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जानें पूर्व सीएम को बंगला आंवटन को लेकर विभिन्न राज्यों में क्या है नियम

सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश दिया है उससे कुछ न कुछ राजनीतिक हलचल होने के आसार साफतौर पर दिखाई दे रहे हैं। आईये विभिन्‍न राज्‍यों के पूर्व सीएम को लेकर लागू नियमों पर एक नजर डालते हैं

By Kamal VermaEdited By: Published: Mon, 07 May 2018 05:40 PM (IST)Updated: Tue, 08 May 2018 10:52 AM (IST)
जानें पूर्व सीएम को बंगला आंवटन को लेकर विभिन्न राज्यों में क्या है नियम
जानें पूर्व सीएम को बंगला आंवटन को लेकर विभिन्न राज्यों में क्या है नियम

नई दिल्‍ली [स्‍पेशल डेस्‍क]। पूर्व मुख्‍यमंत्रियों को आवंटित बंगले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश दिया है उससे कुछ न कुछ राजनीतिक हलचल होने के आसार साफतौर पर दिखाई दे रहे हैं। ऐसा इसलिए भी है क्‍योंकि पिछली बार जब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में आदेश दिया था उसके बाद तत्‍कालीन प्रदेश की अखिलेश सरकार ने तुरंत नया कानून पेश कर दिया था, जिसके तहत पूर्व सीएम को आजीवन सरकारी बंगले में रहने का अधिकार मिल गया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को खारिज कर दिया है। यह फैसला इस लिहाज से भी खास है क्‍योंकि विभिन्‍न राज्‍यों में इसको लेकर एक समान नियम नहीं हैं। ऐसा भी नहीं है कि सभी राज्‍य के पूर्व सीएम सरकारी बंगलों में ही रह रहे हों। तो आईये विभिन्‍न राज्‍यों के पूर्व सीएम को लेकर लागू नियमों पर एक नजर डालते हैं :-

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हिमाचल प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों के लिए सरकारी बंगले आवंटित करने का प्रावधान नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल सरकारी आवास में रह रहे हैं, पर यह आवास उनके पास तब से है जब वह पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में विपक्ष के नेता थे। भाजपा सरकार ने उन्हें यह आवास 31 मई तक रखने की अनुमति दी है। हिमाचल में पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकार की तरफ से सुरक्षा गार्ड व पीए मिलते हैं।

उत्तराखंड में पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला आवंटित करने का प्रावधान नहीं है। तीन साल पहले हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार पूर्व मुख्यमंत्रियों ने बंगले खाली कर दिए थे। विधानसभा ने सरकारी बंगले की व्यवस्था को बनाए रखने के लिए कोई नियम नहीं बनाया है।

पश्चिम बंगाल में पूर्व मुख्यमंत्रियों को अवास आवंटित नहीं है। ज्योति बसु को आवास मिला था लेकिन उनके निधन के बाद उसे बंगाल सरकार ने संग्रहालय बना दिया। यहां तक कि बंगाल में मुख्यमंत्री आवास भी नहीं है। बुद्धदेव भट्टाचार्य मुख्यमंत्री रहते हुए भी भाड़े के फ्लैट में रहे और अब भी वहीं रह रहे हैं।

पंजाब में भी पूर्व मुख्यमंत्री को सरकारी आवास देने का प्रावधान है । यह प्रावधान काफी समय पहले से है लेकिन 2002 के कार्यकाल के दौरान तब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस प्रावधान को खत्म कर दिया था जिसे बाद में प्रकाश सिंह बादल ने फिर से बहाल करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री राजिंदर कौर भट्ठल को सरकारी आवास उपलब्ध करवाया। अब जब 2017 में दोबारा कैप्टन अमरिंदर सिंह सत्ता में आए हैं तो उन्होंने प्रकाश सिंह बादल को भी पूर्व मुख्यमंत्री होने के नाते सरकारी कोठी ऑफर की थी लेकिन प्रकाश सिंह बादल ने इसे लेने से इंकार कर दिया। वह इस समय विधायक होने के नाते फ्लैट में ही रह रहे हैं जबकि राजिंदर कौर भट्ठल जो इस समय विधायक भी नहीं है वह पूर्व मुख्यमंत्री के रुप में मिली हुई कोठी में रह रही हैं।

झारखंड में सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास आवंटित है।

छत्तीसगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्री एक ही हैं अजीत जोगी। उनके पास सरकारी आवास है।

बिहार में सभी जीवित पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास आवंटित है।

हरियाणा में भी पूर्व मुख्यमंत्री को सरकारी बंगला आवंटित करने का प्रावधान नहीं है। हरियाणा में पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला आवंटित करने का फैसला भूपिंदर सिंह हुडा की सरकार ने किया था। वर्ष 2014 में हरियाणा के मुख्यमंत्री बनने के बाद मनोहर लाल खट्टर ने इस फैसले को रद्द कर दिया था। वर्तमान में हरियाणा में पूर्व मुख्यमंत्रियों के लिए सरकारी बंगला आवंटित करने का प्रावधान नहीं है।

जम्‍मू कश्‍मीर में पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास उपलब्ध करवाने का अपना एक्ट है। गुलाम नबी आजाद सरकार के समय पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास, प्राइवेट सेक्रेटरी उपलब्ध करवाने का कानून पास किया था। इस समय राज्य में तीन पूर्व मुख्यमंत्री हैं। इनमें कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद, नेशनल कांफ्रेंस के प्रधान डा. फारूक अब्दुल्ला और कार्यवाहक प्रधान उमर अब्दुल्ला शामिल हैं। आजाद इस समय राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं। उनके पास जम्मू में सरकारी आवास भी हैं। वहीं डा. फारूक अब्दुल्ला इस समय लोक सभा के सांसद और उमर अब्दुल्ला राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं। मगर उनके पास सरकारी आवास नहीं है।

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