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रेफरेंडम 2020: खालिस्तान की मांग को लेकर ब्रिटेन से पंजाब तक माहौल गरमाया

पंजाब भारत के अभिन्न अंग है। इसको लेकर किसी भी जनमत संग्रह का कोई सवाल ही नहीं हो सकता है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 12 Aug 2018 07:37 PM (IST)Updated: Mon, 13 Aug 2018 12:09 AM (IST)
रेफरेंडम 2020: खालिस्तान की मांग को लेकर ब्रिटेन से पंजाब तक माहौल गरमाया
रेफरेंडम 2020: खालिस्तान की मांग को लेकर ब्रिटेन से पंजाब तक माहौल गरमाया

नई दिल्‍ली, जेएनएन। 'रेफरेंडम 2020' को लेकर रविवार सुबह से ही सियासी गलियारों में गहमा-गहमी है। सुबह ब्रिटेन में रह रहे कुछ सिखों ने 'रेफरेंडम 2020' के पक्ष में रैली निकाली। शाम होते-होते वहां रह रहे बाकी सिखों ने इसके विरोध में रैली निकाली। दिनभर ये मामला सुर्खियां बटोरता रहा और इसकी सियासी आंच पंजाब तक भी पहुंची। यहां भी बयानबाजी का दौर शुरू हो गया। 

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सुबह ब्रिटेन में अलग खालिस्तान की मांग
ब्रिटेन में सुबह अलग खालिस्तान की मांग को लेकर सिख फॉर जस्टिस नाम के अलगाववादी समुदाय ने रैली निकाली। इन लोगों ने खालिस्तान के लिए 'रेफरेंडम 2020' यानि जनमत संग्रह की मांग की। वहीं, इस रैली केविरोध में भारतीय सिखों ने रैली निकाली। 

भारत तक पहुंची सियासी हलचल
ब्रिेटेन में खालिस्‍तान की मांग को लेकर रैली और विरोध में रैली की सियासी हलचल भारत तक भी पहुंची। यहां लोगों ने इस मामले को लेकर अलग-अलग प्रतिक्रिया दी। रेफरेंडम 2020 के विरोध में रैली निकालने वाले भारतीय मूल के सिखों ने कहा कि यह कदम देश की एकता और अखंडता के खिलाफ उठाया गया है। इसे किसी कीमत पर बर्दाश्‍त नहीं किया जा सकता। 

यहां, भारत में अकाली दल के नरेश गुजराल ने रेफरेंडम 2020 के पक्ष में रैली निकालने वालों को लेकर कहा कि विदेश में बसने वाली बहुत छोटी सिख जनसंख्या इसमें भाग ले रही है। भारत में किसी सिख की इस मुद्दे के लिए सहानुभूति नहीं है क्योंकि सिख वफादार भारतीय हैं। उन्होंने किसी अन्य समुदाय की तुलना में भारत के लिए और अधिक बलिदान किए हैं। 

पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता अश्विनी कुमार का ने कहा कि ब्रिटेन की सरकार को इस प्रकार के प्रदर्शन पर रोक लगाने के लिए रास्‍ता खोजना चाहिए। हम पहले से ही उन लोगों के हाथों से पीड़ित हैं जो भारत की एकता तोड़ने को लेकर झुक रहे हैं। पंजाब भारत का अभिन्न अंग है। इसको लेकर किसी भी रेफरेंडम  का कोई सवाल ही नहीं हो सकता है।  

इसे लेकर आल इंडिया एंटी टेरिरिस्‍ट फ्रंट के चेयरमैन एमएस विट्टा ने कहा कि खालिस्‍तान ना कभी बना था, ना बनेगा ना बनाने देंगे। हमारा देश एक है। पंजाब हमेशा देश का हिस्‍सा रहा है और आगे भी रहेगा। इस सबके पीछे आइएसआइ है और यह उजागर हो चुका है। भारत के लोग इसे किसी कीमत पर सफल नहीं होने देंगे।

खालिस्‍तान समर्थक रैली के विरोध में ब्रिटेन में सरदार पटेल मेमोरियल सोसाइटी के पूर्व चेयरमैन ने कहा कि हम इस देश (ब्रिटेन) में रह रहे हैं और वे (अलगाववादी) भारत से स्‍वतंत्र खालिस्‍तान की मांग कर रहे हैं। यह प्रदर्शन कनाडा में पाकिस्‍तानियों और खालिस्‍तानियों तथा आईएसआई की मदद से आयोजित किया जा रहा है।

खुफिया एजेसियों के अनुसार, आइएसआइ ने पाकिस्तानी सेना के एक बड़े अधिकारी सहित आठ अफसरों को इस साजिश के लिए लगाया गया है। आइएसआइ के इशारे पर ही कट्टरपंथी सिख संगठन विदेश में रेफरेंडम 2020 बात कर रहे हैं।

खालिस्‍तान समर्थक 'सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) का कहना है कि इस रैली का मकसद पंजाब की स्वतंत्रता के लिए 2020 में एक गैर बाध्यकारी जनमत संग्रह की मांग को लेकर जागरूकता फैलाना है। ब्रिटेन की लेफ्ट विंग ग्रीन पार्टी के अलावा रैली के समर्थन के लिए कोई भी प्रमुख ब्रिटिश राजनीतिक दल या नेता आगे नहीं आया है।
 

क्या है रेफरेंडम 2020 विवाद?

दरअसल, सिख फॉर जस्टिस (SFJ) नाम का एक समूह पिछले कई सालों से खालिस्तान की मांग को लेकर लंदन में माहौल बना रहा है। रविवार को इसी समूह ने 'लंदन डिक्लरेशन ऑन पंजाब इंडिपेंडेंस रेफरेंडम 2020' नाम से एक बड़ी रैली की।

एसजेएफ का कहना है कि उनका मकसद इस मामले को संयुक्त राष्ट्र तक ले जाना है। साथ ही संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों को यह भी बताना है कि पंजाब की जो स्वतंत्र स्थिति पहले थी, उसे फिर से कायम किया जाए।  वहीं, भारत सरकार ने इस रैली का कड़ा विरोध जताया है और सरकार इन्हें अलगवावादी बता रही है।


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