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नोटबंदी के बाद देश के लोगों में ईमानदारी बढ़ी: राष्ट्रपति

रामनाथ कोविंद ने देशवासियों को स्वतंत्रता के 70 साल पूरे होने पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि स्वतंत्र भारत का सपना, हमारे गांव, गरीब और देश के समग्र विकास का सपना था।

By Manish NegiEdited By: Published: Mon, 14 Aug 2017 07:14 PM (IST)Updated: Mon, 14 Aug 2017 09:27 PM (IST)
नोटबंदी के बाद देश के लोगों में ईमानदारी बढ़ी: राष्ट्रपति
नोटबंदी के बाद देश के लोगों में ईमानदारी बढ़ी: राष्ट्रपति

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है कि कालेधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ नोटबंदी के कदम का जनता ने पूरा समर्थन किया है। साथ ही नोटबंदी की वजह से देश में ईमानदारी की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिला है। 71वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने पहले संबोधन में राष्ट्रपति ने नोटबंदी के दौरान लोगों के धैर्य की भी प्रशंसा की। राष्ट्रपति ने 'न्यू इंडिया' में विकास के लक्ष्यों को हासिल करने की बात तो कही ही। साथ ही यह भी कहा कि 'न्यू इंडिया' को भारत के मानवतावादी मूल्यों के डीएनए को भी आत्मसात करने की जरूरत है। जिसमें न तो बेटा-बेटी और न ही धर्म के आधार पर कोई भेदभाव हो।

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राष्ट्रपति ने अपने सारगर्भित संबोधन में कहा कि 'न्यू इंडिया' एक ऐसा समाज होना चाहिए जो भविष्य में तेजी से बढ़ने के साथ-साथ संवेदनशील भी हो। उन्होंने कहा कि सरकारी नियुक्तियों और खरीद में भ्रष्टाचार को खत्म कर सरकार पारदर्शिता पर जोर दे रही है। राष्ट्र निर्माण में किसानों से लेकर जवानों की भूमिका का जिक्र करते हुए कोविंद ने कहा कि 'न्यू इंडिया' में गरीबी के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। इसलिए आधुनिक टेक्नोलॉजी के सहारे एक ही पीढ़ी के दौरान गरीबी मिटाने का लक्ष्य हासिल करना होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर रसोई गैस सब्सिडी छोड़ने वाले एक करोड़ लोगों की पहल का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने उनके योगदान को सलाम किया। उन्होंने कहा कि इन लोगों ने किसी सरकारी आदेश से नहीं बल्कि स्वेच्छा से सब्सिडी का त्याग किया। राष्ट्रपति ने इस उदाहरण से तमाम लोगों के प्रेरणा लेने की बात कहकर शिक्षा से लेकर सामाजिक क्षेत्र में अपने स्तर पर राष्ट्र निर्माण में योगदान करने की सलाह दी।

स्वच्छ भारत अभियान के जरिये खुले में शौच की प्रथा खत्म करने, इंटरनेट शिक्षा और असमानता को दूर करने, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के जरिये बेटियों के साथ भेदभाव खत्म करने जैसे सरकार के कदमों का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि इसमें जनता की भागीदारी जरूरी है। लोगों की भूमिका ही असमानताओं को दूर कर इन क्षेत्रों में लक्ष्य हासिल करने में मदद करेगी। राष्ट्रपति ने कहा कि कानून का पालन करने वाले समाज का निर्माण हम सभी की जिम्मेदारी है।

राष्ट्रपति कोविंद ने गांव की एक बेटी की शादी को पूरे गांव की जिम्मेदारी की पुरानी परंपरा का जिक्र करते हुए समाज में घटते अपनेपन का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि आज शहरों में स्थिति बिल्कुल अलग है और बहुत से लोगों को सालों तक पता ही नहीं होता कि उनके पड़ोस में कौन रहता है। इसलिए गांव हो या शहर आज समाज में उसी अपनत्व और साझेदारी की भावना को पुन: जगाने की जरूरत है।

राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में महात्मा गांधी के साथ-साथ स्वाधीनता संघर्ष में क्रांतिकारियों और महान नेताओं के योगदान को भी याद किया। खास बात यह रही कि कोविंद ने गांधी, सुभाषचंद्र बोस, बाबा साहब अंबेडकर और सरदार पटेल के साथ पंडित नेहरू की भूमिका का भी उल्लेख किया। राष्ट्रपति ने नेहरू का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने हमें सिखाया कि भारत की सदियों पुरानी विरासतें और परंपराएं, जिन पर हमें आज भी गर्व है, उनका टेक्नोलॉजी के साथ तालमेल संभव है और वे परंपराएं आधुनिक समाज के निर्माण में सहायक हो सकती हैं।

बता दें कि राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद कोविंद के सेंट्रल हॉल में पहले संबोधन में नेहरू का जिक्र नहीं करने पर कांग्रेस ने ऐतराज जताया था।

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