एक हजार रेलवे स्टेशनों पर खुलेंगे जन औषधि केंद्र
मंत्रालय की ओर से आयोजित प्रेसवार्ता में इस विभाग के तीन सालों के कामकाज की उपलब्धियों को भी उन्होंने गिनाया।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। देश के एक हजार रेलवे स्टेशनों पर सरकार जन औषधि केंद्र खोले जाएंगे। इसके लिए जल्दी ही केमिकल व फर्टिलाइजर मंत्री अनंत कुमार इस बाबत रेल मंत्री सुरेश प्रभू से मुलाकात कर बातचीत करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा देश के प्रत्येक ब्लॉक में जन औषधि केंद्र खोलने की है, ताकि हर किसी को सस्ती व रियायती दरों पर गुणवत्तायुक्त दवाएं मुहैया हो सकें। यह सरकार की उच्च प्राथमिकता में शामिल है। कुमार शुक्रवार को यहां प्रधानमंत्री जन औषधि परियोजना के बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे थे।
मंत्रालय की ओर से आयोजित प्रेसवार्ता में इस विभाग के तीन सालों के कामकाज की उपलब्धियों को भी उन्होंने गिनाया। उन्होंने कहा कि दुनिया में सबसे तेज गति से घरेलू दवा कंपनियों का विकास हो रहा है। दो लाख करोड़ रुपये की सालाना टर्नओवर वाली ये कंपनियां एक लाख करोड़ रुपये की दवाएं निर्यात करती हैं। उन्होंने कहा कि यह मौन क्रांति से कम नहीं है। इसमें सभी को सस्ती व गुणवत्ता वाली दवाएं मुहैया कराई जाती है।
देश में फिलहाल 1320 जन औषधि केंद्र खोल दिये गये हैं, जो गरीबों के लिए बेहद रियायती दर पर दवाएं उपलब्ध करा रहे हैं। चालू साल के आखिर तक देशभर में कुल तीन हजार से अधिक ऐसे केंद्र खोल दिये जाएंगे। इन केंद्रों को खोलने के लिए अब तक कुल 30 हजार से अधिक आवेदन प्राप्त हो चुके हैं, जिनकी मंजूरी जल्द से जल्द दे दी जाएगी।
इन केंद्रों पर बिकने वाली दवाओं की गुणवत्ता के बारे में मंत्री कुमार ने बताया कि इन केंद्रों पर दवाओं की आपूर्ति करने वाली कंपनियों के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की मान्यता प्राप्त जीएमपी मानक अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि सभी सरकारी व गैर सरकारी डाक्टरों के लिए अपने पर्चे पर जेनरिक दवाएं ही लिखना अनिवार्य होगा। ब्रांडेड दवाओं के नाम लिखने की मनाही होगी। मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया ने इस बाबत पहले ही दिशानिर्देश जारी कर दिया है।
उन्होंने कहा कि राज्यों के साथ समझौता (एमओयू) कर सभी जिला मुख्यालयों, सरकारी अस्पतालों, बस अड्डों और अन्य सार्वजनिक स्थलों पर जेनरिक दवाओं की बिक्री के लिए जन औषधि केंद्रों की स्थापना की जायेगी। उन्होंने बताया कि इस बाबत अब तक 19 एमओयू हो चुके हैं, जिनमें महाराष्ट्र, केरल, आंध्र प्रदेश समेत कई राज्यों के साथ कई गैर सरकारी संगठन प्रमुख हैं। सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के नाम पत्र लिखने वाले हैं। उनसे टेलीफोन पर बातचीत भी की जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इस पर विशेष जोर है।
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