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बंद होगी रेल किराये पर राजनीति

तो क्या अगली सरकार के लिए रेल किराये पर राजनीति करना मुश्किल हो जाएगा? रेल मंत्री की घोषणा के मुताबिक रेल टैरिफ अथॉरिटी (आरटीए) का जल्द गठित हो जाती है और उसकी सिफारिशों को माना जाता है तो आने वाले दिनों में रेल किराये पर कोई राजनीति नहीं हो पाएगी। प्रस्तावित टैरिफ अथॉरिटी रेल किराया और माल

By Edited By: Published: Thu, 13 Feb 2014 08:56 AM (IST)Updated: Thu, 13 Feb 2014 09:08 AM (IST)
बंद होगी रेल किराये पर राजनीति

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। तो क्या अगली सरकार के लिए रेल किराये पर राजनीति करना मुश्किल हो जाएगा? रेल मंत्री की घोषणा के मुताबिक रेल टैरिफ अथॉरिटी (आरटीए) का जल्द गठित हो जाती है और उसकी सिफारिशों को माना जाता है तो आने वाले दिनों में रेल किराये पर कोई राजनीति नहीं हो पाएगी। प्रस्तावित टैरिफ अथॉरिटी रेल किराया और माल भाड़ा तय करेगी। शुरुआत में इससे देश भर में रेल किराये में वृद्धि हो सकती है।

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अंतरिम रेल बजट पेश करते हुए खड़गे ने कहा, 'एक स्वतंत्र रेल टैरिफ अथॉरिटी की स्थापना की जा रही है जो सरकार को किराया और मालभाड़ा तय करने के संबंध में सलाह देगा। अब दरों का निर्धारण पर्दे के पीछे नहीं होगा। यह प्राधिकरण पारदर्शी तरीके से सभी लोगों से विचार-विमर्श कर नई कीमत निर्धारण करने का व्यवस्था स्थापित करेगा। इससे किराया और मालभाड़ा अनुपात को युक्तिसंगत बनाया जाएगा ताकि क्रॉस सब्सिडी को कम किया जा सके।' उन्होंने उम्मीद जताई है कि इससे रेलवे की वित्तीय स्थिति को सुधारने में काफी मदद मिलेगी और देश की अपेक्षाओं को ज्यादा बेहतर तरीके से पूरा किया जा सकेगा। मौजूदा व्यवस्था के तहत रेल किराया या मालभाड़ा बढ़ाने का कोई तय फार्मूला नहीं है। राजनीतिक दल रेल किराये बढ़ाने को बेहद अलोकप्रिय कदम मानते हैं। इस वजह से तृणमूल कांग्रेस के कोटे से रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी को अपने पद से हाथ धोना पड़ा था। पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने रेलवे में तमाम सुधार किए लेकिन अपने पूरे कार्यकाल में एक बार भी रेल किराया नहीं बढ़ाया। आम चुनाव या राज्यों के चुनावों से पहले तो रेल किराया बिल्कुल नहीं बढ़ाया जाता है। इसके उलट माल भाड़े में मनमाने तरीके से वृद्धि की जाती रही है। यह एक परंपरा के तौर पर स्थापित रहा है कि रेल किराया नहीं बढ़ाया जाए और घाटे को पूरा करने के लिए माल भाड़े पर बोझ डाला जाए। जानकारों के मुताबिक नई व्यवस्था के तहत साल में दो से लेकर चार बार किराये और माल भाड़े में संशोधन हो सकता है। किराया व मालभाड़ा तय करने का जो भी फार्मूला बने, उससे शुरुआत में रेल किराये में वृद्धि तय मानी जा रही है।

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शायरी से भी नहीं चूके

कर्नाटक निवासी और हिंदीभाषी न होने के बावजूद मल्लिकार्जुन खड़गे पूर्ववर्ती रेल मंत्रियों की तरह शेरो-शायरी से नहीं चूके। उन्होंने अपना भाषण तो अंग्रेजी में दिया मगर इसकी शुरुआत इस शायरी से की।

'सादिक हूं अपने कौल में गालिब खुदा गवाह।

लिखता हूं सच कि झूठ की आदत नहीं मुझे।'

सीके जाफर शरीफ के बाद खड़गे दक्षिण भारत के पहले रेल मंत्री हैं। उनसे पहले के लगभग सभी रेल मंत्री अपने बजट भाषणों में शायरी को शामिल करते रहे हैं। हालांकि खड़गे ठीक हिंदी बोल लेते हैं। अंतरिम बजट होने के चलते भाषण छोटा था। इसलिए इसमें शायरी की संख्या भी मात्र दो ही थी। दूसरी शायरी उन्होंने रेल टैरिफ प्राधिकरण का गठन करने के एलान के साथ दागी।

'कभी चिलमन से वो झांकें

कभी चिलमन से हम झांकें

लगा दो आग चिलमन में

न वो झांकें, न हम झांकें'

इसके साथ ही उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार से यह भी कहा, 'मैडम, हमने चिलमन में आग लगा दी।'

हकीकत से मुंह नहीं मोड़ सकते: खड़गे

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। चुनाव सिर पर होने के बावजूद रेल बजट में किराये न घटाने को युक्तिसंगत बताते हुए रेल मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि मैं हकीकत से मुंह नहीं मोड़ सकता। मैं चाहता हूं कि रेल चलती रहे और इस देश के आम आदमी की सेवा करती रहे। इस मामले में किसी से मुकाबला करने का मेरा कोई इरादा नहीं है।

उनका इशारा लालू प्रसाद व ममता बनर्जी जैसे पूर्व रेल मंत्रियों की तरफ था जिन्होंने हमेशा किराया बढ़ाने से गुरेज किया। खासकर लालू यादव ने 2009 के अंतरिम रेल बजट में भी किरायों में दो फीसद की कमी की थी। जबकि खड़गे ने अपने अंतरिम रेल बजट में किराये-भाड़े को छुआ ही नहीं है। उन्होंने बजट को विकास वाला बताते हुए कहा कि अंतरिम बजट में जितना संभव था हमने किया। वर्तमान परिस्थितियों जितने भी संसाधन संभव थे उतने जुटाने का प्रयास किया है।

प्रीमियम ट्रेनों के बारे में उन्होंने कहा कि ये ट्रेनें 'जयहिंद एक्सप्रेस' नाम से चलाई जाएंगी। इन्हें इसलिए चलाया जा रहा है क्योंकि राजस्व अर्जित करने के लिए कोई न कोई उपाय जरूरी था। बिना कमाई के हम यात्रियों को सहूलियत नहीं दे सकते। प्रीमियम ट्रेनों से जो अतिरिक्त कमाई होगी उसका इस्तेमाल बाकी ट्रेनों को चलाने में किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ऊधमपुर-कटड़ा लाइन चालू होने से कश्मीर से कन्याकुमारी को जोड़ने का सपना साकार हो जाएगा।


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