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दूसरे कार्यकाल के लिए तैयार थे आरबीआई गर्वनर रघुराम राजन, लेकिन...

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर रघुराम राजन ने अपने ऊपर किए गए हमले को घटिया करार दिया।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Wed, 10 Aug 2016 06:27 PM (IST)Updated: Wed, 10 Aug 2016 09:05 PM (IST)
दूसरे कार्यकाल के लिए तैयार थे आरबीआई गर्वनर रघुराम राजन, लेकिन...

नई दिल्ली, प्रेट्र। अपने ऊपर हो रहे राजनीतिक हमले को घटिया करार देते हुए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर रघुराम राजन ने बुधवार को कहा कि उन्हें इस बात की छूट थी कि बैंकों के अधूरे कामों को पूरा करने के लिए अपने पद पर और कुछ समय के लिए रुक सकते थे। लेकिन, वह पद से रिटायर होने में ही खुश हैं।

राजन का तीन साल का कार्यकाल अगले महीने पूरा होने जा रहा है लेकिन उन्होंने जून के महीने में यह फैसला किया था कि वह दूसरा कार्यकाल नहीं लेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार के साथ उनकी बातचीत उस स्टेज तक नहीं पहुंच सकी जहां पर वह अगले कार्यकाल के लिए राजी होते।

उन्होंने कहा कि वह कभी भी दोबारा नियुक्ति या इस सरकार में अपने भविष्य को लेकर चिंतित नहीं रहे और एक बेहतर खिलाड़ी की तरह देश के हितों के लिए काम किया। उन्होंने एक टेलीविजन चैनल के साथ बातचीत में कहा कि हाल में कुछ ऐसे हमले हुए जो घृणास्पद थे और वो सभी इल्जाम कुछ मकसद से लगाए गए थे। लेकिन, वह सारे आरोप बिना किसी आधार के लगाए गए थे। राजन ने कहा कि इसी वजह से वह ऐसे आरोप लगानेवालों पर ध्यान नहीं देते हैं।

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नहीं थी मेरी मोटी चमड़ी

राजन ने चार सितंबर को कार्यकाल पूरा होने के बाद वापस अध्यापन में जाने की योजना बनाई है। उन्होंने कहा कि अगर यूनीवर्सिटी में अध्यापन के दौरान उनकी चमड़ी मोटी हो जाती तो उन्हें हाल के हमले घिनौने नहीं लगते। हाल में हुए कुछ हमले बहुत गलत थे। ये हमले छवि बिगाड़ने के लिए लगाये गये थे। उनके पीछे कोई आधार नहीं था।

राजन को आरबीआइ गवर्नर के तौर पर तीन साल का कार्यकाल पूरा होने से पहले भाजपा के सांसद सुब्रमण्यम स्वामी से व्यक्तिगत हमले झेलने पड़े थे। स्वामी ने कहा था कि भारतीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) के चीफ इकोनॉमिस्ट राजन को मानसिक रूप से पूर्ण भारतीय नहीं हैं। यह भी आरोप लगाया कि राजन ने गोपनीय और संवेदनशील वित्तीय जानकारी विदेश भेजी।

बैलेंस शीट दुरुस्त नहीं कर पाये

आरबीआइ गवर्नर ने कहा कि लोग उनसे दूसरे कार्यकाल के लिए उनकी इच्छा के बारे में पूछते हैं। हालांकि उन्होंने आरबीआइ में अपने कदम तीन साल का समय मानकर ही उठाये थे, फिर भी सार्वजनिक बैंकों की बैलेंस शीट दुरुस्त करने और मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का ढांचा बनाने के ऐसे काम हैं जो अधूरे रह गये हैं।

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उन्होंने आगे बताया कि इसका मतलब ये नहीं कि मैं दूसरा कार्यकाल लेने पर तुला हुआ था। लेकिन, इन कामों को पूरा करने के लिए कुछ समय तक और रुक सकता था। हालांकि, मैं आरबीआई के गवर्नर पद से जाने में भी खुश हूं।

काम में मिली पूरी आजादी

राजन ने कहा कि उन्होंने कार्यकाल के दौरान जो काम हाथ में लिया था, 90-95 फीसद काम पूरा हो चुका है। उन्हें अपने काम में पूरी तरह आजादी मिली। भविष्य की योजना के बारे में उन्होंने कहा कि वह बार-बार कहते रहे हैं कि वह मूल रूप से शिक्षाविद हैं।


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