अपराध की शिकायत दर्ज करने की समयसीमा बढ़ाने की तैयारी ताकि कोई न रहे न्याय से वंचित
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक कई बार ऐसी शिकायतें आती हैं कि जो देरी के कारण नजरअंदाज कर हो जाती हैं।
माला दीक्षित, नई दिल्ली। शिकायत में देरी होने के कारण कोई भी पीडि़त न्याय से वंचित न रहे। उसकी बात सुनी जाए उसे न्याय जरूर मिले सरकार इसी जुगत में लगी है। इसके लिए अपराध की शिकायत दर्ज करने की समय सीमा बढ़ाने की तैयारी हो रही है। इस बारे में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने एक प्रस्ताव कानून मंत्रालय को भेजा है। इसके अलावा महिला एवं बाल विकास मंत्रालय बाल यौन उत्पीड़न के शिकार बच्चों के वयस्क होने के बाद शिकायत दर्ज करा सकने के कानूनी प्रावधान पर भी मंथन कर रहा है।
- महिला बाल विकास मंत्रालय ने कानून मंत्रालय को भेजा समय सीमा बढ़ाने का प्रस्ताव
- बाल यौन उत्पीड़न में बालिग होने के बाद शिकायत दर्ज करा सकने पर भी हो रहा है मंथन
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक कई बार ऐसी शिकायतें आती हैं कि जो देरी के कारण नजरअंदाज कर हो जाती हैं। ऐसे में किसी कारणवश जल्दी शिकायत न करा सके पीडि़त न्याय से वंचित रह जाते हैं। इन्हीं चीजों को ध्यान में रखते हुए मंत्रालय ने एक प्रस्ताव कानून मंत्रालय को भेजा है जिसमें शिकायत दर्ज कराने की समयसीमा बढ़ाने या हटाने पर विचार करने का आग्रह किया गया है।
सूत्र बताते हैं कि अभी हाल ही में प्रस्ताव कानून मंत्रालय को भेजा गया है। बताते चलें कि अपराध प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 468 अपराधों की शिकायत दर्ज करने की समयसीमा बताती है। ये धारा मोटे तौर पर तीन साल तक की सजा हो सकने वाले अपराध में शिकायत कराने की समयसीमा तय करती है। गंभीर अपराध में कोई समयसीमा नहीं है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि तीन साल तक की सजा के अपराध में छेड़खानी जैसे अपराध आते हैं जिनमें समयसीमा लागू होगी।
जो बातें अंतर्मन पर असर छोड़ दें उन मामलों में सीमा बढ़नी ही चाहिए। ऐसे प्रावधान का स्वागत होना चाहिए, लेकिन इस पर विचार करते वक्त दुरुपयोग का पहलू भी देखना होगा - पूर्व जज प्रेम कुमार।
बचपन में यौन उत्पीड़न का शिकार बच्चा बड़े होने पर करा सके शिकायत
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय इस पर भी विचार कर रहा है कि अगर कोई बच्चा बचपन में यौन उत्पीड़न का शिकार होता है तो वह वयस्क होने पर उसकी शिकायत दर्ज करा सके। अभी मौजूदा पास्को कानून सिर्फ 18 वर्ष तक के बच्चों पर लागू होता है।
मंत्रालय विचार कर रहा है कि कानून में ऐसा प्रावधान किया जाए जिससे कि बच्चा 25 वर्ष या कुछ और अभी आयु तय नहीं है, का होने तक अपने साथ हुए अपराध की शिकायत दर्ज करा सके। हालांकि अभी ये प्रस्ताव कानून मंत्रालय को नहीं भेजा गया है इस पर फिलहाल महिला बाल विकास मंत्रालय में ही मंथन चल रहा है।