सुप्रीम कोर्ट में विमानन कंपनियों का तर्क, रिफंड दिया तो कंपनियां भरभराकर गिर जाएंगी
निजी विमानन कंपनी गोएयर की ओर से पेश वकील अरविंद दातार ने सुप्रीम कोर्ट में अफनी बात रखते हुए कहा कि विमानन कंपनियां भरभराकर गिर जाने के कगार पर हैं। ऐसे में यात्रियों को रिफंड देना अनिवार्य नहीं बनाया जाना चाहिए।
नई दिल्ली, आइएएनएस। विमानन कंपनियों पर इतना अधिक वित्तीय दबाव है कि वे यात्रियों की बुकिंग रकम लौटाने में भी आनाकानी करने लगी हैं। हालांकि उस रकम के एवज में यात्रियों द्वारा भविष्य में कभी यात्रा करने का मौका देने से उन्हें कोई दिक्कत नहीं है।
विमानन कंपनियों ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में एक सुर से दलील दी कि उनका राजस्व बहुत ज्यादा घट गया है। इसलिए उन पर यात्रियों को अनिवार्य रूप से रिफंड देने का दबाव नहीं बनाया जाए। इसके अलावा बहुत से यात्रियों ने खुशी-खुशी विमानन कंपनियों की यह पेशकश स्वीकार की है कि वे रिफंड योग्य रकम के एवज में भविष्य में यात्रा कर सकते हैं।
निजी विमानन कंपनी गोएयर की ओर से पेश वकील अरविंद दातार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि विमानन कंपनियां भरभराकर गिर जाने के कगार पर हैं। ऐसे में यात्रियों को रिफंड देना अनिवार्य नहीं बनाया जाए। एयरएशिया व एयर विस्तारा की ओर से पेश वकील पिनाकी मिश्रा ने भी कहा कि विमानन निदेशक रिफंड के लिए दबाव नहीं डाल सकता।
नागरिक विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने सुप्रीम कोर्ट को हलफनामा दायर कर कहा है कि जिन यात्रियों ने लॉकडाउन की अवधि में टिकट बुक कराए, उन्हें तत्काल रिफंड मिलना चाहिए। वहीं, जिन लोगों ने लॉकडाउन से पहले टिकट बुक कराए, उन्हें रिफंड में ब्याज समेत लौटाने संबंधी नियमों का पालन करना चाहिए।