभी ट्रेनें वंदे भारत मॉडल पर आधारित होंगी। इसके लिए चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आइसीएफ) ने 44 रेक (2640 डिब्बे) के प्रॉपल्शन सिस्टम के आयात के लिए अंतरराष्ट्रीय निविदाएं आमंत्रित की हैं। इतने डिब्बों से 18 डिब्बों वाली 146 ट्रेने चलाई जा सकती हैं।

मंत्रालय ने पिछले वर्ष ही 150 प्राइवेट ट्रेनें चलाए जाने का ऐलान कर दिया था

रेल मंत्रालय ने पिछले वर्ष ही डेढ़ सौ प्राइवेट (पीपीपी) ट्रेनें चलाए जाने का ऐलान कर दिया था। इसके लिए सौ रूट भी चिन्हित किए जा चुके हैं। इनमें मुंबई-कोलकाता, मुंबई-चेन्नई, मुंबई-गुवाहाटी, नई दिल्ली-बंगलूर, दिल्ली-चेन्नई, कोलकाता-चेन्नई, चेन्नई-जोधपुर के प्रमुख रूट शामिल हैं।

निम्न रूटों पर चलेंगीं निजी ट्रेनें

यही नहीं, दिल्ली-पटना, दिल्ली-इलाहाबाद, दिल्ली-अमृतसर, दिल्ली-चंडीगढ़, दिल्ली-कटरा, दिल्ली गोरखपुर, दिल्ली-छपरा, दिल्ली-भागलपुर को भी शामिल किया गया है। इसके अलावा मुंबई-वाराणसी, मुंबई-पुणे, मुंबई-लखनऊ, मुंबई-नागपुर, नागपुर-पुणे, सिकंदराबाद-विशाखापत्तनम, पटना-बंगलूर, पुणे-पटना, चेन्नई-कोयंबटूर,चेन्नई-सिकंदराबाद, सूरत-वाराणसी तथा भुवनेश्वर-कोलकाता के बीच भी निजी ट्रेनें चलाने का प्रस्ताव है। निजी ट्रेनों के सौ रूटों में 35 रूट दिल्ली को, 26 मुंबई को, 12 कोलकाता को, 11 चेन्नई तथा 8 बंगलूर को कनेक्ट करेंगे।


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