यूपीए सरकार ने रिन्यू किया था फारुक टकला का पासपोर्ट, होगी जांच
फारुक टकला ने तमाम प्रतिबंधों को धता बता कर आखिर किस तरह से भारतीय पासपोर्ट का रिनीवल करवा लिया, इसकी जांच बड़े स्तर पर शुरु कर दी गई है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। भारत से फरार दुर्दांत अपराधी दाउद इब्राहिम के करीबी सहयोगी फारुक टकला ने तमाम प्रतिबंधों को धता बता कर आखिर किस तरह से भारतीय पासपोर्ट का रिनीवल करवा लिया, इसकी जांच बड़े स्तर पर शुरु कर दी गई है। क्या किसी राजनीतिक नेता की मदद से टकला को नये पासपोर्ट की सुविधा मिली? अब विदेश मंत्रालय ने इसकी जांच शुरु करवाई है। इस बारे में मीडिया में सूचना आने के बाद विदेश मंत्रालय ने दुबई स्थित काउंसलर से पूरी जानकारी मांगी है। वैसे पूरी सच्चाई सामने आने में अभी वक्त लगेगा लेकिन इस मामले ने पासपोर्ट और वीजा देने को लेकर बरती जा रही सावधानियों पर कुछ सवाल जरूर उठा दिया है।
टकला को गुरुवार को दुबई से भारत लाया गया है। यहां आते ही सीबीआइ ने उसे गिरफ्तार कर लिया है। अब यह सूचना सामने आई है कि वर्ष 1995 से फरार टकला के पासपोर्ट को वर्ष 2011 में रिन्यू किया गया है। कुछ मीडिया में यह खबरें भी आई है कि जिस दिन उसने दुबई स्थित वाणिज्य दूतावास में पासपोर्ट के नवीकरण के लिए आवेदन किया उसके अगले ही दिन उसका काम हो गया। लेकिन सवाल यह है कि टकला या उसके जैसे अन्य अपराधियों को फर्जी पासपोर्ट जारी न हो, इसको लेकर भारत सरकार की कोई नीति है या नहीं? अगर ऐसी नीति है तो क्या वह इतनी कमजोर है कि एक अंतरराष्ट्रीय भगोड़ा अपराधी भी उसमें सेंध लगा सकता है?
इस बारे में पूछने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार का कहना है कि हमारे पास पासपोर्ट या वीजा जारी करने का एक तरीका है जिसका हर देश में पालन होता है। यह भी साफ है कि फारुख टकला एक भगौड़ा थी। जिसकी भारत को तलाश थी। हमने दुबई स्थित अपने वाणिज्य दूतावास को जानकारी देने को कहा है। उन्होंने यह भी बताया कि टकला को लेकर भारत और संयुक्त अरब अमीरात की सरकार के साथ लगातार संपर्क बना हुआ था। इस वजह से ही टकला का प्रत्यपर्ण संभव हो पाया है।
उधर, जांच एजेंसियों ने टकला के पुराने संबंधों की जांच-पड़ताल नए सिरे से शुरु की है। जांच एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक मुंबई बम धमाके में टकला की भूमिका बहुत अहम थी। उसने न हमले में शामिल विभिन्न व्यक्तियों तक जरुरी रकम पहुंचाने का काम किया था बल्कि धमाके करने वालों, उसके लिए बम तैयार करने वालों आदि के ठहरने आदि का भी इंतजाम किया था। इसके प्रमुख साजिशकर्ता दाउद इब्राहिम अपने सगे-संबंधियों को दुबई होते हुए पाकिस्तान चला गया लेकिन टकला मुंबई धमाके के बाद दुबई में ही रहा। हालांकि उसका पाकिस्तान से लगातार आना जाना लगा रहा है।
दुबई में पहले 15-20 वर्षो तक उसके लिए कोई परेशानी पैदा नहीं हुई है लेकिन पिछले कुछ वर्षो में यह तय हो गया था कि अब उसके लिए ज्यादा दिनों तक बच कर रहना मुश्किल है। इसके लिए भारत और यूएई के बीच बेहद मजबूत हो रहे रिश्ते सबसे अहम वजह हैं। यूएई में भारत के पूर्व राजदूत के सी सिंह का कहना है किवर्ष 2002 के बाद से ही दुबई सरकार बेहद सहयोगात्मक रवैया अपना रही है। दुबई से अभी तक आठ बड़े अपराधियों को भारत लाया जा चुका है।