कुछ ऐसा होगा भव्य राम मंदिर, छः फीट मोटे पत्थर की होंगी दीवारें, संगमरमर का होगी चौखट
विहिप को उम्मीद है कि जल्द ही सरकार मंदिर निर्माण का भी मार्ग प्रशस्त करेगी। ऐसे में यह जानना भी दिलचस्प होगा कि रामजन्मभूमि न्यास का प्रस्तावित मंदिर किस प्रकार का है।
By Vikas JangraEdited By: Published: Wed, 30 Jan 2019 11:03 AM (IST)Updated: Wed, 30 Jan 2019 11:03 AM (IST)
नवनीत श्रीवास्तव, अयोध्या। अधिगृहित परिसर की गैर विवादित जमीन को लेकर केंद्र सरकार की सुप्रीम कोर्ट में ताजा अर्जी की हलचल विहिप समेत मंदिर समर्थक अन्य खेमों में भी है। विहिप को उम्मीद है कि जल्द ही सरकार मंदिर निर्माण का भी मार्ग प्रशस्त करेगी। ऐसे में यह जानना भी दिलचस्प होगा कि रामजन्मभूमि न्यास का प्रस्तावित मंदिर किस प्रकार का है।
मंदिर की खासियतें
- विहिप का प्रस्तावित मंदिर 265 फीट लंबा, 140 फीट चौड़ा और 128 फीट ऊंचा है।
- मंदिर की दीवारें छह फीट मोटे पत्थर की होंगी तो चौखट सफेद संगमरमर की।
- 1991 से संचालित रामजन्मभूमि न्यास कार्यशाला में पत्थर तराशी का 65 फीसदी से अधिक कार्य पूरा हो चुका है।
- प्रथम तल के निर्माण के लिए शिलाएं तैयार हैं। न्यास कार्यशाला में इस मंदिर का मॉडल भी रखा हुआ है।
1989 में बना था मॉडल
1989 में प्रयागराज में हुई विहिप की धर्म संसद में साधु- संतों की सलाह पर इस मॉडल की रूपरेखा बनाई गई थी, जिसे 1989 में अहमदाबाद के आर्किटेक्ट चंद्रकांत भाई सोमपुरा ने तैयार किया था। इस मॉडल में दो मंजिला मंदिर के प्रत्येक तल पर 106 स्तंभ लगने हैं। भूतल के स्तंभ 16.5 फीट ऊंचे हैं। इन स्तंभों के ऊपर तीन फीट मोटे पत्थर की बीम और एक फीट मोटे पत्थर की छत होगी। ऊपर की मंजिल के स्तंभ 14.5 फीट ऊंचे हैं। इसके बाद बीम, छत व शिखर होगा।
अर्जी से जागी उम्मीद
विहिप के प्रांतीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की ताजा अर्जी उम्मीद जगाने वाली है। हमें उम्मीद है कि इसके बाद केंद्र सरकार जल्द ही मंदिर निर्माण का मार्ग भी प्रशस्त करेगी। हमारी मांग भी रही है कि केंद्र सरकार को संसद में कानून बनाकर मंदिर निर्माण की राह सुगम करनी चाहिए।
मंदिर की खासियतें
- विहिप का प्रस्तावित मंदिर 265 फीट लंबा, 140 फीट चौड़ा और 128 फीट ऊंचा है।
- मंदिर की दीवारें छह फीट मोटे पत्थर की होंगी तो चौखट सफेद संगमरमर की।
- 1991 से संचालित रामजन्मभूमि न्यास कार्यशाला में पत्थर तराशी का 65 फीसदी से अधिक कार्य पूरा हो चुका है।
- प्रथम तल के निर्माण के लिए शिलाएं तैयार हैं। न्यास कार्यशाला में इस मंदिर का मॉडल भी रखा हुआ है।
1989 में बना था मॉडल
1989 में प्रयागराज में हुई विहिप की धर्म संसद में साधु- संतों की सलाह पर इस मॉडल की रूपरेखा बनाई गई थी, जिसे 1989 में अहमदाबाद के आर्किटेक्ट चंद्रकांत भाई सोमपुरा ने तैयार किया था। इस मॉडल में दो मंजिला मंदिर के प्रत्येक तल पर 106 स्तंभ लगने हैं। भूतल के स्तंभ 16.5 फीट ऊंचे हैं। इन स्तंभों के ऊपर तीन फीट मोटे पत्थर की बीम और एक फीट मोटे पत्थर की छत होगी। ऊपर की मंजिल के स्तंभ 14.5 फीट ऊंचे हैं। इसके बाद बीम, छत व शिखर होगा।
अर्जी से जागी उम्मीद
विहिप के प्रांतीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की ताजा अर्जी उम्मीद जगाने वाली है। हमें उम्मीद है कि इसके बाद केंद्र सरकार जल्द ही मंदिर निर्माण का मार्ग भी प्रशस्त करेगी। हमारी मांग भी रही है कि केंद्र सरकार को संसद में कानून बनाकर मंदिर निर्माण की राह सुगम करनी चाहिए।
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