Indian Railways: यूपी और बिहार के रेलवे स्टेशनों की स्वच्छता रैंकिंग में बड़ा उलटफेर, जानें पूरी कहानी
उत्तर प्रदेश के ज्यादातर रेलवे स्टेशन स्वच्छता रैंकिंग में अभी भी खराब प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं जबकि बिहार के स्टेशनों में किस वजह से आश्चर्यजनक सुधार हुआ है।
संजय सिंह, नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के ज्यादातर रेलवे स्टेशन स्वच्छता रैंकिंग में अभी भी खराब प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं, जबकि बिहार के स्टेशनों में किस वजह से आश्चर्यजनक सुधार हुआ है। ये ऐसे सवाल हैं जिन्हें लेकर रेलवे के कई जोन मंथन कर रहे हैं। इनकी समझ में नहीं आ रहा कि पहले से बेहतर काम करने के बावजूद 2019 की स्वच्छता रैंकिंग में उनके स्टेशन पिछड़ क्यों गए हैं। किसी को इसका कारण सर्वे का नया तरीका लगता है तो कोई इसके लिए समय और परिस्थितियों को दोषी ठहरा रहा है। लेकिन रेलवे बोर्ड का कहना है कि सर्वे की प्रक्रिया एकदम पारदर्शी है और सभी को इसके विषय में पहले से पता था।
इस बार का सर्वे है थोड़ा अलग
रेलवे बोर्ड के अधिकारियों के मुताबिक पिछले दो सर्वेक्षणों से इस बार का सर्वे इस मामले में थोड़ा अलग है कि इसमें यात्रियों के फीडबैक को पहले से ज्यादा महत्व दिया गया है। इस कारण जिन स्टेशनों को पिछले दो सर्वे में बहुत नीची रैंकिंग मिली थी, उन्हें यात्रियों ने भरपूर नंबर देकर रैंकिंग में उछाल दिया। जबकि जो स्टेशन पहले से साफ सुथरे थे, उनमें अधिकारियों की थोड़ी सी भी लापरवाही यात्रियों को नागवार गुजरी और उन्होंने उन्हें नीचे गिरा दिया।
बिहार के रेलवे स्टेशनों की रैंकिंग में काफी अधिक सुधार
उदाहरण के लिए बिहार के स्टेशनों की रैंकिंग में इस बार काफी अधिक सुधार हुआ है। पिछले सर्वे के बाद यहां अधिकारियों ने स्वच्छता पर थोड़ा ध्यान दिया है। यह बात यात्रियों को पसंद आई और उन्होंने फीडबैक के जरिये इसका इजहार किया है। उन्होंने कुछ स्टेशनों को 99 फीसद तक अंक दिए हैं। इससे इनका कुल स्कोर यकायक काफी बढ़ गया। अब सासाराम को ही लें, इसका कुल स्कोर पिछली बार 419.26 था, जबकि इस बार 692.39 हो गया है। इसी तरह बापूधाम मोतीहारी का 652.45 से 879.63 और अनुग्रह नारायण रोड का स्कोर 583.18 से बढ़कर 796.88 पर पहुंच गया है।
यूपी के रेलवे स्टेशन स्वच्छता रैंकिंग में काफी नीचे
ये सभी स्टेशन एनएसजी श्रेणी के उन टॉप-10 स्टेशनों में शामिल हैं जिनके स्वच्छता स्तर में सर्वाधिक सुधार हुआ है। इसी कारण उत्तर प्रदेश के फफूंद जैसे स्टेशन टॉप-10 में जगह पाने में कामयाब रहे। जबकि आगरा, वाराणसी, प्रयाग और मडुआडीह जैसे स्टेशन रैंकिंग में नीचे चले गए हैं। हालांकि उत्तर प्रदेश में लोगों की पान और गुटखा खाकर थूकने की आदत के कारण यहां के ज्यादातर स्टेशन अभी भी स्वच्छता रैंकिंग में काफी नीचे बने हुए हैं। वैश्विक स्तर पर पर्यटन के लिए प्रसिद्ध ताजनगरी के आगरा फोर्ट स्टेशन को 503वां, कृष्ण नगरी मथुरा को 508वां, भारत के मैनचेस्टर कहे जाने वाले कानपुर के अनवरगंज स्टेशन को 566वां और इलाहाबाद के छ्योकी स्टेशन को 582वां स्थान मिलना इसका प्रमाण है।
समय और स्थितियों से भी रैंकिंग पर असर
रेलवे बोर्ड में स्वच्छता सर्वे की मॉनीटरिंग से जुड़े एक अधिकारी ने कहा, 'स्वच्छता सर्वे में कई कारक काम करते हैं। सर्वे का समय और स्थितियों से भी रैंकिंग पर असर पड़ता है। उदाहरण के लिए इस बार का सर्वे 6-15 सितंबर की अवधि में किया गया। इस दौरान कई स्थानों पर बारिश हो रही थी, जबकि कई शहर धार्मिक आयोजन की गिरफ्त में थे। मध्य प्रदेश में भारी बारिश और जलभराव ने अनेक स्टेशनों की रैंकिंग खराब कर दी। जबकि मुंबई को गणेशोत्सव के कारण नुकसान हुआ। दूसरी ओर अनुच्छेद 370 हटाए जाने से जम्मू को फायदा हुआ, क्योंकि इससे वहां यात्रियों की संख्या काफी कम हो गई थी और कचरा नहीं फैलने से स्टेशन ज्यादा साफ था।'