असीमित संभावनाओं का पिटारा है क्वांटम कंप्यूटिंग, बदल कर रख देगा दुनिया
पारंपरिक कंप्यूटर की दुनिया में एक शोध चल रहा है, जिसका नाम है क्वांटम कंप्यूटिंग। भौतिकी के क्वांटम सिद्धांत पर काम करने वाली इस कंप्यूटिंग में अपार संभावनाएं देखी जा रही हैं।
जेएनएन, नई दिल्ली। टेक्नोलॉजी की दुनिया में तेजी से विस्तार हो रहा है। कुछ समय पहले तक असंभव लगने वाली चीजें आज प्रौद्योगिकी की मदद से सरलता से हो सकती हैं। एक समय कंप्यूटर के विकास ने प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव किया था। अब आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस ने चिकित्सा से लेकर हथियार तक हर क्षेत्र में कंप्यूटर और रोबोट के इस्तेमाल को नया आयाम दिया है।
पारंपरिक कंप्यूटर की दुनिया में इस प्रगति के समानांतर एक और शोध चल रहा है, जिसका नाम है क्वांटम कंप्यूटिंग। भौतिकी के क्वांटम सिद्धांत पर काम करने वाली इस कंप्यूटिंग में अपार संभावनाएं देखी जा रही हैं। शोध के लिहाज से किसी के भी लिए यह शानदार विकल्प हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, एक पूर्ण विकसित क्वांटम कंप्यूटर की क्षमता सुपर कंप्यूटर से भी ज्यादा होगी।
क्या है क्वांटम कंप्यूटिंग?
क्वांटम कंप्यूटिंग को कंप्यूटर का भविष्य माना जा रहा है। पारंपरिक कंप्यूटर 'बिट' पर काम करते हैं, वहीं क्वांटम कंप्यूटर में प्राथमिक इकाई 'क्यूबिट' होती है। पारंपरिक कंप्यूटर में हर बिट की वैल्यू 0 (जीरो) या 1 (वन) होती है। कंप्यूटर इस जीरो और वन की भाषा में ही हर कमांड को समझता है और उसके अनुरूप कार्य करता है।
क्या है इसकी खासियत
वहीं क्यूबिट यानी क्वांटम बिट एक साथ जीरो और वन दोनों को स्टोर कर सकता है। इसका मतलब यह है कि दो क्यूबिट में एक साथ चार वैल्यू रह सकती है। यही खूबी इसे खास बनाती है। एक साथ चार वैल्यू रखने के कारण इसकी क्षमता और स्पीड पारंपरिक कंप्यूटर से ज्यादा होगी। क्वांटम कंप्यूटर अभी अवधारणा के स्तर पर ही है, लेकिन जानकारों का मानना है कि यह पारंपरिक कंप्यूटिंग से बने उन सभी एनक्रिप्शन को तोड़ने में सक्षम होगा, जिनमें डाटा सुरक्षित रखे जाते हैं।
कई देश कर रहे बड़ी फंडिंग
क्वांटम कंप्यूटर की क्षमता को देखते हुए सुरक्षा की दृष्टि से इसे महत्वूपर्ण माना जा रहा है। यही वजह है कि इसकी संभावनाएं पहचान चुके देश इस पर खर्च बढ़ा रहे हैं। चीन की सरकार हेफेई में 10 अरब डॉलर (करीब 73 हजार करोड़ रुपये) के खर्च से क्वांटम रिसर्च के लिए प्रयोगशाला तैयार कर रही है।
बड़े-बड़े देश कर रहे रिसर्च
2020 तक प्रयोगशाला शुरू होने की उम्मीद है। चीन की ई-कॉमर्स कंपनी अलीबाबा अलग से इस पर काम कर रही है। 2016 में यूरोपीय यूनियन ने इस क्षेत्र में 1.2 अरब डॉलर (करीब 8,800 करोड़ रुपये) का निवेश किया था। गूगल, आइबीएम, इंटेल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी दिग्गज अमेरिकी कंपनियां भी इस दिशा में शोध बढ़ा रही हैं। भारत सरकार ने भी इस दिशा में शोध को बढ़ावा देने के लिए क्वांटम इन्फॉर्मेशन साइंस एंड टेक्नोलॉजी का गठन किया है।
कुशल लोगों की कमी
क्वांटम कंप्यूटिंग का क्षेत्र जितना अहम है उसकी तुलना में इस क्षेत्र में कुशल लोगों की संख्या बहुत कम है। एक अनुमान के मुताबिक, दुनियाभर में 1,000 से भी कम लोग ऐसे हैं जो क्वांटम कंप्यूटिंग में शोध कर रहे हैं। बहुत सी कंपनियां अपने लिए योग्य लोगों की तलाश नहीं कर पा रहीं।
इस क्षेत्र में भविष्य की अपार संभावनाओं के बाद भी लोगों का इस ओर आकर्षित नहीं होना, चिंता का विषय बना हुआ है। इस बीच अमेरिका की आव्रजन नीति में सख्ती ने वहां की कंपनियों की परेशानी को और बढ़ा दिया है। नीति में सख्ती के चलते कुशल कार्यबल अमेरिका से दूरी बना रहा है। यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनोइस में भौतिकी के प्रोफेसर ब्रायन डीमार्को ने कहा, 'देश क्वांटम कंप्यूटिंग के मामले में चौराहे पर खड़ा है। संतुलन नहीं बन रहा है। यही स्थिति रही, तो हम प्रतिस्पर्धा में पिछड़ जाएंगे।'