गरीबों के कैशलेस इलाज के लिए सरकार ने बीमा कंपनियों से मांगा प्रस्ताव
आयुष्मान भारत से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की सभी स्वास्थ्य बीमा कंपनियों को अपना-अपना प्रस्ताव भेजने को कहा गया है।
नीलू रंजन, नई दिल्ली। आयुष्मान भारत के तहत गरीबों को पांच लाख रुपये सालाना की कैशलेस चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने स्वास्थ्य बीमा कंपनियों से प्रस्ताव मांगा है। कंपनियां को साफ कर दिया गया है कि गरीब परिवार को पांच लाख रुपये तक कैशलेस चिकित्सा उपलब्ध कराना होगा, जिसमें अस्पताल, जांच, दवाई समेत सारे खर्च शामिल है। अब स्वास्थ्य बीमा कंपनियों को यह बताना है कि इस पर कितना खर्च आएगा और वह इसके तहत किन-किन बीमारियों को कवर करने के लिए तैयार है।
आयुष्मान भारत से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की सभी स्वास्थ्य बीमा कंपनियों को अपना-अपना प्रस्ताव भेजने को कहा गया है। सभी के प्रस्तावों पर विचार करने के बाद स्वास्थ्य बीमा कंपनियों के साथ अलग-अलग इलाकों और अलग-अलग बीमारियों के इलाज के लिए अनुबंध किया जाएगा।
गौरतलब है कि अलग-अलग बीमारियों के संबंधित 1300 पैकेज का मसौदा सरकार पहले ही तैयार कर चुकी है। स्वास्थ्य बीमा कंपनियों को इन्हीं पैकेज के तहत गरीब लोगों को कैशलेस इलाज उपलब्ध कराना होगा। सरकार का अनुमान है कि पांच लाख रूपये का कैशलेस इलाज के लिए प्रति परिवार 1000-1200 रुपये का खर्च आएगा। लेकिन प्रीमियम की असली लागत का पता स्वास्थ्य बीमा कंपनियों के प्रस्ताव आने के बाद ही लग पाएगा।
गौरतलब है कि वित्तमंत्री अरुण जेटली ने बजट में आयुष्मान भारत के तहत दो नई योजनाओं की घोषणा की थी। इनमें एक 10 करोड़ गरीब परिवारों को सालाना पांच लाख रूपये तक की कैशलेस इलाज उपलब्ध कराना और आम लोगों के दरवाजे तक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए 1.5 करोड़ आरोग्य केंद्र खोलना है। इनमें कैशलेस इलाज की योजना पर तेजी से काम चल रहा है। अभी तक 29 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों ने इस लागू करने पर अपनी सहमति दे दी है। बाकि बचे राज्यों से बातचीत चल रही है। सरकार की कोशिश इस महत्वाकांक्षी योजना को इसी साल 15 अगस्त से लागू करने की है।
देश की लगभग 40 फीसदी आबादी को कैशलेस चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने वाली इस योजना में केंद्र सरकार 60 फीसदी का अंशदान करेगी। जबकि पूर्वोत्तर और तीन पहाड़ी राज्यों में केंद्र का योगदान 90 फीसदी होगा। केंद्र शासित प्रदेशों में इस योजना का पूरा भार केंद्र सरकार वहन करेगी। वैसे राज्यों को इस योजना को लागू करने में ट्रस्ट या बीमा कंपनी का रास्ता अपनाने की छूट दी गई है। लेकिन राज्यों ने अभी तक बीमा कंपनियों के मार्फत इसे लागू करने में रूचि अधिक दिखाई है।