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लॉकडाउन में रेलवे ने राजस्‍थान से ऊंटनी का दूध पहुंचाया महाराष्‍ट्र, बच गई दो साल के बच्‍चे की जान

लॉकडाउन के बीच ट्रेनें बंद हैं मध्‍य रेलवे ने पश्‍चिम रेलवे के सहयोग से आखिरकार 28 घंटे के बीच ऊंटनी के दूध की बेहद जरूरी मांग को भारतीय रेलवे ने संयुक्‍त प्रयास से पूरा कर दिखाया

By Vijay KumarEdited By: Published: Wed, 29 Apr 2020 02:00 PM (IST)Updated: Wed, 29 Apr 2020 02:00 PM (IST)
लॉकडाउन में रेलवे ने राजस्‍थान से ऊंटनी का दूध पहुंचाया महाराष्‍ट्र, बच गई दो साल के बच्‍चे की जान
लॉकडाउन में रेलवे ने राजस्‍थान से ऊंटनी का दूध पहुंचाया महाराष्‍ट्र, बच गई दो साल के बच्‍चे की जान

नई दिल्‍ली, जेएनएन। महाराष्‍ट्र में सिकंदराबाद के दो वर्षीय बच्चे के लिए अनिवार्य औषधि में ऊंटनी के दूध की जरूरत थी, जिसे राजस्‍थान से ही पूरा किया जा सकता था। चूंकि कोरोना संक्रमण के चलते लॉकडाउन के बीच ट्रेनें बंद हैं, लेकिन मध्‍य रेलवे ने इसके लिए पश्‍चिम रेलवे से सहयोग मांगा और आखिरकार 28 घंटे के बीच ऊंटनी के दूध की बेहद जरूरी मांग को भारतीय रेलवे ने संयुक्‍त प्रयास से पूरा कर दिखाया। 

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मध्‍य रेलवे, मुंबई डिवीजन के मुख्य वाणिज्यिक निरीक्षक जितेंद्र मिश्रा ने हमारे सहयोगी अखबार मिडडे को बताया कि 25 अप्रैल को पश्‍चिम रेलवे के फालना (राजस्थान) के नोडल अधिकारी ने हमसे संपर्क किया और कहा कि वह तत्‍काल यहां से अनिवार्य औषधि में प्रयोग होने वाले सामान का एक पार्सल सिकंदराबाद में भेजना चाहते हैं, कृपया उन्‍हें पार्सल ट्रेनों की जानकारी दे दें। 

जितेंद्र मिश्रा ने बताया कि उन्‍होंने पार्सल ट्रेनों का शेडयूल देखा और उन्हें तुरंत सूचित किया कि यदि उनका पार्सल राजस्‍थान से ट्रेन 00902 लुधियाना-बांद्रा टर्मिनस पार्सल ट्रेन से बांद्रा पहुंच सकता है तो इसे 00111 सीएसएमटी-सिकंदराबाद पार्सल ट्रेन से 26 अप्रैल को निधार्रित स्‍थान पर पहुंचा दिया जाएगा। उसके बाद मिश्रा के सहयोग से पार्सल इसी तरह राजस्‍थान से बांद्रा होता हुआ सिकंदराबाद पहुंच गया। पार्सल के खर्चे की गणना कोविड19 पार्सल कार्गो एक्‍सप्रेस ट्रेन से लिए लागू दर पर राजस्‍थान के फालना से बांद्रा टर्मिनल होते हुए सीएसएमटी से सिकंदराबाद तक की दूरी के अनुसार की गई। 

मिश्रा ने आगे बताया कि “हमने मुंबई सेंट्रल (डब्ल्यूआर) नियंत्रण कर्मचारियों और अधिकारियों की मदद से पार्सल को लाइव-ट्रैक किया। जैसे ही पार्सल बांद्रा टर्मिनस पहुंचा तो उसे तुरंत मुंबई CSMT पार्सल कार्यालय में पहुंचाया गया और तुरंत उसे CSMT-सिकंदराबाद पार्सल ट्रेन में लोड किया गया। मिश्रा की भूमिका यही पर खत्‍म नहीं हुई। इसके बाद उन्होंने मुख्य पार्सल पर्यवेक्षक (CPS) और सिकंदराबाद में वाणिज्यिक निरीक्षक को बुलाया और यह सुनिश्चित किया गया कि अगले दिन सुबह जब सिकंदराबाद गाड़ी पहुंचे तो वह महत्वपूर्ण पार्सल महिला तक ही पहुंचे। 

मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी शिवाजी सरकार ने कहा कि पार्सल में ऊंटनी का दूध था, जोकि एक दवा में आवश्‍यक तौर पर प्रयोग होना था। इस दवा पर दो साल के बच्‍चे की जान निर्भर थी। ऊंटनी के दूध का पार्सल रेलवे के सहयोग से राजस्‍थान के फालना से महाराष्‍ट्र के सिकंदराबाद में पहुंच गया था। पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी रविंदर भाकर ने कहा कि पार्सल ट्रेनों पर हम जरूरी वस्‍तुओं के साथ साथ देश के अलग अलग डिवीजन में विशेष टीमों का गठन कर आपात स्‍थिति में हम मदद भी पहुंचा रहे हैं। सिकंदराबाद से पार्सल मंगवाने वालीं मैडम सौम्‍या ने लॉकडाउन के दौरान इतने कम समय में राजस्‍थान से पार्सल लाने पर रेलवे को विशेष तौर पर धन्‍यवाद दिया। 

आपात स्‍थिति में ट्रेन का ठहराव कर बचाई जान

मुंबई डिवीजन के मुख्य वाणिज्यिक निरीक्षक जितेंद्र मिश्रा के हस्‍तक्षेप से स्‍टॉपेज न होने के बावजूद आपात स्‍थिति में ट्रेन का ठहराव कर जान बचाई। हुआ यूं कि चिपलून में एक हृदय रोगी के लिए महत्वपूर्ण दवा विक्रोली से पहुंचाई जानी थी, लेकिन पार्सल ट्रेन का चिपलुन में निर्धारित ठहराव नहीं था। मिश्रा ने बताया कि “हमने विक्रोली में पार्सल एकत्र किया और पनवेल से चिपलुन तक बुक किया और इसे ओखा से एर्नाकुलम पार्सल एक्सप्रेस में डाल दिया। “समस्या यह थी कि चिपलुन में ट्रेन रुकती नहीं थी, मैं फिर कोंकण रेलवे में संबंधित कर्मचारियों के संपर्क में आया और पार्सल छोड़ने के लिए ट्रेन के ठहराव की व्यवस्था करने का अनुरोध किया। पार्सल को तब स्टेशन मास्टर चिपलून को सौंप दिया गया था,


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