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इस्तीफे के बाद भी बच नहीं पाएंगे इलाहाबाद विवि के कुलपति हांगलू, राष्ट्रपति ने दिए जांच के निर्देश

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति के पद से हांगलू की भले ही विदाई हो चुकी है लेकिन उसके कच्चे चिट्ठे राष्ट्रपति भवन से लेकर मंत्रालय तक को चौंका रहे है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Fri, 03 Jan 2020 08:20 PM (IST)Updated: Fri, 03 Jan 2020 10:39 PM (IST)
इस्तीफे के बाद भी बच नहीं पाएंगे इलाहाबाद विवि के कुलपति हांगलू, राष्ट्रपति ने दिए जांच के निर्देश
इस्तीफे के बाद भी बच नहीं पाएंगे इलाहाबाद विवि के कुलपति हांगलू, राष्ट्रपति ने दिए जांच के निर्देश

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रतनलाल हांगलू के इस्तीफे को स्वीकार कर लिया है। इसके साथ ही उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न सहित सभी तरह की अनियमितताओं के लगे आरोपों की उच्चस्तरीय जांच के निर्देश दिए है। वहीं राष्ट्रपति के इस निर्देश के बाद मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने आनन-फानन में यूजीसी (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) के चेयरमैन की अगुवाई में पूरे मामले की जांच के लिए एक तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर दी है। जिसे तत्काल जांच शुरु करने के निर्देश दिए गए है।

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हांगलू पर गड़बडि़यों को लेकर कई गंभीर आरोप हैं

मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने बुधवार को ही इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति रहे हांगलू का इस्तीफा मिलने के बाद उसे तुरंत राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेज दिया था। मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक राष्ट्रपति ने शुक्रवार को उनके इस्तीफे को स्वीकार कर लिया है। हांगलू पर वित्तीय अनियमितताओं सहित प्रशासनिक और शैक्षणिक गड़बडि़यों को लेकर भी गंभीर आरोप हैं। हालांकि इनमें सबसे गंभीर आरोप यौन उत्पीड़न का है। जिसे लेकर पिछले दिनों राष्ट्रीय महिला आयोग ने उन्हें तलब किया था। साथ ही इसे लेकर एक अंतरिम रिपोर्ट प्रधानमंत्री और मानव संसाधन विकास मंत्रालय को भी दी थी। माना जा रहा है कि इसके बाद हांगलू पर इस्तीफे को लेकर दबाव बढ़ा था।

हांगलू इस्तीफे के बाद भी आरोपों से बच नहीं पाएंगे, जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित

हालांकि वह इस्तीफा देकर अपने ऊपर लगे पूरे आरोपों से बरी होना चाहते हैं, लेकिन राष्ट्रपति भवन और मानव संसाधन विकास मंत्री ने जिस तरह से उन्हें लेकर सख्त रूख दिखाया है, उसे देखते हुए साफ है, कि वह इस्तीफे के बाद भी आरोपों से बच नहीं पाएंगे। वहीं जांच के लिए गठित कमेटी में यूजीसी चेयरमैन प्रोफेसर डीपी सिंह के अतिरिक्त जो दो अन्य सदस्य शामिल किए गए है, उनमें गुजरात केंद्रीय विवि के कुलपति प्रोफेसर रमाशंकर दूबे और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विवि अमरकंटक( मध्य प्रदेश) के कुलपति प्रोफेसर श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी को शामिल किया गया है।

इलाहाबाद विवि के कुलपति हांगलू ने एक जनवरी 2020 को इस्तीफा दिया था

बता दें कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर हांगलू ने एक जनवरी 2020 को मानव संसाधन विकास मंत्रालय को व्यक्तिगत कारण बताते हुए इस्तीफा दिया था। हालांकि इसे मंत्रालय ने तत्काल मंजूर करते हुए राष्ट्रपति भवन को मंजूरी के लिए भेज दिया था।

विवि के वरिष्ठ प्रोफेसर को अब मिलेगा कुलपति का जिम्मा

राष्ट्रपति से हांगलू के इस्तीफे को मंजूरी मिलने के बाद मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने उसकी जगह विश्वविद्यालय के सबसे वरिष्ठ प्रोफेसर को कुलपति का जिम्मा सौंपने के निर्देश दिए है। मंत्रालय ने इस संबंध में विश्वविद्यालय प्रशासन को भी अवगत करा दिया था। इसके साथ ही मंत्रालय ने नए कुलपति की नियुक्ति को लेकर भी जल्द ही प्रक्रिया शुरु करने के संकेत दिए है।

यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए हांगलू ने बनाई थी एक सदस्यीय कमेटी

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति के पद से हांगलू की भले ही विदाई हो चुकी है, लेकिन उसके कच्चे चिट्ठे राष्ट्रपति भवन से लेकर मंत्रालय तक को चौंका रहे है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक हांगलू के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच कर रहे राष्ट्रीय महिला आयोग ने फिलहाल जो अंतरिम रिपोर्ट दी है, उसके तहत कुलपति के पद पर रहते हुए हांगलू ने अपने ऊपर लगे यौन उत्पीड़न की जांच सिर्फ एक सदस्यीय कमेटी से कराई थी। जिसने बाद में उन्हें पूरी तरह से बेदाग बताते हुए बरी कर दिया था।

कमेटी बगैर कोई बयान लिए ही हांगलू को बरी करते हुए रिपोर्ट सौंप दी थी

चौंकाने वाले बात यह है कि जांचकर्ता अपनी पूरी जांच के दौरान शिकायतकर्ता को खोज नहीं पाए थे। आखिर में उसका बगैर कोई बयान लिए ही हांगलू को बरी करते हुए रिपोर्ट सौंप दी थी। इसके साथ ही विश्वविद्यालय में यौन उत्पीड़न से जुड़े मामलों की जांच के लिए कोई कमेटी भी गठित नहीं थी। जो काफी बड़ा मामला है। जबकि सरकार के निर्देशों के मुताबिक प्रत्येक संस्थान को यौन उत्पीड़न से जुड़े मामलों की जांच के लिए एक कमेटी का गठन होना जरूरी है।


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