संसद में राहुल की नारेबाजी, वेल में उतरे
आमतौर पर संसद में पीछे की सीटों पर दिखने वाले कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी बुधवार को लोकसभा में तीखे तेवरों में नजर आए। अपने नेतृत्व को लेकर सवालों में घिरे राहुल पहली बार वेल (लोकसभा आसन के समक्ष) में पहुंच गए। इस दौरान राहुल 'तानाशाही नहीं चलेगी' जैसे नारे लगाते देखे गए तो सोनिया गांधी लगातार उनकी हौसला अफजाई करती दिखीं। उत्साहित राहुल ने बाहर आकर लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन पर पक्षपात का आरोप भी जड़ दिया।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आमतौर पर संसद में पीछे की सीटों पर दिखने वाले कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी बुधवार को लोकसभा में तीखे तेवरों में नजर आए। अपने नेतृत्व को लेकर सवालों में घिरे राहुल पहली बार वेल (लोकसभा आसन के समक्ष) में पहुंच गए। इस दौरान राहुल 'तानाशाही नहीं चलेगी' जैसे नारे लगाते देखे गए तो सोनिया गांधी लगातार उनकी हौसला अफजाई करती दिखीं। उत्साहित राहुल ने बाहर आकर लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन पर पक्षपात का आरोप भी जड़ दिया।
बुधवार को लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष के सांसदों ने प्रश्नकाल स्थगित कर उत्तर प्रदेश सहित देश में हो रहे सांप्रदायिक दंगों पर चर्चा की मांग की। लेकिन लोकसभा अध्यक्ष ने नियमों का हवाला देकर उनकी मांग ठुकरा दी। इसके बाद राहुल के नेतृत्व में कांग्रेस सांसदों ने जमकर हंगामा काटा। सदन में हंगामे के दौरान प्रधानमंत्री भी मौजूद थे।
राहुल के नेतृत्व में कांग्रेस सांसद ने लोकसभा अध्यक्ष की सीट के पास जाकर नारेबाजी शुरू कर दी, ऐसे में लोकसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। इस बीच, राहुल ने इस मामले में स्पीकर पर पक्षपात का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि हमें बोलने नहीं दिया जा रहा है। राहुल ने पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधा हमला करते हुए कहा कि देश में सिर्फ एक व्यक्ति की ही बात सुनी जा रही है, और किसी को बोलने का अधिकार नहीं है।
इस दौरान सोनिया बार-बार राहुल को पास बुला कर निर्देश देती दिखीं। सोनिया ने विपक्ष में एकता बनाने के लिए पार्टी के मुख्य सचेतक ज्योतिरादित्य सिंधिया को तृणमूल नेता दिनेश त्रिवेदी के पास भी भेजा, लेकिन वहां बात नहीं बनी। इस बीच, कांग्रेस सदस्यों का हंगामा जारी रहा। 10 मिनट के स्थगन के बाद जब सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई तो एक बार फिर राहुल के नेतृत्व में पार्टी के युवा सांसद एक बार फिर 'वेल' में जाकर नारेबाजी करने लगे। कांग्रेस के साथ राजद, सपा, आप व आरएसपी के सांसद भी नारेबाजी करते देखे गए।
इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ने सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को नियम के तहत अपनी बात रखने के लिए कहा, लेकिन खड़गे के यह कहने पर कि इस सरकार के आने के बाद अचानक सांप्रदायिक दंगों में हुई बढ़ोतरी का क्या कारण है, एक बार फिर जर्बदस्त हंगामा खड़ा हो गया। राकांपा नेता तारिक अनवर ने भी खड़गे का समर्थन किया। संसदीय कार्यमंत्री वेंकैया नायडू ने खड़गे के बयान को दुर्भाग्यपूर्ण बाते हुए इसका कड़ा प्रतिवाद किया। उन्होंने कहा कि देश में शांति है। कहीं सांप्रदायिक तनाव नहीं है। जनता सुखी है। सिर्फ कुछ लोग दुखी हैं। नायडू ने सरकार के बहस से हटने के आरोपों से भी इन्कार किया। इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ने कांग्रेस से बहस के लिए नोटिस देने की बात कही।
जिस पर सोनिया सहित सारे कांग्रेसियों ने यह तर्क देते हुए कि पार्टी ने इसको लेकर दो अर्जियां पहले ही दे रखी हैं और इस मामले पर लोकसभा अध्यक्ष को बताया भी जा चुका है। लेकिन सुमित्रा महाजन के नियमों के तहत नोटिस देने के लिए कहते ही सोनिया के इशारे पर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने नोटिस ड्राफ्ट कर लोकसभा अध्यक्ष को दिया। सूत्रों के मुताबिक, सरकार इस विषय पर शुक्रवार को चर्चा करा सकती है।
''हमें संसद में बोलने नहीं दिया जा रहा है। संसद में ऐसी भावना है कि देश में किसी बात पर केवल एक व्यक्ति की बात मायने रखती है। यह पूरी तरह से एकतरफा और पक्षपातपूर्ण है।''
-राहुल गांधी, कांग्रेस उपाध्यक्ष
''मैंने नियमों के तहत काम किया है। रिकार्ड देखकर कोई भी यह समझ सकता है कि मैंने सभी दलों के सदस्यों को सवाल पूछने की अनुमति दी। इसके बावजूद यदि कोई आरोप लगाता है तो मैं कुछ नहीं कर सकती।''
-सुमित्रा महाजन, लोकसभा अध्यक्ष
'मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहता, लेकिन कांग्रेस जिस तरह का बर्ताव लोकसभा में कर रही है, उससे मैं आहत हूं।'
-वेंकैया नायडू, संसदीय कार्यमंत्री
''राहुल गांधी को भी अन्य सांसदों की तरह किसी मुद्दे पर अपने गुस्से का इजहार करने का हक है।''
-गुलाम नबी आजाद, राज्य सभा में विपक्ष के नेता
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