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राष्ट्रपति कोविंद ने किया सुप्रीम कोर्ट की नई बिल्डिंग का उद्घाटन, इस अहम मौके पर कही यह बात!

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सात साल में पूरी हुई सुप्रीम कोर्ट की नई बिल्डिंग का उद्घाटन किया।

By Nitin AroraEdited By: Published: Wed, 17 Jul 2019 06:07 PM (IST)Updated: Wed, 17 Jul 2019 10:28 PM (IST)
राष्ट्रपति कोविंद ने किया सुप्रीम कोर्ट की नई बिल्डिंग का उद्घाटन, इस अहम मौके पर कही यह बात!
राष्ट्रपति कोविंद ने किया सुप्रीम कोर्ट की नई बिल्डिंग का उद्घाटन, इस अहम मौके पर कही यह बात!

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने हिन्दी सहित नौ प्रादेशिक भाषाओं में फैसले उपलब्ध कराने पर सुप्रीम कोर्ट की सराहना की है। राष्ट्रपति ने प्रादेशिक भाषाओं में अनुवादित 100 फैसलों का शुभारंभ करते हुए कहा कि प्रादेशिक भाषाओं में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के फैसले उपलब्ध हों यह उनकी दिली इच्छा थी।

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प्रादेशिक भाषाओं में फैसले उपलब्ध होने से जिन लोगों को अंग्रेजी नहीं आती वे लोग भी फैसले समझ सकेंगे। यह सुनिश्चित करना हमारा लक्ष्य होना चाहिए कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के ज्यादा से ज्यादा फैसले प्रादेशिक भाषाओं में उपलब्ध हों।

राष्ट्रपति ने ये बात बुधवार को प्रगति मैदान स्थित सुप्रीम कोर्ट की नयी बिल्डिंग का उद्घाटन करने के दौरान कही। उन्होंने कहा कि पहले जिन लोगों को अंग्रेजी समझ नहीं आती थी वे फैसला समझने के लिए वकील के पास जाते थे और उन्हें उसकी फीस देनी होती थी।

राष्ट्रपति ने कहा कि लक्ष्य ज्यादा से ज्यादा फैसले प्रादेशिक भाषा में उपलब्ध कराने का होना चाहिए। संवैधानिक मुद्दों से जुड़े फैसले भी इन भाषाओं में उपलब्ध होने चाहिए। वह मानते है कि अनुवाद लंबा काम है लेकिन इसमें भी तकनीकि का सहारा लिया जा सकता है।

इसके अलावा राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम के सरकार के साथ मिल कर न्यायाधीशों की नियुक्ति करने और सुप्रीम कोर्ट की 31 न्यायाधीशों की पूर्ण क्षमता करने के लिए भी सराहना की। राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट की पर्यावरण अनुकूल सोलर एनर्जी से लैस नयी इमारत की भी सराहना की।

इस मौके पर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने अधीनस्थ अदालतों में जजों की भर्ती के लिए आल इंडिया ज्युडिशियल सर्विस की वकालत करते हुए कहा कि इससे मेधावी और पिछड़े वर्ग के काबिल लोगों को न्यायपालिका मे आने का मौका मिलेगा।

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने सुप्रीम कोर्ट को संवैधानिक मूल्यों का पहरेदार बताते हुए कहा कि कई बार ऐसे मौके आये जब सुप्रीम कोर्ट ने संवैधानिक ढांचे को नुकसान पहुंचने से टाला है। अभी यह सब बताने का अवसर नहीं है बस इतना कहना पर्याप्त होगा कि न्याय की पुकार के प्रति इस संस्था की प्रतिबद्धता कभी कम नहीं होगी उससे कोई समझौता नहीं होगा। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट हमेशा चौबीसों घंटे पूरे साल तत्पर रहता है और रहेगा।

पर्यावरण अनुकूल सोलर एनर्जी से लैस है सुप्रीम कोर्ट की नई बिल्डिंग
सुप्रीम कोर्ट की नयी इमारत मे बहुत सी खूबियां हैं। यहां बिजली की 40 फीसद जरूरत सौर ऊर्जा से पूरी होगी। 1800 कारों की क्षमता की तीन स्तरीय पार्किग है। यहां सुप्रीम कोर्ट का रिर्काड रूम, लाइब्रेरी, वकीलों के चैम्बर के अलावा आडिटोरियम और मल्टीपरपस हाल है। हालांकि अदालतें पुरानी बिल्डिंग में ही लगेंगी। नयी बिल्डिंग से पुरानी बिल्डिंग तक जाने के लिए तीन भूमिगत रास्ते हैं।


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