Pulwama Terror Attack: मांड्या का वो सपूत जो हमेशा से सैनिक बनना चाहता था
पुलवामा में गुरुवार को सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले में शहीद हुए जवानों में कर्नाटक के मंड्या जिले का सपूत एच. गुरु भी शामिल है। वे लगभग 7 वर्ष पहले सेना में भर्ती हुए थे।
नई दिल्ली, जेएनएन। Pulwama Terror Attack, पुलवामा में गुरुवार को सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले में शहीद हुए 40 सीआरपीएफ जवानों में कर्नाटक के मंड्या जिले मद्दूर तालुक का एक सपूत एच. गुरु भी शामिल है। गुरु की उम्र 33 वर्ष थी। गुरु छुट्टी के बाद कश्मीर लौटे थे। वे रविवार को सीआरपीएफ मुख्यालय पहुंचे। गुरु के शहादत की खबर आने के बाद से उनके पैतृक गांव में हर किसी की आंखें नम हैं।
परिवार सदमे में
उनके पिता होन्नप्पा और माता चिक्कतवयम्मा पत्नी कलावती और भाई मधु और आनंद सदमे में हैं, जबकि पड़ोसी, रिश्तेदार और बचपन के दोस्त अपने प्यारे गुरु की मृत्यु पर शोक मना रहे हैं। गुरु की छह माह पहले ही शादी हुई थी। वे लगभग 7 वर्ष पहले सेना में भर्ती हुए थे। गांव के ही सरकारी स्कूल में पढ़ाई करने के बाद गुरु राष्ट्र सेवा के लिए सीआरपीएफ में भर्ती हो गए।
बचपन से ही थी राष्ट्र की सेवा करने की इच्छा
गुरू अपने कॉलोनी से अर्धसैनिक बल में शामिल होने वाले पहले युवक थे। उनके परिवार की तरह, कॉलोनी के निवासियों को भी उनपर गर्व है। जो लोग गुरु को जानते थे वे कहते हैं कि उन्होंने बचपन से ही उनमें राष्ट्र की सेवा करने की इच्छा थी। वह 2011 में सीआरपीएफ में शामिल हुए और झारखंड में तैनात थे। स्कूल में गुरु को हिंदी पढ़ाने वाले लता ने कहा, 'मुझे उनका शिक्षक होने पर गर्व है और मैं उनके द्वारा दिए गए बलिदान को कभी नहीं भूलूंगी। अपने स्कूल के दिनों से ही उनके अंदर देशभक्ति का जुनून था।
वे इसी वक्त से सेना में शामिल होने और राष्ट्र की सेवा करने की इच्छा रखते थे। जब उनसे पूछा जाता था कि वह क्या बनना चाहते हैं, तो वे कहते थे कि 'मैं एक सैनिक बनूंगा और राष्ट्र की सेवा करूंगा।' यही उनकी जिंदगी की ख्वाहिश थी।'