राष्ट्रपति ने 1965 की जंग के योद्धाओं को सम्मानित किया
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मंगलवार को 1965 में पाकिस्तान से हुई जंग के योद्धाओं को सम्मानित किया। छह से 23 सितंबर तक चले युद्ध में विजय के 50 साल पूरे होने पर कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।
नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मंगलवार को 1965 में पाकिस्तान से हुई जंग के योद्धाओं को सम्मानित किया। छह से 23 सितंबर तक चले युद्ध में विजय के 50 साल पूरे होने पर कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इसी सिलसिले में उसके जांबाज सैनिकों का सम्मान किया गया।
राष्ट्रपति भवन में एक छोटे लेकिन शानदार समारोह में प्रणब मुखर्जी ने सबसे पहले पूर्व वायुसेनाध्यक्ष अर्जन सिंह को सम्मानित किया। वह 1965 की जंग के समय देश के वायु सेना प्रमुख थे। 96 साल के अर्जन सिंह अपना नाम पुकारे जाने के बाद राष्ट्रपति की तरफ छड़ी के सहारे चल कर गए और उन्हें सैल्यूट किया। इसके बाद वह लौटकर अपनी सीट पर बैठ गए। युद्ध के दौरान राष्ट्र के लिए अपने जीवन का बलिदान करने वाले तीन अन्य योद्धाओं को भी सम्मानित किया गया। इनके घरवालों ने राष्ट्रपति से सम्मान ग्रहण किया। ये तीन योद्धा हैं- हवलदार वीर अब्दुल हमीद, लेफ्टिनेंट कर्नल आर्देशिर तारापोर और फायरमैन चमनलाल। चमनलाल ने सामानों से लदी और लोगों से भरी एक रेलगाड़ी को बचाया था।
राष्ट्रपति ने इस मौके पर पूर्व सैनिकों के सम्मान में चाय पार्टी का भी आयोजन किया। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, लोकसभाध्यक्ष सुमित्रा महाजन, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी और तीनों सेनाओं के प्रमुख मौजूद थे।
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पूर्व सैनिकों ने किया बहिष्कार
जंतर-मंतर पर आज जश्न, निराशा और गुस्से का मिलाजुला माहौल था। 1965 की जीत का जश्न मनाने के बावजूद अपनी मांगों के अनुरूप 'वन रैंक वन पेंशन' लागू नहीं किए जाने से नाराज कुछ पूर्व सैनिकों ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित सम्मान समारोह का बहिष्कार किया। उन्होंने राष्ट्रपति भवन से मिले आमंत्रण पत्र को भी आग के हवाले कर दिया। 1965 और 1971 के युद्ध में भाग ले चुके विनोद नेब ने कहा कि सरकार ने 'वन रैंक वन पेंशन' को हमारी मांगों के अनुरूप लागू नहीं किया है। इसलिए हमने सम्मान समारोह का बहिष्कार करने का फैसला किया है।
मोदी ने शहीदों को दी श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने युद्ध में शहीद होने वाले सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने अमर जवान ज्योति पर पुष्पांजलि अर्पित कर शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने आगंतुक पुस्तिका पर लिखने के अलावा कुछ पूर्व सैनिकों से बात भी की। उधर, लोकसभाध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने युद्ध स्मारक प्रदर्शनी को स्थायी रूप देने का सुझाव दिया है। अपनी पुत्री के साथ राजपथ के लॉन में लगी प्रदर्शनी 'शौर्याजलि' देखने गई सुमित्रा ने कहा कि आनेवाली पीढ़ी को इसके बारे में बताने के लिए इसे स्मारक के रूप में बदल दिया जाना चाहिए।