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Covid 19 vaccine: दुनिया का 65 फीसद वैक्सीन उत्पादन करती है पुणे की सीरम इंस्टीट्यूट, जानें उसकी खासियत

सीरम इंस्टीट्यूट की स्थापना 1966 में साइरस पूनावाला ने की थी। यह अब भारत की नंबर एक बायोटेक्नोलाजी कंपनी तो बन ही चुकी है वैक्सीन (टीका) एवं प्रतिरक्षात्मक दवाओं का उत्पादन करनेवाली यह दुनिया की नंबर एक कंपनी है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 26 Nov 2020 07:31 PM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2020 07:47 PM (IST)
Covid 19 vaccine: दुनिया का 65 फीसद वैक्सीन उत्पादन करती है पुणे की सीरम इंस्टीट्यूट, जानें उसकी खासियत
पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया (एसआईआई)

 ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। भारत को कोरोना वैक्सीन के लिए पुणे के जिस सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया (एसआईआई) से सर्वाधिक उम्मीदें हैं, उसकी बनाई वैक्सीन दुनिया के 65 फीसद बच्चों के काम आती है। प्रधानमंत्री 28 नवंबर को इसी सीरम इंस्टीट्यूट का दौरा कर वैक्सीन की तैयारियों का जायजा लेनेवाले हैं। सीरम इंस्टीट्यूट की स्थापना 1966 में साइरस पूनावाला ने की थी। यह अब भारत की नंबर एक बायोटेक्नोलाजी कंपनी तो बन ही चुकी है, वैक्सीन (टीका) एवं प्रतिरक्षात्मक दवाओं का उत्पादन करनेवाली यह दुनिया की नंबर एक कंपनी है। 

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यहां पोलियों के साथ-साथ डिप्थीरिया, टिटनेस, एचआईबी, बीसीजी, हेपेटाइटिस-बी, चेचक एवं रुबेला आदि की वैक्सीन के 1.5 अरब डोज हर साल तैयार होते हैं। आक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका के साथ मिलकर कोरोना वैक्सीन का उत्पादन भी यह कंपनी बड़ी मात्रा में कर सकती है। जिसका उपयोग न सिर्फ भारत, बल्कि कई और देशों में हो सकता है। सीरम इंस्टीट्यूट बनी वैक्सीन को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से तो मान्यता प्राप्त है ही, 170 से अधिक देश इसका उपयोग करते हैं। देश को सस्ती दरों पर जीवनोपयोगी वैक्सीन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से स्थापित यह कंपनी टिटनेस एंटी टाक्सीन के अलावा सर्पदंश की दवाओं का भी उत्पादन करती है। सितंबर 2019 में सीरम इंस्टीट्यूट ने पुणे में ही अपनी बहुआयामी अत्याधुनिक वैक्सीन उत्पादन इकाई शुरू की है। करीब 3000 करोड़ की लागत से तैयार यह इकाई अब बड़े पैमाने पर कोरोना वैक्सीन के उत्पादन में सहायक होगी। 

 

बता दें कि सीरम इंस्टीट्यूट की उत्पादन क्षमता को देखते हुए ही वैश्विक दवा निर्माता कंपनी एस्ट्राजेनेका एवं आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय ने उसके साथ कोरोना टीके के उत्पादन का करार किया है। सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल आर्गनाइजेशन ने जिन सात फर्मों को कोरोना वैक्सीन के प्री क्लीनिकल ट्रायल एवं विश्लेषण की अनुमति दी है, सीरम इंस्टीट्यूट उनमें से एक है। अब ‘कोविशील्ड’ नामक इस वैक्सीन पर शोध अपने अंतिम चरण में है, और माना जा रहा है कि एस्ट्राजेनेका-आक्सफोर्ड की वैक्सीन भारत के लोगों के लिए ज्यादा उपयोगी हो सकती है। 

इसके अलावा सीरम इंस्टीट्यूट का वितरण नेटवर्क काफी बड़ा होने से यह विश्व के कई देशों के भी काम आ सकती है। संभवतः इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को स्वयं सीरम इंस्टीट्यूट का दौरा कर इस उत्पादन इकाई का जायजा लेना चाहते हैं। पहले बताया जा रहा था कि कई देशों के राजदूत भी प्रधानमंत्री के साथ ही पुणे आकर सीरम इंस्टीट्यूट की वैक्सीन उत्पादन क्षमता को देखना चाहते हैं। लेकिन अब अन्य देशों के राजदूतों का दौरान संभवतः चार दिसंबर को होना निर्धारित है। सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला कुछ दिनों पहले कह चुके हैं कि उनके संस्थान में बनी वैक्सीन का आधा हिस्सा भारत में उपयोग के लिए होगा, शेष की आपूर्ति अन्य देशों को की जाएगी।


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