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पराली जलाने पर रोक के प्रभावी उपाय न करने पर पंजाब को फटकार

फैसले में एनजीटी ने पराली जलाने पर रोक के बारे में कई निर्देश जारी किए थे। परंतु आज तक राज्य सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Fri, 08 Dec 2017 08:59 PM (IST)Updated: Fri, 08 Dec 2017 08:59 PM (IST)
पराली जलाने पर रोक के प्रभावी उपाय न करने पर पंजाब को फटकार
पराली जलाने पर रोक के प्रभावी उपाय न करने पर पंजाब को फटकार

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। खेतों में पराली जलाने से रोकने के लिए प्रभावी कदम न उठाने तथा किसानों को वित्तीय प्रोत्साहन देने में असमर्थ रहने के लिए एनजीटी ने पंजाब सरकार को फटकार लगाई है।

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एनजीटी प्रमुख जस्टिस स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि विक्रांत टोंगड़ मामले में उसके फैसले को दो वर्ष बीत गए हैं। फैसले में एनजीटी ने पराली जलाने पर रोक के बारे में कई निर्देश जारी किए थे। परंतु आज तक राज्य सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। पीठ ने राज्य सरकार से पूछा कि आखिर उसने पराली से बायोमास अथवा पेलेट बनाने वाले प्लांट लगाने के लिए टेंडर क्यों आमंत्रित नहीं किए। इसी के साथ पीठ ने पंजाब सरकार ने पराली जलाने पर रोक के लिए उठाए गए कदमों का ब्यौरा पेश करने को कहा।

पीठ ने कहा, 'हमें बताएं कि 2015 के हमारे विस्तृतआदेश के बाद से अब तक आपने कौन से कदम उठाए हैं? बायोमास प्लांट तथा पेलेट बनाने के प्लांट लगाने के लिए आपने क्या किया है?'

पीठ, जिसमें जस्टिस जावेद रहीम तथा आरएस राठौर भी शामिल थे, ने कहा, 'क्या आपने किसी ताप बिजली संयंत्र को कृषि कचरे का इस्तेमाल करने के लिए आमंत्रित किया है। क्या आपने किसानों को कोई वित्तीय मदद या मशीने प्रदान की हैं? आप लोग केवल भाषण देना जानते हैं।'

एनजीटी ने पराली जलाने के मसले पर राज्य सरकार के रवैये के प्रति गहरा रोष व्यक्त किया। जबकि ये स्पष्ट है कि इससे वायु प्रदूषण फैलता है। पीठ ने कहा, 'आप लोगों के बर्ताव को देखकर हम स्तब्ध हैं। किसानों को जागरूक बनाने के लिए आपने एक विज्ञापन तक नहीं दिया है। आपने ऐसा एक भी कदम नहीं उठाया है जिससे लगता हो कि आपकी इस मुद्दे में जरा भी रुचि है।'

ट्रिब्यूनल ने कहा कि पंजाब सरकार किसी भी ऐसी सरकारी या निजी कंपनी के साथ अनुबंध करने मं विफल रही है जो कृषि कचरे का उपयोग कर सके।

सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार के वकील ने पीठ से कहा कि उसने एनटीपीसी के साथ बैठक की है। इससे ये नतीजा निकला है कि कृषि कचरे का मूल्य 5500 रुपये प्रति टन से अधिक नहीं होना चाहिए। राज्य सरकार तथा एनटीपीसी का राज्य में कोई भी पावर प्लांट नहीं है। सबसे नजदीकी पावर प्लांट उत्तर प्रदेश में है। यदि पराली को इतनी दूर ले जाया जाता है तो इससे परिवहन लागत बढ़ेगी और परियोजना को लगाना घाटे का सौदा साबित होगा। वकील ने कहा कि राज्य में सात बायोमास प्लांट तथा 24 कार्डबोर्ड प्लांट हैं, जिनमें कृषि कचरे का उपयोग हो सकता है।

इससे पहले ट्रिब्यूनल ने दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान तथा उत्तर प्रदेश की सरकारों को एक बैठक बुलाकर पराली की ढुलाई तथा पावर प्लांटों में ईधन के रू में उसके उपयोग के उचित तौरतरीके खोजने का निर्देश दिया था। मामले की अगली सुनवाई 11 दिसंबर को होगी।

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