कोरोना वैक्सीन को बौद्धिक संपदा बंधन से मुक्त कराने पर पीएम मोदी ने मांगा साथ, ईयू का रुख रहा सकारात्मक
पीएम मोदी को यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल द्वारा विशेष आमंत्रित के रूप में निमंत्रण भेजा गया था। भारत-यूरोपीय संघ के नेताओं की बैठक पुर्तगाल के प्रधानमंत्री एंटोनियो कोस्टा द्वारा आयोजित की गई है। पीएम मोदी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बैठक में शामिल हुए।
नई दिल्ली, जयप्रकाश रंजन। भारत और यूरोपीय संघ (ईयू) के सभी 27 सदस्यों के बीच शनिवार को हुई पहली शिखर वार्ता को दोनों तरफ के नेताओं ने ऐतिहासिक करार दिया है। वार्ता मुख्य तौर पर मौजूदा कोरोना महामारी और द्विपक्षीय कारोबारी रिश्तों के आसपास केंद्रित रही। कोरोना के संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूरोपीय संघ के देशों से वैक्सीन को डब्लूटीओ के तहत बौद्धिक संपदा अधिकार से मुक्त कराने की अपनी मुहिम में समर्थन की मांग की। ईयू की तरफ से इस पर सकारात्मक संकेत देते हुए कहा गया कि इस पर बात की जाएगी। वैसे कई सदस्य देशों ने पूर्व में इस प्रस्ताव को लेकर अपनी चिंता भी जताई है।
बैठक में एक अहम फैसला यह किया गया कि भारत और ईयू के बीच मुक्त व्यापार व निवेश सुरक्षा समझौता किया जाएगा। इसके लिए जल्द ही वार्ता का दौर नए सिरे से शुरू होगा। इस बारे में दोनों देशों के बीच बातचीत तकरीबन छह वर्ष चलने के बाद वर्ष 2013 में स्थगित हो गई थी। इस शिखर वार्ता की अहमियत इस बात से समझी जा सकती है कि ईयू ने इस तरह की बैठक अभी तक सिर्फ अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ पिछले महीने की थी। बैठक में जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों से लेकर ईयू के मौजूदा अध्यक्ष देश पुर्तगाल के भारतवंशी प्रधानमंत्री एंटोनियो कोस्टा समेत सभी राष्ट्र प्रमुख उपस्थित थे। अगर कोरोना की दूसरी लहर से भारत की ऐसी स्थिति नहीं होती तो प्रधानमंत्री मोदी इस बैठक में हिस्सा लेने के लिए पुर्तगाल में होते। दोनों पक्षों की तरफ से शनिवार की बैठक को ऐतिहासिक करार दिया गया। यह दोनों पक्षों की तरफ से घोषित संयुक्त बयान से साफ भी होता है।
कुछ महीने पहले जब ईयू और चीन के बीच कारोबार व निवेश समझौता हुआ था, तब कहा गया था कि यूरोपीय देशों ने भारत के बजाय चीन को महत्व दिया है। लेकिन शनिवार को जारी संयुक्त बयान के संकेत हैं कि कारोबार व निवेश के मामले में ही नहीं बल्कि बदलते वैश्विक स्वरूप, पर्यावरण, कनेक्टिविटी और समुद्रिक रणनीति के मामले में भी ईयू और भारत अन्य देशों के मुकाबले ज्यादा साझा हित देख रहे हैं।
यूरोपीय देशों की तरफ से मिले सहयोग का पीएम मोदी ने किया समर्थन
प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना से लड़ाई में यूरोपीय देशों की तरफ से मिले सहयोग का समर्थन किया और आग्रह किया कि जिस तरह अमेरिका ने भारत व दक्षिण अफ्रीका के प्रस्ताव का स्वागत किया है, ईयू भी आगे बढ़े। ईयू के कई देशों ने भी पिछले वर्ष भारत की तरफ से मिली मदद के लिए आभार जताया। वैक्सीन को ट्रिप्स समझौते से बाहर करने के बारे में आगे बातचीत के बाद ही ईयू फैसला करेगा। दोनों पक्षों के बीच तीन तरह के समझौतों पर वार्ता शुरू करने की सहमति बनी है। इसमें सबसे पहले वार्ता कारोबार समझौते को अंतिम रूप देने के लिए होगी। इसमें एक दूसरे के बाजार को कृषि उत्पादों व श्रम के लिए ज्यादा खोलने जैसे संवेदनशील मुद्दों पर सहमति बनाई जाएगी। निवेश सुरक्षा समझौते पर अलग से बात होगी।
भारत पहला देश है जिसके साथ यूरोपीय संघ ने इस तरह का किया समझौता
पहले दोनों पक्षों के बीच इन दोनों के लिए एक ही समझौता करने पर बात हो रही थी। उद्देश्य यह है कि पहले कारोबारी समझौते को अंतिम रूप दे दिया जाए। इन दोनों समझौतों के अलावा जियोग्राफिकल इंडिकेशंस (जीआइ) पर अलग से समझौता होगा। बहरहाल, दोनों देशों की तरफ से सतत और विस्तृत कनेक्टिविटी साझेदारी से जुड़े एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम का ऐलान किया गया है। यह दोनों पक्षों के बीच लोकतांत्रिक मूल्यों, अंतरराष्ट्रीय कानूनों का सम्मान और अंतरराष्ट्रीय बाध्यताओं को पूरा करने की साझेदारी को मजबूत करेगा। भारत पहला देश है जिसके साथ यूरोपीय संघ ने इस तरह का समझौता किया है। भारत और यूरोपीय संघ के नेताओं के बीच अफगानिस्तान और ईरान परमाणु समझौते जैसे दूसरे मुद्दों पर भी बात हुई। इन दोनों मुद्दों पर दोनों पक्षों की समान नीति है।