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जेल में गूंज रहे उम्मीदों के तराने; गाना सीख रहे कैदी, ऑर्केस्ट्रा बनाने की है योजना

कैदियों का कहना है कि गाने के प्रशिक्षण से वे अपने जीवन में बदलाव महसूस कर रहे हैं। उनके मन में अपराध बोध तो है लेकिन जेल से छूटने के बाद वे नए जीवन की शुरूआत करना चाहते हैं।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Thu, 01 Aug 2019 07:50 PM (IST)Updated: Thu, 01 Aug 2019 07:56 PM (IST)
जेल में गूंज रहे उम्मीदों के तराने; गाना सीख रहे कैदी, ऑर्केस्ट्रा बनाने की है योजना
जेल में गूंज रहे उम्मीदों के तराने; गाना सीख रहे कैदी, ऑर्केस्ट्रा बनाने की है योजना

अमित कसेरा, उज्जैन। केंद्रीय जेल भैरवगढ़ की चहारदीवारी के बीच मन में अपराध बोध और पश्चाताप लिए कैदी इन दिनों जिंदगी से नई आस लगा रहे हैं। जेल की दैनिक चर्या के साथ-साथ ये बंदी उम्मीदों के तराने गाते सुने जा सकते हैं। 

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जेल प्रशासन भी कैदियों में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहा। एक जेल प्रहरी ही कैदियों को संगीत का प्रशिक्षण दे रहा है। कैदियों का सपना है कि जेल से आजाद होने के बाद वे अपना ऑर्केस्ट्रा शुरू करेंगे। 

भैरवगढ़ जेल में इन दिनों 2550 कैदी हैं। इनमें हत्या, जानलेवा हमले सहित अन्य गंभीर अपराध के सजायाफ्ता बंदी भी शामिल हैं। दो महीने पहले जेल प्रहरी राजेश उम्मेदकर को पता लगा कि जेल में बंद कुछ कैदी अच्छा गा लेते हैं। उम्मेदकर खुद भी संगीत के शौकीन हैं, इसके चलते उन्होंने जेल अधिकारियों से चर्चा कर कैदियों को जेल में ही संगीत प्रशिक्षण देने का अनुरोध किया। अधिकारी मान गए और क्लास शुरू हो गई। जरूरत पड़ी तो लैपटॉप के साथ-साथ कुछ उपकरण भी मंगा लिए गए। 

इन दिनों 24 कैदी रोज सुबह 11 से दोपहर 1 बजे तक गाने का अभ्यास करते हैं। गाना सुनकर टेस्ट कैदियों को गाना सिखाने से पहले उनकी आवाज अच्छी है या नहीं, यह जानने के लिए पहले उनसे एक-दो गीत गाने को कहा जाता है। अच्छा गाने वाले बंदी को नियमित अभ्यास करवाया जाता है।

कैदियों का कहना है कि इस तरह के प्रशिक्षण से वे अपने जीवन में बदलाव महसूस कर रहे हैं। उनके मन में अपराध बोध तो है, लेकिन जेल से छूटने के बाद वे नए जीवन की शुरूआत करना चाहते हैं। संगीत से उन्हें सकारात्मक ऊर्जा मिल रही है। 

ऑर्केस्ट्रा बनाने की योजना जेल प्रहरी राजेश के अनुसार कुछ कैदी सजा पूरी होने के बाद जल्दी ही जेल से छूटने वाले हैं। बाहर आने पर उन्हें उपयुक्त मंच मिल सके, इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। आर्केस्टा तैयार करने की भी योजना है, ताकि जेल के बाहर अच्छा जीवन जी सकें। हालांकि प्रशिक्षण लेने वाले कैदियों की सजा पूरी होने में अभी कुछ वर्ष और बाकी हैं। 

स्वतंत्रता दिवस पर दे सकते हैं प्रस्तुति
जेल अधीक्षक अलका सोनकर ने बताया कि गाना सीखने वाले कैदी इस साल स्वतंत्रता दिवस पर कालिदास अकादमी में होने वाले संगीत आयोजन में अपनी प्रस्तुति दे सकते हैं। जेल प्रशासन इसके लिए पुरजोर प्रयास कर रहा है। उन्हें विधिवत प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है। बकायदा दो घंटे की क्लास प्रतिदिन लगाई जा रही है। इससे उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव होगा। प्रशासन इसमें पूरा सहयोग कर रहा 

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