विशेष विवाह कानून के प्रावधानों को SC में दी गई चुनौती, शादी और निजता का मौलिक अधिकार बना आधार
याचिका में कहा गया है कि इन प्रावधानों के तहत दो वयस्कों को विवाह से पहले अपना व्यक्तिगत विवरण छानबीन के लिए सार्वजनिक करना होता है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। विशेष विवाह कानून के कुछ प्रावधानों को चुनौती देते हुए गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई। याचिका में कहा गया है कि इन प्रावधानों के तहत दो वयस्कों को विवाह से पहले अपना व्यक्तिगत विवरण छानबीन के लिए सार्वजनिक करना होता है। इससे उनके शादी करने तथा निजता के मौलिक अधिकार प्रभावित होते हैं।
केरल की कानून की छात्रा नंदिनी प्रवीण ने यह जनहित याचिका दायर की है। इसमें कहा गया है, व्यक्तिगत विवरण के प्रकाशन का अक्सर विवाह करने के अधिकार पर असर पड़ता है। दूसरे शब्दों में विवाह करने के इच्छुक युगल को अपने निजता के अधिकार को गंवाना पड़ता है। यह तमाम जोड़ों की स्वायतत्ता, गरिमा और विवाह करने के अधिकारों का अतिक्रमण करता है। याचिका में विशेष विवाह कानून के कई प्रावधानों को चुनौती देते हुए कहा गया है कि यह संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 में प्रदत्त मौलिक अधिकारों का हनन करता है।
रायपुर में सामने आया मामला
सुप्रीम कोर्ट से समलैंगिकता को वैध ठहराए जाने के बाद देश में पहली बार किन्नरों का सामूहिक विवाह छत्तीसगढ़ के रायपुर में हुआ था। इसमें कुल 15 किन्नरों ने पुरुष दूल्हों से शादी की थी। इसका आयोजन राज्य शासन ने किया था। जिसमें प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समेत अन्य मंत्री और अधिकारी शामिल हुए थे। इनमें छत्तीसगढ़ से छह किन्नरों की शादी हुई थी।
अभी शादी के डेढ़ साल ही पूरे होने को है और जानकारी मिल रही है कि एक को छोड़कर बाकि 14 किन्नरों को पतियों ने उन्हें छोड़ दिया है। सिर्फ रायगढ़ की किन्नर अपने पति के साथ रह रही है। बता दें कि बीते 31 मार्च 2019 को रायपुर के पुजारी पार्क में बड़े धूमधाम से किन्नरों की पुरुषों से शादी हुई थी। इसकी जमकर पब्लिसिटी भी की गई थी। एक संस्था के माध्यम से शादी करने के इच्छुक किन्नरों का चयन किया गया था। इनमें छत्तीसगढ़ के अलावा नौ जोड़े महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, गुजरात, बिहार और मध्य प्रदेश के थे।