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विशेषाधिकार हनन के नोटिस का मामला पकड़ेगा तूल

सदन में सहमति के बाद कुछ घंटे के भीतर ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अरुण जेटली के नाम को तोड़ मरोड़कर गंभीर आरोप वाला ट्वीट कर दिया।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Sun, 31 Dec 2017 11:01 PM (IST)Updated: Sun, 31 Dec 2017 11:01 PM (IST)
विशेषाधिकार हनन के नोटिस का मामला पकड़ेगा तूल
विशेषाधिकार हनन के नोटिस का मामला पकड़ेगा तूल

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राज्यसभा के नेता अरुण जेटली का नाम बिगाड़कर अपमानित करना राहुल गांधी पर भारी पड़ सकता है। भाजपा इस मामले को तूल पकड़ाने की तैयारी में है। संसदीय परंपराओं व नियमों का हवाला देकर पार्टी राहुल गांधी के खिलाफ राज्यसभा में दिये गये अपने विशेषाधिकार हनन के नोटिस को लोकसभा भेजने की मांग कर सकती है।

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राहुल लोकसभा के सदस्य हैं, उसके बाद उन्हें विशेषाधिकार हनन का नोटिस जारी करना आसान हो जाएगा। भाजपा के विशेषाधिकार नोटिस पर राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने उसी दिन विचार करने का कह दिया था। लेकिन अभी तक उस पर कोई फैसला नहीं किया जा सका है। सूत्रों का कहना है कि वर्ष 1954 में भी ऐसे ही एक मामले में विशेषाधिकार हनन के नोटिस को एक सदन से दूसरे सदन में ट्रांसफर किया गया था। उसी की तर्ज पर राहुल के खिलाफ दिये गये नोटिस को राज्यसभा से लोकसभा में ट्रांसफर किया जा सकता है।

दरअसल, राहुल गांधी लोकसभा के सदस्य हैं, जिन्हें नियमानुसार राज्यसभा से नोटिस जारी नहीं किया जा सकता है। गुजरात चुनाव में प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मनमोहन सिंह पर पाकिस्तान के अधिकारियों के साथ 'गुप्त बैठक' करने जैसा आरोप लगाया था। इसे लेकर कांग्रेस ने संसद में गतिरोध पैदा हो गया था। सदन की कार्यवाही एक सप्ताह तक बाधित रही। इसे सुलझाने के लिए राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद और सदन के नेता अरुण जेटली के बीच सहमति के बाद कार्यवाही सुचारु हो सकी थी।

सदन में सहमति के बाद कुछ घंटे के भीतर ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अरुण जेटली के नाम को तोड़ मरोड़कर गंभीर आरोप वाला ट्वीट कर दिया। इससे नाराज भाजपा ने दूसरे दिन राज्यसभा में राहुल के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया, जिसे सभापति ने विचार के लिए मंजूर कर लिया था।

भाजपा इस मसले को तूल पकड़ाकर कांग्रेस अध्यक्ष को कठघरे में खड़ा करना चाहती है। इसके लिए राज्यसभा में दिये गये नोटिस को लोकसभा स्पीकर के पास भेजने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए संसदीय नियम कानून व परंपराओं को खंगाल लिया गया है।

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