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बदले-बदले से नजर आएंगे साहब, राष्‍ट्रपति कम CEO की भूमिका में दिखेंगे चिनफ‍िंग

चीनी राष्‍ट्रपति चिनफ‍िंग राष्‍ट्र प्रमुख से ज्‍यादा कपंनी के सीइओ के रूप में होगी। इस यात्रा का लक्ष्‍य व्‍यापार के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करना और अवरोधों को दूर करना भी शामिल।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Fri, 11 Oct 2019 10:46 AM (IST)Updated: Fri, 11 Oct 2019 02:39 PM (IST)
बदले-बदले से नजर आएंगे साहब, राष्‍ट्रपति कम CEO की भूमिका में दिखेंगे चिनफ‍िंग
बदले-बदले से नजर आएंगे साहब, राष्‍ट्रपति कम CEO की भूमिका में दिखेंगे चिनफ‍िंग

नई दिल्‍ली, जागरण स्‍पेशल। चीन के राष्‍ट्रपति शी चिनफ‍िंग की यह यात्रा राजनीतिक कम और व्‍यापारिक ज्‍यादा है। इस यात्रा में उनकी भूमिका राष्‍ट्रपति से ज्‍यादा एक कपंनी के सीइओ के रूप में होगी। इस यात्रा का मकसद व्‍यापार के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करने के साथ व्‍यापारिक अवरोधों को दूर करना भी शामिल है। जाहिर है इस बैठक में चीन अपने निवेश को बढ़ाने पर जोर देगा। चीन यह भी उम्‍मीद करेगा कि यहां चीन की कंपनियों के लिए उचित, अनुकूल और सुविधाजनक व्‍यावसायिक माहौल मुहैया हो। ऐसे में लाजमी है कि भारत-चीन सीमा विवाद समेत तमाम मुद्दों को दरकिनार करते हुए व्‍यावसायिक क्षेत्र में आगे बढ़ेंगे।  

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1- माना जा रहा है क‍ि भारत और चीन की जटिल सीमा विवाद उसके व्‍यापारिक सहयोग में बाधा नहीं बनेंगे। पिछले कई दशकों से भारत-चीन सीमा पर एक भी गोलीबारी की घटना नहीं हुई है। सीमा पर शांति कायम है। दोनों देशों के लिए यह एक शुभ संकेत है।  

2- कई चीन की कंपनियों ने औद्योगिक पार्कों, ई-कामर्स, और अन्‍य क्षेत्रों में निवेश कर रखा है। चीन का भारत में कुल निवेश आठ अरब डालर है। 1,000 से अधिक चीनी कंपनियों ने भारत में निवेश कर रखा है। इसके चलते  यहां 2,00,000 स्थानीय नौकरियों के अवसर सृजित हुए हैं।

3- चीन दक्षिण एशिया में लंबे समय से भारत का सबसे बड़ा व्‍यापारिक साझेदार है। 21वीं सद की शुरुआत के बाद से द्विपक्षीय व्‍यापार 32 गुना बढ़कर करीब 100 अरब अमेरिकी डालर तक पहुंच गया है, जो एक वक्‍त तीन अरब डालर था। चीन का भारत के साथ  घटता व्‍यापार चिंता का विषय है।  

सीमा विवाद पर ड्रैगन के बदले सुर 

सीमा से जुड़े जट‍िल और पुराने विवाद पर चीन का रुख बदला-बदला सा नजर आया। चीन की मौजूदा चिंता सीमा विवाद नहीं है, इसलिए उसने बहुत आसानी से यह कहा कि पड़ोसियों से मतभेद होना सामान्‍य सी बात है। इस क्रम में उसने कहा कि बड़ी बात यह है कि उन्‍हें कैसे ठीक से संभाला जाए और वार्ता के जरिए उनका निस्‍तारण किया जाए। चीन की मौजूदा मान्‍यता यह है कि सीमा का सवाल चीन-भारत संबंधों का केवल हिस्‍सा है।

 क्‍या है चीन का एजेंडा 

1- सीमा विवाद के चलते द्विपक्षीय संबंधों की प्रगति को प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा। 

2- बदलते हुए अंतरराष्‍ट्रीय परिदृष्‍य में भारत-चीन की समान और साझा चुनौतियां हैं। 

3- दोनों देशों की एकजुटता समय की मांग है।  भारत और चीन के लिए यह बेहतरीन मौका है। ।

4- चीन और भारत को अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मामलों में संचार और समन्वय को मजबूत करना चाहिए। 

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