कश्मीरी अलगाववादियों से भी जुड़े हैं नक्सलियों के तार, पुणे पुलिस का दावा
पुणे पुलिस ने आरोप लगाया है कि गिरफ्तार किए गए पांच वामपंथी विचारक में से एक गौतम नवलखा कश्मीरी अलगाववादियों के संपर्क में थे।
पुणे (प्रेट्र)। भीमा-कोरगांव हिंसा मामले पर जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, हर रोज कोई न कोई नया खुलासा हो रहा है। अब नक्सलियों और कश्मीरी अलगाववादियों के संपर्क के भी तार एक-दूसरे से जुड़ रहे हैं। दरअसल, महाराष्ट्र पुलिस ने दो दिन पहले कई शहरों में हुई छापेमारी के दौरान एक पत्र मिलने का दावा किया है। पुलिस ने आरोप लगाया है कि गिरफ्तार किए गए पांच वामपंथी विचारक में से एक गौतम नवलखा कश्मीरी अलगाववादियों के संपर्क में थे।
कामरेड सुधा का कामरेड प्रकाश को पत्र
बताया जा रहा है कि हिंदी में लिखा यह पत्र कामरेड सुधा ने किसी कामरेड प्रकाश को लिखा था। इसमें इंटीरियर (दूरदराज के क्षेत्र) इलाकों में काम कर रहे कामरेडों को वित्तीय सहायता देने की भी बात की गई है।
28 अगस्त को नौ स्थानों पर हुई छापेमारी
मंगलवार (28 अगस्त) को पुणे पुलिस ने विभिन्न राज्यों में नौ स्थानों पर छापामारी की। इस दौरान गिरफ्तार पांच वामपंथी विचारकों में नवलखा भी शामिल थे। उन्हें नक्सलियों के साथ संपर्क के कारण गिरफ्तार किया गया। उनके अलावा प्रसिद्ध तेलुगु कवि वरवर राव (हैदराबाद), वेरनान गोंजाल्विस व अरुण फरेरा (मुंबई), ट्रेड यूनियनिस्ट सुधा भारद्वाज (फरीदाबाद) को भी गिरफ्तार किया गया था।
भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में हुई कार्रवाई
पुणे में पिछले वर्ष 31 दिसंबर को एलगार परिषद आयोजित करने और उसके बाद समीप के भीमा कोरेगांव में हिंसा भड़काने के आरोप में यह कार्रवाई की गई थी। सुप्रीम कोर्ट में कुछ प्रमुख लोगों द्वारा गिरफ्तारी को चुनौती दी गई थी। शीर्ष अदालत ने बुधवार को सभी पांचों लोगों को छह सितंबर तक नजरबंद रखने का आदेश दिया।
पत्र में क्या लिखा
बुधवार को पुणे की अदालत में विशेष लोक अभियोजक उज्ज्वल पवार ने कहा था कि पुलिस ने कुछ पत्र जब्त किए हैं। इससे जम्मू एवं कश्मीर में सक्रिय कुछ संगठनों सहित अन्य प्रतिबंधित संगठनों और नक्सलियों के बीच संपर्क का पता चलता है। पत्र में लिखा गया है, 'कामरेड अंकित और कामरेड गौतम नवलखा कश्मीरी अलगाववादियों के संपर्क में हैं।' पत्र से यह साफ नहीं हो रहा है कि सुधा, प्रकाश और अंकित कौन हैं।
पत्र में आगे कहा गया है, 'साईबाबा के जेल जाने के बाद शहरी काडरों में डर का माहौल बना हुआ है। डर को कम करने के लिए कश्मीरी अलगाववादियों द्वारा जिस तरह पत्थरबाजों, आतंकी संगठनों और उनके परिवार को वित्तीय मदद की जाती है, उसी तर्ज पर दूरदराज के इलाकों में काम कर रहे कामरेडों को मदद मुहैया कराने की जरूरत है। इस तरह की मदद से कामरेड किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए मानसिक रूप से मजबूत बन सकेंगे।' पत्र लिखने वाली सुधा ने कश्मीर घाटी में दुश्मन द्वारा किए जा रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन की घटनाओं के वीडियो फुटेज को सोशल मीडिया के साथ ही अन्य मीडिया पर भी जारी करने करने की भी जरूरत बताई है।