सरबजीत की एक बेटी बनी नायब तहसीलदार और दूसरी टीचर
पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में कैदियों के हमले में मारे गए भारतीय नागरिक सरबजीत को सैकड़ों लोगों ने श्रद्धांजलि दी। भिखीविंड में आयोजित श्रद्धांजलि समारोह में अकाली दल, भाजपा व कांग्रेस सहित कई राजनीतिक पार्टियों के नेताओं समेत सैकड़ों लोग शामिल हुए।
भिखीविंड [तरनतारन, अशोक नीर]। पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में कैदियों के हमले में मारे गए भारतीय नागरिक सरबजीत को सैकड़ों लोगों ने श्रद्धांजलि दी। भिखीविंड में आयोजित श्रद्धांजलि समारोह में अकाली दल, भाजपा व कांग्रेस सहित कई राजनीतिक पार्टियों के नेताओं समेत सैकड़ों लोग शामिल हुए।
इस मौके पर मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कहा कि सरबजीत की बड़ी बेटी स्वप्नदीप ग्रेजुएट है, उसे नायब तहसीलदार की नौकरी दी जाएगी, जबकि सरबजीत की छोटी बेटी पूनम को आर्ट एंड क्राफ्ट का टीचर नियुक्त किया जाएगा।
बादल ने सरकार की तरफ से एक करोड़ की राशि सरबजीत के परिवार को सौंपी। बादल ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि स्वप्नदीप व पूनम की शिक्षा के दस्तावेज शीघ्र उनके चंडीगढ़ स्थित कार्यालय में पहुंचाएं जाएं। कैबिनेट की आगामी बैठक में दोनों को नौकरी देने पर मुहर लगा दी जाएगी। बादल ने श्रद्धासुमन भेंट करते हुए कहा कि सरबजीत की शहादत कभी भुलाई नहीं जा सकेगी। उसकी बहन दलबीर कौर का संघर्ष भी हमेशा याद रखा जाएगा। पूर्व केंद्रीय मंत्री अंबिका सोनी ने कहा कि दलबीर कौर के संघर्ष ने देश की राजनीति को झकझोरा है। अब दलबीर पाकिस्तान की जेलों में बंद भारतीयों की आवाज बनें, इसके लिए उन्हें पूरा समर्थन दिया जाएगा।
बादल साहब! मेरे पिता भी पाकिस्तानी जेल में हैं
सरबजीत के श्रद्धांजलि समारोह में जैसे ही मंच संचालक ने सरबजीत के परिवार को सरकारी सहायता की घोषणा की, राजाताल की हरजीत खड़ी हुईं और बोलने लगीं- बादल साहब, हमारे परिवार की भी सुध लीजिए। मेरी मां मेरे पिता जोगिंदर सिंह के इंतजार में पागल हो चुकी है। बहन का भी यही हाल है। 42 साल से परिवार प्रताड़ना झेल रहा है। मेरे पिता भी पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में हैं। उन्हें पीट-पीट कर पागल कर दिया गया है। मेरे पिता की वापसी के लिए सरकार ने कोई प्रयास नहीं किया। इतना कह कर बीबी हरजीत कौर फफक कर रो पड़ीं।
हरजीत ने बताया कि उसके पिता 1971 के युद्ध के बाद उसके पिता को शहीद का दर्जा दिया गया और परिवार को पेंशन दे दी गई। पिता की कोई खबर नहीं मिली। काफी सालों बाद पाकिस्तान से लौटे कैदियों ने बताया कि उसका पिता कोट लखपत जेल में पागल हो चुका है। उसके दोनों घुटने खराब हो गए हैं। इतना बोलने के बाद हरजीत को पुलिस की महिला कर्मचारी पंडाल से बाहर ले गई। अधिकारियों ने उन्हें सांत्वना दी और उसकी सारी बातें नोट कीं।
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