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फर्जीवाड़ा कर बना डेंटल कौंसिल का अध्यक्ष, सीबीआइ ने कसा शिकंजा

दिब्येंदु मजुमदार ने फर्जी तरीके से खुद को झारखंड के एक डेंटल कालेज का विजिटिंग प्रोफेसर दिखाया था, जो सही नहीं है।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Wed, 22 Feb 2017 08:07 PM (IST)Updated: Wed, 22 Feb 2017 10:47 PM (IST)
फर्जीवाड़ा कर बना डेंटल कौंसिल का अध्यक्ष, सीबीआइ ने कसा शिकंजा
फर्जीवाड़ा कर बना डेंटल कौंसिल का अध्यक्ष, सीबीआइ ने कसा शिकंजा

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भ्रष्टाचार के तालाब के बड़े मगरमच्छों के खिलाफ सीबीआइ का अभियान जारी है। दो दिन में तीन वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बाद सीबीआइ ने डेंटल कौंसिल आफ इंडिया (डीसीआइ) के अध्यक्ष पर शिकंजा कस दिया है। आरोप है कि डीसीआइ का दोबारा अध्यक्ष बनने के लिए दिब्येंदु मजुमदार ने फर्जीवाड़ा किया था। उन्होंने खुद को झारखंड के एक डेंटल कालेज का विजिटिंग प्रोफेसर दिखाया था, जो सही नहीं है।

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सीबीआइ मजुमदार के साथ-साथ इस फर्जीवाड़े की साजिश रचने के लिए उस कालेज के अध्यक्ष दिनेश प्रसाद सिंह, नीलांबर पीतांबर विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति फिरोज अहमद और कौंसिंल के सदस्य सचिव एसके ओझा को भी आरोपी बनाया है। दरअसल डीसीआइ के नियम के मुताबिक अध्यक्ष वही बन सकता है, जो उसका सदस्य हो और सदस्य होने के लिए किसी विश्वविद्यालय के मान्यता प्राप्त डेंटल कालेज में प्रोफेसर होना जरूरी होता है। मजुमदार का अध्यक्ष के रूप में कार्यकाल 31 मई 2015 को खत्म हो रहा था और साथ ही उनकी सदस्यता भी खत्म हो रही थी।

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सीबीआइ की एफआइआर के अनुसार दोबारा सदस्य बनने के लिए मजुमदार ने बड़ी साजिश रची। इसके लिए उन्होंने झारखंड के गढ़वा स्थित वनांचल डेंटल कालेज व अस्पताल की बीडीएस सीटें दोगुनी करने की अनुमति दे दी। जबकि विशेषज्ञ समिति ने इस कालेज में कई तरह की कमी होने की रिपोर्ट थी। अध्यक्ष के रूप में उन्होंने इस रिपोर्ट को दरकिनार कर दिया। इसके साथ ही मजुमदार ने कालेज को एमडीएस की सीटें भी दे दी। बदले में कालेज ने उन्हें अपने यहां विजिटिंग प्रोफेसर दिखा दिया और पलामू के नीलांबर पीतांबर विश्वविद्यालय के कुलपति फिरोज अहमद से इसपर मुहर भी लगवा ली।

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विजिटिंग प्रोफेसर का तमगा मिलने के बाद वे नीलांबर पीतांबर विश्वविद्यालय की ओर से डीसीआइ का सदस्य बन गए। खास बात यह है कि डीसीआइ के सदस्य सचिव एसके ओझा सारे तथ्यों से अवगत होने के बावजूद मजुमदार को दोबारा अध्यक्ष बनने दिया। सीबीआइ की जांच में साफ हो गया है कि मजुमदार कभी भी उस कालेज में विजिटिंग प्रोफेसर नहीं रहे हैं। सीबीआइ ने एफआइआर दर्ज करने के बाद आरोपियों के ठिकानों पर छापा मारा और अहम दस्तावेज बरामद होने का दावा किया है।


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