आजादी के बाद सबसे कम समय में अंतरिक्ष में मानव अभियान वाले दूसरे गणतंत्र होंगे हम
रूस ने आजादी के महज चार दशकों में इस उपलब्धि को पा लिया जबकि अमेरिका को 18 दशक लगे। इस लिहाज से भारत के सात दशक देश की कामयाबी की कहानी बयां करते हैं।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। 72वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से भाषण देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 से पहले किसी भारतीय को अंतरिक्ष में भेजने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि आजादी के 75 साल पूरे होने या उससे पहले हम यह उपलब्धि हासिल कर लेंगे। अब तक रूस, चीन और अमेरिका के नाम ही यह उपलब्धि है। रूस ने आजादी के महज चार दशकों में इस उपलब्धि को पा लिया जबकि अमेरिका को सबसे ज्यादा 18 दशक लगे। चीन नौ दशक में मानव अभियान भेज पाया। इस लिहाज से भारत के सात दशक देश की कामयाबी की कहानी बयां करते हैं।
सोवियत संघ
1917 में रूसी क्रांति के बाद 30 दिसंबर, 1922 में सोवियत संघ अस्तित्व में आया। विज्ञान व तकनीक के क्षेत्र में तरक्की करते हुए इस देश ने 1957 में दुनिया का पहला कृत्रिम उपग्रह स्पूतनिक अंतरिक्ष में छोड़ा। आजादी मिलने के 39 वर्ष बाद यानी 1961 में यूरी गागरिन अंतरिक्ष में जाने वाले पहले व्यक्ति बने। सोवियत संघ ने उन्हें वोस्टॉक-1 में रवाना किया। अब तक वोस्टॉक, वोस्खोड और सोयूज प्रोग्राम के तहत 74 मानव अभियान रवाना कर चुका है।
अमेरिका
ब्रिटेन से आजादी पाने के लिए 1775-83 के बीच अमेरिकी क्रांति हुई। 4 जुलाई 1776 को अमेरिका को आजादी मिली। इसके 185 वर्ष बाद 5 मई, 1961 में अमेरिका ने प्रोजेक्ट मरकरी में एलन बी शेपर्ड को अंतरिक्ष रवाना किया। अब तक नासा 200 से भी अधिक मानव अभियान अंतरिक्ष भेज चुका है। 20 जुलाई, 1969 को नासा ने चंद्रमा पर पहले व्यक्ति को उतारा।
चीन
तकरीबन चार हजार वर्ष तक चीन पर राज करने के बाद 1912 में किंग साम्राज्य का अंत हुआ। चीन गणराज्य की स्थापना हुई। इसके 91 वर्ष बाद 15 अक्टूबर, 2003 में चीन ने शिंझोउ-5 में यांग लिवेई को भेजकर अपने मानव अभियान का शुभारंभ किया।
जब राकेश शर्मा ने बनाया इतिहास
हालांकि भारत अब तक अंतरिक्ष में मानव अभियान नहीं भेज पाया है लेकिन अंतरिक्षयात्री राकेश शर्मा के नाम अंतरिक्ष जाने वाले पहले भारतीय होने की उपलब्धि दर्ज है। उन्होंने सोवियत संघ के सोयूज टी-11 में 2 अप्रैल, 1984 को अंतरिक्ष की उड़ान भरी।
फर्श से अर्श तक का सफर
आज भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में अमेरिका और रूस को टक्कर दे रहा है, लेकिन एक वक्त था जब हम तकनीक और उपग्रह लांच कराने के लिए इन्हीं देशों पर निर्भर थे। देश का पहला रॉकेट केरल के थुंबा में एक चर्च से छोड़ा गया। इस रॉकेट को साइकिल पर रखकर लाया गया। इस रॉकेट के हिस्से नासा ने भेजे थे जिन्हें बैलगाड़ी पर रखकर लांच साइट पर लाया जाता था। इसरो के गठन के शुरुआती दिनों में मूलभूत सुविधाएं भी नहीं थीं। आर्यभट्ट उपग्रह को लांच करने के दौरान टॉयलेट को डाटा रिसीविंग सेंटर बनाया गया था।
भारत की अंतरिक्ष उड़ान
1969 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का गठन हुआ।
1975 में देश का पहला उपग्रह आर्यभट्ट रूस के वोल्गोग्राड लांच स्टेशन से रूसी रॉकेट पर लांच हुआ।
1983 में इसरो ने संचार और प्रसारण के उद्देश्य से इनसैट नामक नौ उपग्रहों का समूह लांच किया।
1993 से अब तक पीएसएलवी ने 40 देशों के 40 से अधिक उपग्रहों को लांच किया है।
2008 में चंद्रयान के लांच होने के साथ भारत चंद्रमा अभियान भेजने वाले छह राष्ट्रों के क्लब में शामिल हो गया।
2014 में पहले प्रयास में ही सफलतापूर्वक मंगलयान लांच किया। अमेरिका के मंगल मिशन में हुए खर्च की तुलना में इसमें महज दसवां भाग खर्च हुआ।
2016 में सिर्फ 95 करोड़ रुपये में स्पेस शटल रियूजेबल व्हीकल लांच किया।
2016 में एक साथ 20 उपग्रह लांच करके रिकॉर्ड कायम किया।
देश का अपना सेटेलाइट नेवीगेशन सिस्टम आइआरएनएसएस तैयार किया।
2017 में सफलतापूर्वक जीएसएलवी एमके3 का परीक्षण किया। इससे 2020 तक अंतरिक्ष में मानव भेजा जा सकता है।
इसरो ने एक ही बार में 104 उपग्रह लांच कर नया कीर्तिमान बनाया।