बालकों के दुष्कर्मियों की भी अब खैर नहीं, फांसी की तैयारी
अब सरकार बालकों को भी यौन शोषण से बचाने और उनके साथ दुराचार करने वालों को फांसी की सजा देने का इंतजाम कर रही है।
नई दिल्ली (माला दीक्षित)। बारह वर्ष से कम उम्र की बच्चियों के साथ दुष्कर्म में फांसी की सजा का प्रावधान तो सरकार ने पहले ही कर दिया था लेकिन आइपीसी में हुए संशोधन से यौन शोषण का शिकार होने वाले बालक छूट गए थे। अब सरकार बालकों को भी यौन शोषण से बचाने और उनके साथ दुराचार करने वालों को फांसी की सजा देने का इंतजाम कर रही है। इसके लिए लड़की-लड़कों दोनों यानी बच्चों को यौन उत्पीड़न से बचाने के बाल यौन उत्पीड़न संरक्षण कानून (पोक्सो) में संशोधन किया जा रहा है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने पोक्सो में संशोधन कर बच्चों से दुष्कर्म और कुकर्म करने वालों को फांसी की सजा का प्रस्ताव कानून मंत्रालय को भेजा है। इतना ही नहीं मंत्रालय ने कानून में संशोधन का मसौदा तैयार कर लिया है और उसे अंतर मंत्रालयी विचार विमर्श के लिए मंत्रालयों को भेजा गया है।
गत अप्रैल में क्रिमिनल ला संशोधन अध्यादेश आया था जिसमें 12 वर्ष से कम उम्र की बच्चियों के दुष्कर्मियों को फांसी का प्रावधान किया गया है। उस अध्यादेश में आइपीसी में दी गई दुष्कर्म की सजा को भी बढ़ाया गया है। उस समय सवाल उठा था कि बच्चियों से दुष्कर्मियों को तो फांसी का प्रावधान हो गया लेकिन बालक भी यौन उत्पीड़न का शिकार होते हैं उनके लिए क्या। महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने तभी कहा था कि सभी बच्चों को इससे बचाने के लिए जेन्डर न्यूट्रल कानून पोस्को में संशोधन किया जाएगा।
पोस्को कानून में प्रस्तावित संशोधन अगर कानून की शक्ल लेते हैं तो ये पहला मौका होगा जबकि सिर्फ बच्चियों नहीं बल्कि बालकों का यौन शोषण करने वालों के लिए भी मौत की सजा मुकर्रर हो सकेगी। इस कानून की दूसरी खासियत ये है कि इसमें कही भी पीड़ित की उम्र का जिक्र नहीं है। कानून बच्चे के यौन उत्पीड़न से संरक्षण का इंतजाम करता है और इसमें 18 वर्ष तक बच्चा माना गया है।
मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि पोस्को कानून की कई धाराओं 4,5,6,9 और 15 में संशोधन का प्रस्ताव है। धारा 6 एग्रीवेटेड पेनीट्रेटिव सैक्सुअल असाल्ट पर सजा का प्रावधान करती है। अभी इसमें न्यूनतम 10 वर्ष की कैद तय है जो कि बढ़कर उम्रकैद व जुर्माना तक हो सकती है। प्रस्तावित संशोधन में न्यूनतम 20 वर्ष की कैद जो बढ़ कर जीवन पर्यन्त कैद और जुर्माने होने के अलावा मृत्युदंड तक का प्रावधान किया गया है।
धारा पांच में संशोधन करके जोड़ा जाएगा कि अगर यौन उत्पीड़न के दौरान बच्चे की मृत्यु हो जाती है तो उसे एग्रीवेटेड पेनीट्रेटिव सैक्सुअल असाल्ट माना जाएगा। इसके अलावा प्राकृतिक आपदा के शिकार बच्चे का यौन उत्पीड़न भी इसी श्रेणी का अपराध माना जाएगा। धारा चार में संशोधन करके 16 साल से कम उम्र के बच्चे के साथ पेनीट्रेटिव सैक्सुअल असाल्ट में न्यूनतम सात साल की सजा को बढ़ा कर न्यूनतम दस साल कैद करने का प्रस्ताव है जो कि बढ़ कर उम्रकैद तक हो सकती है। पैसे के बदले यौन शोषण और बच्चे को जल्दी बड़ा करने के लिए हार्मोन या रसायन देना भी एग्रीवेटेड सैक्सुअल असाल्ट माना जाएगा। धारा 15 में संशोधन होगा जिसमें बच्चों की पोर्नोग्राफी से संबंधित सामग्री एकत्रित करने पर न्यूनतम तीन साल की सजा का प्रावधान किया जा रहा है इससे ये धारा गैर जमानती अपराध की श्रेणी में आ जाएगी।