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जीएम सरसों एक बार फिर से चर्चा में, जानें क्यों हो रहा है इसका विरोध

पंजाब में जीएम सरसों एक बार फिर चर्चा में है। पिछले कुछ दिनों से प्रदेश में गुपचुप तरीके से जीएम सरसों का परीक्षण किए जाने को लेकर काफी चर्चाएं हैं।

By TaniskEdited By: Published: Sat, 24 Nov 2018 07:28 PM (IST)Updated: Sat, 24 Nov 2018 07:28 PM (IST)
जीएम सरसों एक बार फिर से चर्चा में, जानें क्यों हो रहा है इसका विरोध
जीएम सरसों एक बार फिर से चर्चा में, जानें क्यों हो रहा है इसका विरोध

लुधियाना, जागरण संवाददाता। पंजाब में जीएम (जेनेटिकली मॉडिफाइड) सरसों एक बार फिर चर्चा में है। पिछले कुछ दिनों से प्रदेश में गुपचुप तरीके से जीएम सरसों का परीक्षण किए जाने को लेकर काफी चर्चाएं हैं। हालांकि अभी इसके परीक्षण की पुष्टि नहीं हुई है,लेकिन सरसों सत्याग्रह समिति के साथ ही जीएम फसलों का विरोध करने वाली संस्था खेती विरासत मिशन ने इस मामले में मोर्चा खोलने की तैयारी कर ली है। मिशन के कार्यकारी निदेशक उमेंद्र दत्त ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को पत्र लिखकर इसके परीक्षण की मंजूरी न देने की मांग की है। दूसरी तरफ सरसों सत्याग्रह समिति की ओर से चंडीगढ़ स्थित किसान भवन में जीएम सरसों पर पीपल डायलॉग करवाने का फैसला किया गया है।

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उमेंद्र दत्त का कहना है कि पिछले कुछ दिनों से सुनने को मिल रहा है कि केंद्र की जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रेजल कमेटी (जीईएसी) के प्रस्ताव पर पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) की ओर से जीएम सरसों का परीक्षण किया जा सकता है। वे ऐसा नहीं होने देंगे क्योंकि जीएम बीज गैर कुदरती है और यह सेहत के साथ-साथ धरती और वातावरण का भी बड़ा नुकसान करते हैैं। भारत में जीएम सरसों को लाने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि पहले से ही देश में सरसों की बेहतरीन वैरायटी है। जीएम सरसों हमारी परंपरागत सरसों की वैरायटी को खत्म कर देगी। इससे हर्बीसाइड (खर-पतवार नष्ट करने वाली दवा) का प्रयोग बढ़ेगा। अगर सरकार तर्क दे रही है कि देश में खाद्य तेलों की कमी है तो यह सरकार की नीतियों की वजह से है। सरकार किसानों को बढ़ावा दे तो देश में खाद्य तेलों की कमी दूर हो जाएगी। 

तीन साल पहले पीएयू में हुआ था परीक्षण 

पीएयू के एक रिटायर्ड अधिकारी के अनुसार तीन साल पहले जीएम सरसों का परीक्षण किया गया था। पंजाब के अलावा राजस्थान में भी परीक्षण किया गया था। इसके परिणाम अच्छे आए थे। जीएम फसलों से उत्पादकता बढ़ती है। इस फसल की प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है। इनसेक्टीसाइड का इस्तेमाल बहुत घट जाता है। ऐसे में इसे प्रमोट करने में बुराई नहीं है। 

जीएम सरसों से मधुमक्खी पालकों को होगा नुकसान 

पंजाब प्रोग्रेसिव बी कीपर्स एसोसिएशन व मालवा बी कीपर्स एसोसिएशन के सदस्य जगतार सिंह कलेर ने कहा कि शहद की प्रोडक्शन का 93 प्रतिशत एक्सपोर्ट होता है। इसमें यूरोप, यूएसए जैसे देश भी शामिल हैं। यह देश नॉन जीएम शहद लेना पसंद करते हैं। मधुमक्खियां सरसों के फूल पर भी बैठती हैैं। जीएम सरसों की कल्टीवेशन हो या न हो, लेकिन अगर मंजूरी मिल जाती है तो इससे एक्सपोर्ट बंद हो जाएगा। इससे मधुमक्खी पालकों को बहुत नुकसान होगा। इसलिए वह चाहते हैं कि जीएम सरसों के ट्रॉयल को लेकर मंजूरी न दी जाए। 

जीएम सरसों के विरोध में एंटी जीएम क्रॉप्स लॉबी : पांगली   

बोरलॉग फार्मर एसोसिएशन साउथ एशिया के प्रेसीडेंट पवित्रपाल सिंह पांगली कहते हैं कि जीएम टेक्नोलाजी को लेकर झूठा प्रचार किया जा रहा है। इसके पीछे एंटी जीएम क्रॉप्स लॉबी या यूं कह लें कि इनसेक्टीसाइड लॉबी है जो नहीं चाहती कि बीटी या जीएम क्रॉप्स आएं।

अगर जीएम क्रॉप्स आती है, तो दूसरी जीएम फसलों के लिए भी रास्ते खुल जाएंगे। अगर ऐसा होता है, तो इनसेक्टीसाइड बनाने वालों का धंधा चौपट हो जाएगा। जब भी कोई ऐसी जीएम क्रॉप आती है, जिसमें इनसेक्टीसाइड का इस्तेमाल कम होता है, तो एक लॉबी विरोध करना शुरू कर देती है। ऐसा नहीं है कि हमारे मुल्क में जीएम फूड नहीं आ रहा है। हमारे देश व पंजाब में भी लोग पिछले आठ-दस सालों से जीएम ऑयल का सेवन कर रहे हैं। 

डायरेक्ट एग्रीकल्चर पंजाब ने परीक्षण से किया इंकार 

पंजाब के डायरेक्टर एग्रीकल्चर डॉ. जसबीर सिंह बैंस ने सूबे में जीएम सरसों के परीक्षण किए जाने की बात से इंकार किया है। उनका कहना है कि जीएम सरसों के परीक्षण को लेकर कृषि विभाग की ओर से मंजूरी नहीं दी गई है। 

सरकार की गाइडलाइन के बिना नहीं कर सकते परीक्षण : पीएयू 

पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) के अधिकारी कैंपस में जीएम सरसों के परीक्षण करने को लेकर इंकार कर रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि जब तक सरकार की तरफ से किसी तरह की कोई गाइडलाइन नहीं आती, तब तक वह परीक्षण नहीं करते। वर्तमान में जो चर्चाएं हो रही हैं, वह मात्र अफवाह हैं।


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