राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने थपथपाई वित्तमंत्री अरुण जेटली की पीठ
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि कई साल बाद लेखानुदान पेश नहीं किया गया। याद नहीं आता कि कितने साल बाद ऐसा हुआ है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। बजट प्रक्रिया 31 मार्च तक पूरा करने और लेखानुदान नहीं लाने के लिए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने वित्त मंत्री अरुण जेटली की पीठ थपथपाई है। कई सालों के बाद यह पहला मौका है जब लेखानुदान लाने की आवश्यकता नहीं पड़ी।
राष्ट्रपति बोले, 'मैं वित्त मंत्री को बजट प्रक्रिया, सभी व्यय प्रस्ताव और वित्त विधेयक से जुड़े सभी मामलों को 31 मार्च तक संसद के दोनों सदनों से मंजूरी दिलाने के लिए बधाई देता हूं।' प्रणब ने कहा कि कई साल बाद लेखानुदान पेश नहीं किया गया। याद नहीं आता कि कितने साल बाद ऐसा हुआ है। नए वित्त वर्ष के लिए बजट के पारित न होने पर लेखानुदान पेश किया जाता है। इस अंतरिम व्यवस्था के तहत जरूरी खर्च के लिए देश की संचित निधि से धन निकासी की खातिर संसद से मंजूरी ली जाती है। मुखर्जी राष्ट्रपति भवन में लकी ग्राहक योजना और डिजि धन व्यापार योजना के 'मेगा ड्रा' के बाद बोल रहे थे।
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परंपरा को तोड़ते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने इस साल बजट एक महीने पहले एक फरवरी को पेश किया। अब तक इसे 28 फरवरी या माह की अंतिम तारीख को पेश किया जाता था। इस कदम का मकसद नए वित्त वर्ष की शुरुआत से ही निवेश चक्र शुरू करने में सरकार की मदद करना है। करीब एक सदी से रेल बजट को अलग से पेश करने की चली आ रही परंपरा को भी समाप्त किया गया। इसे आम बजट के साथ मिला दिया गया। राष्ट्रपति ने 12 अंकों वाली विशिष्ट पहचान संख्या आधार का जिक्र करते हुए कहा कि यह देश की विकास की कहानी में 'ऐतिहासिक घटना' है।
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राष्ट्रपति ने कहा, 'आधार युक्त भुगतान प्रणाली से डिजिटल भुगतान उन लोगों के लिए भी संभव हुआ है जिनके पास मोबाइल फोन नहीं है। भारत को नकदी रहित समाज बनने के लिए लंबा रास्ता तय करना है। नकदी में कमी लाने की आवश्यकता है। साथ ही पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षित डिजिटल भुगतान के तरीकों को बढ़ावा देने की जरूरत है। सरकार ने पिछले साल नवंबर में 500 और 1000 के पुराने नोटों को बंद करने के बाद देश में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय किए।