कोरोना वायरस की मार से कांपी दुनिया, संकट में वॉल स्ट्रीट, चीन पर तगड़ी मार, जानें मौजूदा हालात
कोरोना वायरस की तगड़ी मार से पूरी दुनिया के बाजार सहम गए हैं। चीन की इकोनॉमी बुरी तरह प्रभावित हुई है। वहीं वॉल स्ट्रीट भी 2008 की मंदी के बाद सबसे गहरे संकट में जाता दिख रहा है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। कोरोना वायरस से दुनियाभर के शेयर बाजार सकते में हैं। बिकवाली का दौर लगातार जारी है। समाचार एजेंसी आइएएनएस की रिपोर्ट की मानें तो शुक्रवार को वॉल स्ट्रीट 2008 की मंदी के बाद सबसे गहरे संकट में दिखी। इस दौरान डाऊ जोन्स इंडस्टि्रयल 12 परसेंट से अधिक लुढ़क गया। यही नहीं ब्लूचिप शेयर भी संकट के साए से बच नहीं सके। एसएंडपी-500 की दो मूल्यवान कंपनियां माइक्रोसॉफ्ट और एपल की साझा संपत्ति 30,000 करोड़ डॉलर नीचे खिसक गई।
भारतीय बाजार भी सहमे
कोरोना वायरस की मार भारत की इकोनॉमी पर भी बेहद भारी पड़ रहा है। शुक्रवार को भारत के प्रमुख शेयर बाजारों में भी जबर्दस्त गिरावट आई थी। बीएसई का सेंसेक्स 1,448.37 अंक लुढ़क गया था, जो 24 अगस्त, 2015 के बाद की सबसे बड़ी गिरावट थी। 24 अगस्त, 2015 को सेंसेक्स में 1624 अंकों की गिरावट आई थी। इसके पीछे चीन के बाजारों में आई गिरावट बड़ी वजह थी। इसके अलावा कच्चे तेल के दाम भी उस समय छह साल के उच्च स्तर पर पहुंच गए थे। इसने भी बाजारों पर असर डाला था।
कांपे चीन के बाजार
वायरस की चपेट में आने से चीन में भी उत्पादन रिकॉर्ड स्तर तक गिर गया है। समाचार एजेंसी आइएएनएस ने शनिवार को जारी आंकड़ों के हवाले से बताया कि फरवरी में चीन का परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआइ) 35.7 रहा। एजेंसियों की मानें तो चीन के आधिकारिक आंकड़ों के इतिहास में यह सबसे बड़ी गिरावट है। पीएमआइ के 50 से नीचे आने का मतलब होता है कि मैन्यूफैक्चरिंग में गिरावट आ रही है। चीन में 2005 से आधिकारिक रूप से पीएमआइ दर्ज किया जा रहा है। इस साल जनवरी में उसका पीएमआइ 50.0 रहा था जो उत्पादन स्थिर रहने का संकेत था।
2008 की आर्थिक मंदी के बाद दूसरा झटका
आंकड़ों पर गौर करें तो फरवरी में परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआइ) 14.3 अंक गिरकर 35.7 पर आ गया। इससे पहले 2008 की वैश्विक आर्थिक मंदी के दौरान यह 38.8 रहा था। फरवरी में चीन के गैर-मैन्यूफैक्चरिंग पीएमआइ भी तेजी से नीचे की ओर सरक गया। फरवरी में यह 29.6 रहा, जबकि जनवरी में 54.1 दर्ज किया गया था। 2011 के बाद यह गैर-मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर के पीएमआइ का सबसे निचला स्तर है।
मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर पर करारी चोट
चीन के मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में यह गिरावट अनुमान से काफी ज्यादा है। जानकारों ने फरवरी में पीएमआइ 45 तक रहने का अनुमान जताया था। समीक्षाधीन अवधि में चीन की ऑटोमोटिव और स्पेशलाइज्ड इक्विपमेंट इंडस्ट्री बहुत ज्यादा प्रभावित हुई है। जानकारों के मुताबिक यातायात, लोगों का एक जगह इकट्ठा नहीं होना, कैटरिंग और टूरिज्म गतिविधियों पर अंकुश के चलते मांग में जबर्दस्त कमी देखने को मिली। इससे मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर पर बुरा असर पड़ा। इस महामारी से चीन में अब तक 2800 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
मास्क की किल्लत से बढ़ी मुश्किलें
वायरस के डर के चलते पूरी दुनिया में फेस मास्क खरीदने के लिए मारामारी मची है। कई देशों में सुपरमार्केट और दुकानदार फेस मास्क की कमी से जूझ रहे हैं। हालात इतने खराब हैं कि कई देशों ने मानक तय कर दिए हैं कि एक व्यक्ति कितने मास्क खरीद सकता है। ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन ने मास्क की बिक्री को निर्धारित करने के लिए अपनी साइट की निगरानी तक शुरू कर दी है। डॉक्टरों का कहना है कि जो लोग बीमार नहीं हैं उनको मास्क पहनने की जरूरत नहीं लेकिन लोग दहशत के कारण मास्क का मोह छोड़ नहीं पा रहे हैं।
WHO ने जोखिम का स्तर बढ़ाया, 56 देशों में पहुंचा वायरस
विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ (World Health Organisation, WHO) ने वायरस के फैलने और इसके प्रभाव को लेकर जोखिम को और बढ़ाकर बेहद उच्च स्तर (high at a global level) पर कर दिया है। WHO ने कहा है कि वायरस का खतरा जितना बड़ा है उसे देखते हुए चीन ने जितनी सावधानियां बरतीं विश्व समुदाय उस तरह से तैयार नहीं है। WHO की की मानें तो कोरोना वायरस की यह महामारी अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के हवाले से अमेरिकी अखबार द न्यूयॉर्क टाइम्स ने कहा है कि यह वायरस अब दुनिया के 56 देशों में पहुंच गया है।
भारत बोला, घबराने की जरूरत नहीं
भले ही कोरोना वायरस का असर दुनिया की इकोनॉमी पर दिखने लगा है लेकिन भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि अभी ‘पैनिक’ बटन दबाने की जरूरत नहीं है। तीन हफ्ते में यदि गिरावट पर काबू नहीं पाया जाता तब स्थिति चुनौतीपूर्ण होगी। उन्होंने बताया कि फार्मा और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग ने अनिवार्य कच्चे माल को चीन से एयरलिफ्ट कराने का प्रस्ताव दिया है जिस पर हम विचार कर रहे हैं। हालांकि, उन्होंने अंत में यह भी कहा कि अभी कोरोना के सारे पहलू बाहर नहीं आए हैं, इसलिए बहुत कुछ नहीं कहा जा सकता है।