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'मूक' समाज को आवाज देकर उसके 'नायक' बने आंबेडकर : प्रो. द्विवेदी

‘बाबा साहेब आंबेडकर की पत्रकारिता का राष्ट्र निर्माण में योगदान’ विषय पर बोलते हुए प्रो. द्विवेदी ने कहा कि ‘मूकनायक’ से लेकर ‘प्रबुद्ध भारत’ तक बाबा साहेब की पत्रकारिता की यात्रा एक संकल्प को सिद्ध करने का वैचारिक आग्रह है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Tue, 15 Dec 2020 06:13 PM (IST)Updated: Tue, 15 Dec 2020 06:13 PM (IST)
'मूक' समाज को आवाज देकर उसके 'नायक' बने आंबेडकर : प्रो. द्विवेदी
भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी

नई दिल्ली,जेएनएन। बाबा साहेब आंबेडकर द्वारा प्रकाशित सबसे पहला समाचार पत्र मूकनायक था। इस समाचार पत्र के नाम में ही उनका व्यक्तित्व छिपा हुआ है। मेरा मानना है कि वे मूक समाज को आवाज देकर ही उसके 'नायक' बने। यह विचार भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने मंगलवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शैक्षणिक संगठन विद्या भारती द्वारा आयोजित प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन में व्यक्त किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता संघ के संयुक्त क्षेत्र प्रचार प्रमुख  कृपाशंकर ने की।

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‘बाबा साहेब आंबेडकर की पत्रकारिता का राष्ट्र निर्माण में योगदान’ विषय पर बोलते हुए प्रो. द्विवेदी ने कहा कि ‘मूकनायक’ से लेकर ‘प्रबुद्ध भारत’ तक बाबा साहेब की पत्रकारिता की यात्रा एक संकल्प को सिद्ध करने का वैचारिक आग्रह है। अपनी पत्रकारिता के माध्यम से उन्होंने दलितों एवं सवर्णों के मध्य बनी भेद-भाव, ऊंच-नीच और सामाजिक विषमता की खाई को पाटने का काम किया।

उन्होंने कहा कि बाबा साहेब के विचारों का फलक बहुत बड़ा है। यह सही है कि उन्होंने वंचित और अछूत वर्ग की बात रखी, लेकिन उनका मानवतावादी दष्टिकोण हर वर्ग को छूता है। आंबेडकर की पत्रकारिता हमें यह सिखाती है कि जाति, वर्ण, धर्म, संप्रदाय जैसी शोषणकारी प्रवृत्तियों के प्रति समाज को आगाह करने और उन्हें इन सारे पूर्वाग्रहों से मुक्त करने की कोशिश ईमानदारी से की जानी चाहिए।

प्रो. द्विवेदी ने कहा कि आंबेडकर एक महान संप्रेषक थे। भारतीय मीडिया के बारे में उनके विचार और पत्रकार के तौर पर उनका आचरण, आज भी उन लोगों के लिए आदर्श है, जो मीडिया का मानव विकास के उपकरण के रूप में उपयोग करना चाहते हैं। प्रो. द्विवेदी के मुताबिक मौजूदा परिस्थितियों में आंबेडकर का जीवन हमें युग परिवर्तन का बोध कराता है। आज हमारे लिए चिंता की बात यह है कि संपूर्ण समाज का विचार करने वाले और सामाजिक उत्तरदायित्व को मानने वाले आंबेडकर जैसे पत्रकार मिलना मुश्किल हैं।

इस अवसर पर कार्यक्रम के अध्यक्ष  कृपाशंकर ने कहा कि बाबा साहेब का मानना था कि समाचार-पत्रों को ऐसी सर्वसमावेशक भूमिका लेनी चाहिए, जिससे सारी जातियों का कल्याण हो सके। यदि वे यह भूमिका नहीं लेते हैं, तो सबका अहित होगा। आज मीडिया को भी इसी प्रकार अपनी भूमिका का निर्वहन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत रत्न से सम्मानित आंबेडकर राष्ट्र के उन सच्चे सेवकों में से एक थे, जिन्होंने देश के निर्माण में अभूतपूर्व योगदान दिया।


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