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बेकाबू भीड़ की हिंसा के खिलाफ राष्ट्रपति ने उठाई मुखर आवाज

राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की यह टिप्पणी कथित गोमांस विवाद को लेकर ट्रेन में फरीदाबाद के एक युवक की भीड़ द्वारा की गई हत्या के ताजा प्रकरण के संदर्भ से जोड़ कर देखी जा रही है।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Sat, 01 Jul 2017 09:21 PM (IST)Updated: Sat, 01 Jul 2017 09:23 PM (IST)
बेकाबू भीड़ की हिंसा के खिलाफ राष्ट्रपति ने उठाई मुखर आवाज
बेकाबू भीड़ की हिंसा के खिलाफ राष्ट्रपति ने उठाई मुखर आवाज

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने अनियंत्रित भीड़ द्वारा खुलेआम की जा रही हत्याओं पर बेहद गंभीर चिंता जाहिर की है। राष्ट्रपति ने बेकाबू भीड़ की लगातार बढ़ती ऐसी हरकतों की ओर सीधे इशारा करते यह सवाल उठाया है कि क्या हमारी व्यवस्था के बुनियादी वसूलों के प्रति हम सजग हैं? प्रणव ने कहा कि अगर हम ऐसी घटनाओं पर सजग नहीं होंगे तो हमारी अगली पीढ़ी हमसे यह हिसाब मांगेगी कि हमने क्या किया।

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राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की यह टिप्पणी कथित गोमांस विवाद को लेकर ट्रेन में फरीदाबाद के एक युवक की भीड़ द्वारा की गई हत्या के ताजा प्रकरण के संदर्भ से जोड़ कर देखी जा रही है। राष्ट्रपति ने जवाहर लाल नेहरू द्वारा स्थापित कांग्रेस के अखबार नेशनल हेराल्ड के आजादी के 70 साल पर प्रकाशित विशेष संस्करण की लांचिंग के मौके पर यह बात कही। प्रणव ने कहा कि आए दिन समाचार पत्रों में बेकाबू भीड़ द्वारा हत्या की घटनाएं सामने आ रही हैं। ऐसे में यह सवाल उठाना लाजिमी है कि क्या हम इतने सजग हैं कि हमारे संविधान के बुनियादी उसूल कायम रहे।

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प्रणव ने मीडिया और समाचार पत्रों के संपादकों की विशेष सजगता को लोकतंत्र में अपरिहार्य बताते हुए कहा कि आपका काम कभी खत्म नहीं होने वाला। क्योंकि लोकतंत्र की बुनियाद आप हैं और यदि मीडिया तथा सामान्य नागरिक सजग हैं तो वे इस तरह के अंधियारे के खिलाफ वे सबसे बड़ी प्रतिरोधी ताकत हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि खान-पान समेत अन्य मुद्दों के नाम पर की जा रही सजगता पर न बोलते हुए यही कहेंगे कि हमें अगर सजग होना है तो भूख, गरीबी और सामाजिक असामनता के खिलाफ सजगता चाहिए। उन्होंने देश में सभी धर्मो और संप्रदायों के साथ क्षेत्रीय और भाषायी विविधता के बावजूद लोगों के एक राष्ट्र के रुप में सहज जीवन को संविधान की अमूल्य देन करार दिया।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमारा संविधान केवल शासन का विधान नहीं बल्कि सामाजिक और आर्थिक समरसता को सुनिश्चित करने वाला मैग्नाकार्टा है। प्रणव ने इस दौरान आजादी के आंदोलन में नेशनल हेराल्ड अखबार की बड़ी भूमिका का भी जिक्र किया। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस मौके पर राष्ट्रपति को नेशनल हेराल्ड के 70 साल के विशेष संस्करण के प्रकाशन की पहली प्रति भेंट की।

सोनिया गांधी ने भी इससे पहले अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि देश में लगातार बढ़ रही असहिष्णुता और दिखावे के खिलाफ खड़ा होने की जरूरत है। भाजपा और संघ का नाम लिए बिना सोनिया ने निशाने साधते हुए कहा कि जिनका आजादी के इतिहास से कोई सरोकार नहीं रहा वे हमारी आजादी के महापुरूषों की विरासत को मिटाने या घटाने की कोशिश कर रहे हैं। साथ ही जो उनके विचारों से सहमत नहीं है उनको दबाव या दूसरे हथकंडों के जरिए चुप किया जा रहा है।

उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा शासन में प्रेस की आवाज को भी दबाया जा रहा है और उसे आज्ञाकारी बनाया जा रहा है। सोनिया ने कहा कि हम क्या खायें और क्या पीएं, किससे मिले-जुले यह कोई और तय कर ऐसी व्यवस्था बनाने की कोशिश हो रही है। ऐसे में मौजूदा हालात में देश एक बार फिर दोराहे है पर है और अगर अब हम नहीं इसके खिलाफ बोलेंगे तो हमारी चुप्पी को मूक सहमति मान ली जाएगी।


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