मैं भी मारा जा सकता हूं: राहुल
राजस्थान विधानसभा के चुनाव प्रचार के दौरान भी कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भावनाओं को उभारने की कोशिश की। जनसभा संबोधित करते हुए राहुल ने अपनी दादी इंदिरा गांधी और पिता राजीव गांधी की हत्याओं का जिक्र करते हुए अपने ऊपर भी खतरा होने की बात कही। इससे पहले मध्य प्रदेश की चुनावी सभा में राहुल ने अपनी मां सोनिया गांधी की बीमारी को भावनात्मक अंदाज में लोगों के समक्ष रखा था।
चुरू [जागरण न्यूज नेटवर्क]। राजस्थान विधानसभा के चुनाव प्रचार के दौरान भी कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भावनाओं को उभारने की कोशिश की। जनसभा संबोधित करते हुए राहुल ने अपनी दादी इंदिरा गांधी और पिता राजीव गांधी की हत्याओं का जिक्र करते हुए अपने ऊपर भी खतरा होने की बात कही। इससे पहले मध्य प्रदेश की चुनावी सभा में राहुल ने अपनी मां सोनिया गांधी की बीमारी को भावनात्मक अंदाज में लोगों के समक्ष रखा था।
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कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि वह भाजपा की राजनीति के तरीके से नफरत करते हैं। भाजपा की राजनीति सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काती है-जिससे हिंसा होती है और तमाम बेकसूर लोग मारे जाते हैं-देश को नुकसान होता है। मुजफ्फरनगर में हाल में हुए दंगे का जिक्र करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि जब वह वहां गए और पीड़ितों से मिले-उनकी आपबीती सुनी तो ऐसे लगा कि जैसे वह अपनी जुबान से मेरी बात बोल रहे हैं। वे मेरे दिल की बात कह रहे थे। भाजपा ने मुजफ्फरनगर को आग में झोंका, गुजरात में आग लगाई, उत्तर प्रदेश जलने को तैयार है, कश्मीर में भी ऐसी ही कोशिश है और उसके बाद राजस्थान की बारी है। राहुल ने कहा, घृणा फैलाने वाली राजनीति से गुस्सा और बदला लेने की भावना पैदा होती है जिसमें तमाम बहुमूल्य जानें जाती हैं। भाजपा अपने राजनीतिक फायदे के लिए लोगों का नुकसान करती है, इसलिए वह उसके खिलाफ हैं।
जनसभा में बार-बार नारेबाजी करते युवाओं ने उन्मुख राहुल गांधी ने वादा किया कि जल्द ही राजनीति से भी कोटा सिस्टम खत्म किया जाएगा। यह वैसे ही होगा जैसे कि उनके पिता राजीव गांधी ने टेलीफोन वितरण में कोटा और आरक्षण खत्म किया था। उन्होंने कहा कि हमारी राजनीतिक व्यवस्था दोषपूर्ण है। चार प्रमुख दलों-कांग्रेस, भाजपा, सपा और बसपा को बमुश्किल तीन सौ से चार सौ लोग चलाते हैं। लेकिन वह चाहते हैं कि इन दलों को कई लाख लोग चलाएं। यह बदलाव वह आने वाले दस सालों में करना चाहते हैं। राजीव गांधी के टेलीफोन मिलने की व्यवस्था बदलने का नतीजा यह है कि आज हर हाथ में मोबाइल है। इसी प्रकार से राजनीतिक व्यवस्था बदलने पर सत्ता की ताकत आम आदमी की जेब में होगी। 2014 के लिए लड़ाई शुरू हो चुकी है। मेरा उद्देश्य चुनाव जीतना नहीं बल्कि राष्ट्र निर्माण की सोच को तैयार करना है। संप्रग सरकार ने जो नीतियां चलाई हैं उनका नतीजा यह होगा कि भविष्य में भारत ही नहीं बल्कि विदेशी लोगों के लिए भी अपने देश में नौकरियां उपलब्ध होंगी।
कृष्णा पूनिया कांग्रेस में शामिलओलंपियन और राष्ट्रमंडल खेल-2010 में डिस्कस थ्रो में स्वर्ण पदक विजेता खिलाड़ी कृष्णा पूनिया ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है। पूनिया ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की चुरू में रैली के दौरान कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की।
'मेरी दादी की हत्या की गई थी, मेरे पिता को भी मारा गया और मैं भी एक दिन मारा जा सकता हूं। मुझे इसकी परवाह नहीं। मैं जो कहता हूं-दिल से कहता हूं।'
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