पुणे: मलबे में जिंदगी की तलाश मालिण में दो दिन में 22 को बचाया गया
महाराष्ट्र के पुणे जिले के अंबेगांव तालुका में भारी वर्षा के कारण मिट्टी में दफन मालिण गांव में मलबे से गुरुवार सुबह 22 लोगों को जिंदा निकाल लिया गया। युद्धस्तर पर जारी बचाव कार्य के दौरान पांच और शव मिलने के साथ ही मृतक संख्या बढ़कर 31 हो गई है। मलबे में अब भी 150 लोगों के दबे होने की आशंका है।
पुणे। महाराष्ट्र के पुणे जिले के अंबेगांव तालुका में भारी वर्षा के कारण मिट्टी में दफन मालिण गांव में मलबे से गुरुवार सुबह 22 लोगों को जिंदा निकाल लिया गया। युद्धस्तर पर जारी बचाव कार्य के दौरान पांच और शव मिलने के साथ ही मृतक संख्या बढ़कर 31 हो गई है। मलबे में अब भी 150 लोगों के दबे होने की आशंका है।
पुणे के डिप्टी कलेक्टर सुरेश जाधव ने बताया कि वर्षा और कीचड़ के कारण बचाव कार्य में परेशानी के बावजूद फंसे लोगों को निकालने का काम जारी है। जेसीबी व पोकलेन की मदद ली जा रही है, लेकिन दबे लोगों को कोई नुकसान न पहुंचे इसलिए सावधानी रखी जा रही है। गांव मलबे, पत्थरों और कीचड़ में पटा पड़ा है। इसके बावजूद बचाव कार्य निरंतर जारी है।
2-2 लाख मुआवजा
बुधवार सुबह गांव के तबाह होने की सूचना मिलने के बाद से शुरू किए गए बचाव कार्य में गुरुवार सुबह तक 22 लोगों को सफलपूर्वक बचा लिया गया था। इनमें से आठ घायलों को अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। केन्द्र सरकार ने मृतकों के आश्रितों को 2-2 लाख रुपए मुआवजा देने की घोषणा की है।
50 में से 44 मकान तबाह
पुणे जिला मुख्यालय से 120 किलोमीटर दूर और भीमाशंकर ज्योतिर्लिग के करीब स्थित मालिण गांव के 44 मकान भूस्खलन में तबाह हो गए हैं। गांव में कुल 50 मकान थे। एनडीआरएफ की नौ टीमों के साथ 378 बचावकर्मी फंसे लोगों को निकालने में जुटे हैं। लापता लोगों का पता लगाने के लिए अत्याधुनिक गैजेट्स का उपयोग किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने जताया शोक
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस प्राकृतिक त्रासदी में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देते हुए शोक जताया है। लोकसभा में भी मृतकों को श्रद्घांजलि दी गई।
पर्यावरण के अनुकूल हो विकास: राजनाथ
केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथसिंह गुरवार को भूस्खलन से प्रभावित मालिण गांव पहुंचे। उन्होंने राहत कार्यो का जायजा लिया और उस पर संतोषष जताया। पत्रकारों से चर्चा में उन्होंने पर्यावरण के अनुकूल विकास पर जोर दिया और कहा कि हमें प्राकृतिक संतुलन का ध्यान रखना होगा। हालांकि भू-गर्भीय सर्वेक्षण विभाग द्वारा जांच से पहले इस त्रासदी के बारे में अभी कोई भी टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी।
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