देश का पहला नेवीगेशन सेटेलाइट लांच
भारत का अपना और पहला नेवीगेशनल सेटेलाइट आइआरएनएसएस-1ए सोमवार मध्यरात्रि के करीब श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया जाएगा। इसे समुद्री नौवहन और तटीय सीमा की निगरानी के काम के लिए दूसरे देशों पर निर्भरता खत्म करने की राह में ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।
चेन्नई। भारत का अपना और पहला नेवीगेशनल सेटेलाइट आइआरएनएसएस-1ए सोमवार मध्यरात्रि 11.41 बजे श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित कर दिया गया। इससे पाकिस्तान और चीन भारत की सीधी निगरानी के दायरे में आ गए हैं, क्योंकि यह उपग्रह भारतीय सीमा से 1500 किलोमीटर के दायरे में नजर रखने में सक्षम है। इसे समुद्री नौवहन के लिए दूसरे देशों पर निर्भरता खत्म करने की राह में ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अंतरिक्ष अभियान की अहम कड़ी पीएसएलवी-सी22 रॉकेट के जरिये इसे श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से रात 11.41 बजे छोड़ा गया। प्रक्षेपण के लिए साढ़े चौसठ घंटे की काउंटडाउन शनिवार सुबह 7.11 बजे पर शुरू हुई थी। 44 मीटर लंबे और 1425 किलो वजनी आइआरएनएसएस-1ए (इंडियन रीजनल नेवीगेशन सेटेलाइट सिस्टम) का पहला उपग्रह है। दस साल सेवा देने वाला यह सेटेलाइट भारत और उसके 1500 किमी के दायरे में रियल टाइम पोजीशन और टाइमिंग की सटीक जानकारी देगा। इस सेटेलाइट से धरती, आकाश और समंदर में पड़ोसी देशों की भी सटीक निगरानी की जा सकेगी।
इस श्रृंखला के सात सेटेलाइट 2015 तक चरणबद्ध तरीके से छोड़े जाएंगे। पूरी परियोजना पर 1420 करोड़ रुपये की लागत आएगी। सेटेलाइट से जमीनी, हवाई और समुद्री नेवीगेशन, आपदा प्रबंधन, वाहनों की निगरानी, फ्लीट मैनेजमेंट समेत तमाम फायदे मिलेंगे।
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