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पंजाब में सालाना 7,500 करोड़ रुपये के ड्रग का कारोबारः रिपोर्ट

आतंकियों और ड्रग तस्करों के बीच आपसी साठगांठ पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले के बाद सुर्खियों में आया है। अखिल भारतीय आयूर्विज्ञान संस्थान द्वारा किए एक अध्ययन में सामने आया है कि पंजाब में हर साल 7,500 करोड़ रुपये के नशीले पदार्थों की पंजाब में खपत होती हैै

By Mohit TanwarEdited By: Published: Fri, 15 Jan 2016 11:32 AM (IST)Updated: Fri, 15 Jan 2016 12:59 PM (IST)
पंजाब में सालाना 7,500 करोड़ रुपये के ड्रग का कारोबारः रिपोर्ट

नई दिल्ली। पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले के बाद आतंकवादियों और ड्रग तस्करों के बीच साठगांठ सुर्खियों में आ गया है। अखिल भारतीय आयूर्विज्ञान संस्थान(AIIMS) द्वारा जारी एक रिपोर्ट में ये सामने आया है कि पंजाब में हर साल 7,500 करोड़ रुपये के नशीले पदार्थों की पंजाब में खपत होती है, इसमें ये भी बताया गया है कि हेरोइन की हिस्सेदारी 6,500 करोड़ रुपये की है।

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पंजाब में जहर का ये कारोबार भारत-पाकिस्तानी बॉर्डर के माध्यम से होता है। इतना ही नहीं पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ की सहायता से ये तस्कर आसानी से बॉर्डर के उस पार से अपने काम को अंजाम दे रहे हैं।


माना जा रहा है कि एयरबेस पर हमला करने के लिए आतंकियों ने इसी नेटवर्क का इस्तेमाल किया था।

अभी तक सुरक्षा एजेंसियां ये दावा करती रही है कि पाकिस्तान से आई हेरोइन पंजाब में इस्तेमाल नहीं होती है। बल्कि इसे पंजाब के रास्ते दिल्ली जैसे बड़े महानगरों में भेजा जाता है। एम्स में उपचार केन्द्र (NDDTC) के सर्वे में पंजाब के 10 जिलों को शामिल किया गया है। नतीजे बताते है कि इन जिलों में 2.77 करोड़ लोगों की आबादी है। जिसमें से 1.23 करोड़ लोग हेरोइन का इस्तेमाल करते हैं। पिछले अध्ययनों के मुताबिक पंजाब में ड्रग्स के आदी हो चुके लोगों की सख्या वैश्विक अनुपात से गुना अधिक है।

औसतन एक व्यक्ति रोजाना लगभग 1,400 प्रति दिन ड्रग पर खर्च कर रहा है। इस रिपोर्ट को 6 जनवरी को पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री सुरजीत कुमार को सौंपा गया। उन्होंने कहा कि मुझे 20 करोड़ रुपये खर्च वाली बात पर संदेह है साथ ही उन्होंने कहा कि वो पंजाब को नशा मुक्त राज्य बनाने के प्रति प्रतिबंध है।

एम्स द्वारा किए सर्वेक्षण के मुताबिक लोग रोजाना लगभग 20 करोड़ रुपये ड्रग्स पर खर्च कर रहे हैं।ये अध्ययन पिछले साल फरवरी और अप्रैल महीने के बीच किया गया था। इस अध्ययन में 18 वर्ष से लेकर 35 वर्ष तक के लोगों को शामिल किया गया था। वहीं 100 में से पंद्रह व्यक्ति इसके आदि है।


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