Race Of 2047: विकसित देश बनने के लिए मैराथन दौड़ लगानी होगी, सभी के विकास का रखना होगा ध्यान
औद्योगिक संगठनों का कहना है कि विकसित राष्ट्रों की श्रेणी में शामिल होने के लिए 25 सालों तक सात प्रतिशत की विकास दर हासिल करनी होगी। भूमि सुधार बाजार और वित्तीय सुधार कार्यक्रम के साथ निजी सेक्टर की सहभागिता सहित कृषि निर्यात में बढ़ोतरी के उपाय करने होंगे।
राजीव कुमार, नई दिल्ली : पिछले एक दशक के दौरान देश ने तेज गति से दौड़ना सीख तो लिया है, लेकिन अगर उसे अगले 25 वर्षों से पहले ही सही मायने में विकसित देशों की कतार में खड़े होना है तो यह गति बरकरार रखनी होगी। आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि वर्ष 2047 तक विकसित देश बनने की भारत में पूरी क्षमता है, लेकिन इस बड़े लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारत को मैराथन की तरह लगातार दौड़ते रहना होगा। वहीं भारत को स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी सामाजिक सुरक्षा के दायरे को बढ़ाने के साथ पिरामिड में सभी के विकास का ध्यान रखना होगा, जिससे निम्न आय वर्ग के लोगों के पास भी देश में सृजित होने वाले धन का हिस्सा पहुंच सके। इसके अलावा सरकार को भूमि सुधार, बाजार और वित्तीय सुधार कार्यक्रम के साथ निजी सेक्टर की सहभागिता, कृषि निर्यात में बढ़ोतरी के लिए उपाय करने होंगे। औद्योगिक संगठनों का मानना है कि अगले 25 साल तक सात प्रतिशत की टिकाऊ विकास दर रहने पर भारत विकसित देशों की श्रेणी में खड़ा हो सकता है।
एचडीसी में भारत की स्थिति मजबूत हुई
आर्थिक विशेषज्ञों के मुताबिक पिछले सदी के नौवें दशक की शुरुआत में भारत की अर्थव्यवस्था सिर्फ 300 अरब डालर की थी, जो अभी तीन लाख करोड़ डालर से अधिक है। यूएनडीपी की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 1990 से लेकर वर्ष 2019 के बीच भारत के ह्यूमन डेवलपमेंट क्लासिफिकेशन (एचडीसी) में भारत की स्थिति काफी मजबूत हुई है। वर्ष 1990 में भारत का एचडीसी वैल्यू 0.429 था जो वर्ष 2019 में बढ़कर 0.645 हो गया। इस अवधि में औसत उम्र में 11.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई तो स्कूल में कुल समय बिताने की अवधि में 4.5 वर्ष का इजाफा देखा गया। यूएनडीपी की रिपोर्ट के मुताबिक सबसे बड़ी बात है कि वर्ष 1990 से लेकर वर्ष 2019 के बीच प्रति व्यक्ति ग्रास नेशनल इनकम (जीएनआइ) में 273.9 प्रतिशत का इजाफा हुआ।
आर्थिक विशेषज्ञों के मुताबिक मुख्य रूप से प्रति व्यक्ति आय से ही किसी देश को विकसित या विकासशील या फिर अति कम विकसित की श्रेणी में रखा जाता है। हालांकि प्रति व्यक्ति आय के साथ मानवीय विकास सूचकांक, सामाजिक सुरक्षा, प्रति व्यक्ति कैलोरी उपभोग जैसे कारण भी विकसित होने के पैमाने को तय करते हैं।
प्रति व्यक्ति आय में भारत का स्थान
वर्ष 2021 में विश्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में प्रति व्यक्ति सालाना आय 2277.4 डालर है। जबकि चीन की प्रति व्यक्ति आय 12,556.3 अरब डालर, अमेरिका की 69,287.5 डालर तो ब्रिटेन की प्रति व्यक्ति आय 47,334.4 डालर है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
सीआइआइ के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, '25 साल तक सात प्रतिशत की विकास दर भारत को विकसित बना सकती है। इसके लिए देश में एक मजबूत नीति की जरूरत होगी, जिसकी मदद से मैन्यूफैक्चरिंग, डिजिटाइजेशन और इनोवेशन को सहायता मिल सके। शिक्षा व स्वास्थ्य सेवा की बेहतरी से मानव श्रम की गुणवत्ता बेहतर होगी।'
वहीं एचडीएफसी की वरिष्ठ अर्थशास्त्री साक्षी गुप्ता ने कहा, 'सबसे जरूरी है कि पिरामिड में सभी वर्ग के लोगों की आय में वृद्धि हो और अगले 25 साल तक विकास के साथ उसके तरीके का भी ध्यान रखा जाए। भारत को अपनी पूर्ण उत्पादन क्षमता का उपयोग करते हुए लगातार विकास करना होगा। विकास की गति के साथ रोजगार की गति को भी कायम रखना होगा।'