सरकारी मदद से दस गुना ज्यादा कर्ज बांटेंगे पीएसयू बैंक
चालू वित्त वर्ष के दौरान ही सरकार तकरीबन 83 हजार करोड़ रुपये की पूंजी इन बैंकों को दे रही है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पिछले चार वर्षों में सरकारी क्षेत्र के बैंकों के लिए तकरीबन 2.82 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान कर चुकी केंद्र सरकार ने उम्मीद जताई है कि ये बैंक इससे कम के कम दस गुणा ज्यादा राशि का कर्ज बांटेंगे। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को संसद में बताया कि सरकारी क्षेत्र के बैंकों में जिस तरह से एनपीए बढ़ा है उसकी वजह से उन्हें अतिरिक्त पूंजी देना जरुरी है।
इनमें से कई बैंक प्रोम्प्ट करेक्टिव एक्शन (पीसीए) नीति के तहत आ गए हैं और फिलहाल वे कर्ज देने जैसे सामान्य बैंकिंग कार्य भी नहीं कर सकते। सरकार से उन्हें जो राशि दी जाएगी उससे वे पीसीए से बाहर आएंगे और आर्थिक गतिविधियों को ज्यादा कर्ज मुहैया कराएंगे। सरकार जितना पूंजी उन्हें देती है, वे उससे दस गुणा ज्यादा कर्ज देंगे। चालू वित्त वर्ष के दौरान ही सरकार तकरीबन 83 हजार करोड़ रुपये की पूंजी इन बैंकों को दे रही है।
जेटली ने एक बार सरकारी क्षेत्र के बैंकों की मौजूदा स्थिति के लिए पूर्व की यूपीए सरकार के दौरान आंख मूंद कर कर्ज देने की नीति को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने आरोप लगाया कि वर्ष 2008 से वर्ष 2014 के दौरान फोन कॉल पर बैंकों ने कर्ज दिये। जब फंसे कर्जे (एनपीए) की राशि बढ़ने लगी तो बैंकों ने उसे छिपा लिया। मौजूदा सरकार के कार्यकाल मे वर्ष 2015 में आरबीआइ ने बैंकों के लिए छिपे एनपीए को बाहर लाना अनिवार्य कर दिया। इससे पता चला कि देश के बैंकिंग सिस्टम में 8.5 लाख करोड़ रुपये के कर्ज की राशि एनपीए हो चुकी थी लेकिन उसे छिपा कर रखा गया था।
अब इससे उबारने के लिए बैंकों को सरकार से मदद दी जा रही है। उन्हें 2.12 लाख करोड़ रुपये की मदद देने का फैसला किया गया था। इसमें से 1.35 लाख करोड़ रुपये की राशि बांड्स के जरिए दी जा रही है। सरकार से मिली मदद की वजह से ही ये बैंक कर्ज देने की स्थिति में बने रहेंगे। सनद रहे कि सरकार की तरफ से 2.12 लाख करोड़ रुपये की राशि की मदद वर्ष 2015 में घोषित इंद्रधनुष योजना के तहत दी गई 70 हजार करोड़ रुपये की राशि के अतिरिक्त है। पिछले दस वर्षो से सरकारी बैंकों को हर वर्ष बजटीय प्रावधान करके अतिरिक्त पूंजी जुटाई जा रही है।