क्या पेट्रोल और डीजल की कीमत हो सकती है समान, सुप्रीम कोर्ट ने केद्र सरकार से पूछा
अदालत दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की स्थिति पर सुनवाई कर रही है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या पेट्रोल और डीजल का मूल्य समान हो सकता है? शीर्ष अदालत ने यह सवाल इन्वॉयरमेंट पॉल्यूशन कंट्रोल अथॉरिटी (ईपीसीए) की इस रिपोर्ट के बाद किया है कि डीजल वाहन वायु प्रदूषण के बड़े कारण हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पेट्रोल और डीजल के समान मूल्य का सवाल सड़क पर चलने वाले सभी डीजल वाहनों की बाबत पूछा है। देश में पेट्रोल की तुलना में डीजल की कीमत कुछ कम है। ज्यादातर भारी वाहन डीजल से चालित हैं। अदालत दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की स्थिति पर सुनवाई कर रही है।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने सुझाव दिया कि सरकार मालवाही वाहनों से इतर डीजल और पेट्रोल वाहनों के लिए अलग से भी कीमत तय कर सकती है। पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अधिवक्ता से कहा कि वह सभी सरकारी और गैर सरकारी के लिए पेट्रोल और डीजल के समान मूल्यों के निर्देश जारी कर सकते हैं। न्याय मित्र के रूप में अदालत में पेश हुईं अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने डीजल वाहनों से होने वाले प्रदूषण पर चिंता जताई। इस पर पीठ ने कहा, सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्यूफैक्चरर्स कहता है कि डीजल वाहन प्रदूषण नहीं फैलाते। संस्था प्रदूषण को लेकर अपने मानक बदलने की बात कहती है। सुनवाई के दौरान डीजल वाहनों के प्रदूषण फैलाने के तर्क को सही साबित करने के लिए जर्मनी का उदाहरण दिया गया। इस यूरोपीय देश में डीजल वाहनों से फैलने वाले प्रदूषण के कारण उन्हें प्रतिबंधित कर दिया गया है। वाहन निर्माताओं की ओर से पेश वकील ने कहा, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लिए तय ईंधन के मानक बीएस-6 से डीजल वाहनों से प्रदूषण की समस्या का समाधान हो जाएगा। यह ईंधन अप्रैल 2019 से इस्तेमाल होगा। बावजूद इसके पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 14 का उदाहरण देते हुए कहा, सरकार जनहित में पेट्रोल और डीजल की दरें समान करने पर विचार कर सकती है।
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