कभी लालू ने शुरू की थी रेलवे में कुल्हड़वाली चाय, फिर होगी शुरुआत
राजधानी, शताब्दी जैसी ट्रेनों में खाने को वैकल्पिक किया जाएगा तथा पर्यावरण संरक्षण के लिए एक बार फिर से यात्रियों को कुल्हड़ में चाय पीने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
संजय सिंह, नई दिल्ली। रेलवे की बहुप्रतीक्षित खानपान नीति सोमवार को जारी हो रही है। इसमें एक बार फिर से आइआरसीटीसी को ही ट्रेनों में खानपान की जिम्मेदारी सौंपने का प्रस्ताव है। राजधानी, शताब्दी जैसी ट्रेनों में खाने को वैकल्पिक किया जाएगा तथा पर्यावरण संरक्षण के लिए एक बार फिर से यात्रियों को कुल्हड़ में चाय पीने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
आइआरसीटीसी को कैटरिंग की जिम्मेदारी रेलमंत्री के रूप में नीतीश कुमार ने सौंपी थी। लालू प्रसाद के रेलमंत्री रहने तक यह काम उसके पास था। लेकिन जैसे ही ममता बनर्जी रेलमंत्री बनी उन्होंने 2010 में नई कैटरिंग पालिसी बनाकर आइआरसीटीसी से यह अधिकार छीन दिया और कैटरिंग वापस रेलवे को दे दी।
परंतु अब न केवल आइआरसीटीसी को उसका अधिकार वापस सौंपा जा रहा है, बल्कि लालू के जमाने की कुल्हड़ संस्कृति भी बहाल की जा रही है।
नई नीति के तहत आइआरसीटीसी की तरफ से खाना तैयार करने और वितरित करने के ठेके अलग-अलग दिए जाएंगे। खाना बनाने के ठेके एयरलाइनों की तरह होटल कंपनियों को देने का प्रस्ताव है। जबकि वितरण के ठेके मौजूदा ठेकेदारों को मिलेंगे। अभी एक ही ठेकेदार खाना पकाने और वितरित करने का काम करता है। इससे खाने की गुणवत्ता प्रभावित होती है और ग्राहक शिकायत करते हैं।
दूसरा बड़ा बदलाव ई-कैटरिंग के दायरे में बड़े विस्तार के रूप में दिखाई देगा। अभी केवल 45 बड़े स्टेशनों पर ही ई-कैटरिंग की सुविधा उपलब्ध है। नई पालिसी के तहत इसे ए1 व ए श्रेणी के सभी 408स्टेशनों पर उपलब्ध कराने का प्रस्ताव है। इसमें यात्रियों को स्थानीय स्तर पर प्रचलित व्यंजन उपलब्ध कराए जाएंगे।
यात्रियों को ताजा, शुद्ध व स्वास्थ्यप्रद भोजन मिले, इसके लिए आइआरसीटीसी की ओर से देश भर में 10 अत्याधुनिक व पूर्णत: आटोमैटिक बेस किचन स्थापित किए जाएंगे। ठेकेदारों की मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए पहली बार तीसरे पक्ष से (थर्ड पार्टी) स्वतंत्र ऑडिट कराने की व्यवस्था की गई है।
स्टेशनों के स्टॉल में भी परिवर्तन देखने को मिलेगा। अभी स्टेशनों पर एक स्टाल में एक ही तरह की सामग्री मिलती है। नई नीति में स्टाल को बहुउद्देश्यीय बनाने का प्रस्ताव है। यानी वहां दूध, दवाओं समेत कई तरह का सामान उपलब्ध होगा। कमजोर वर्गो के लिए आरक्षित विभिन्न कोटों के तहत 33 फीसद स्टाल महिलाओं केलिए आरक्षित होंगे। स्टाल आवंटन में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी।