Covid-19: शहरों की घनी बस्तियों में कोरोना से निपटने के लिए नियुक्त होंगे कमांडर
सरकार ने शहरों की घनी बस्तियों में कोरोना वायरस के प्रसार की रोकथाम के लिए अब स्थानीय नेताओं और धर्मगुरुओं का सहारा लेने का फैसला किया है।
नई दिल्ली, एजेंसी। सरकार ने शहरों की घनी बस्तियों में कोरोना वायरस के प्रसार की रोकथाम और नियंत्रण के लिए अब स्थानीय नेताओं और धर्मगुरुओं का सहारा लेने का फैसला किया है। ये लोग अपने क्षेत्रों में लोगों को लॉकडाउन के नियमों का सही तरीके से पालन करने के लिए समझाएंगे। साथ ही बीमारी की गंभीरता को लेकर भी उन्हें जागरूक करेंगे। सरकार को लगता है कि स्थानीय लोग इनकी बातें आसानी से समझ जाएंगे, क्योंकि स्थानीय नेताओं पर वो ज्यादा भरोसा करते हैं।
शहरी बस्तियों में हालात से निपटने के लिए कमांडर नियुक्त करने का फैसला
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से जारी नए दिशानिर्देशों में यह भी कहा गया है कि शहरी बस्तियों में एक विशेष कमांडर नियुक्त किया जाएगा। उसे बस्ती में महामारी के प्रकोप की स्थिति में जरूरी व्यवस्था लागू करने के लिए योजना, संचालन, रसद और वित्त का काम सौंपा जाएगा। वह उस क्षेत्र के नगर आयुक्त को रिपोर्ट करेगा।
घनी बस्तियों में शारीरिक दूरी और आइसोलेशन को लागू कर पाना चुनौतीपूर्ण काम
दिशानिर्देशों में कहा गया है कि शहरों की घनी बस्तियों में, जहां छोटे-छोटे कमरों में एक साथ कई लोग रहते हैं, कोरोना जैसी महामारी फैलने पर शारीरिक दूरी और आइसोलेशन को लागू कर पाना चुनौतीपूर्ण काम है। इसलिए शहरी निकायों को पहले से ही ऐसे हालात से निपटने के लिए पूरी तैयारी कर लेने की जरूरत है। इसी क्रम में सामुदायिक नेताओं को भी जागरूकता अभियान में शामिल करने का सुझाव दिया गया है। इसमें कहा गया है, 'आबादी में कोविड-19 को लेकर जागरूकता फैलाने में सामुदायिक समूह बहुत अहम है।
स्थानीय नेताओं की बातें आसानी से समझ जाएंगे घनी बस्तियों में रहने वाले लोग
कोविड-19 की रोकधाम और नियंत्रण से जुड़े सभी पहलु के बारे में लोगों को समझाने के लिए स्थानीय (राजनीतिक, धार्मिक और वैचारिक) नेताओं का इस्तेमाल बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि लोग इन पर ज्यादा भरोसा करते हैं।'
देश के 30 नगर निगम क्षेत्रों में कोविड-19 के 80 फीसद मामले हैं
देश के 30 नगर निगम क्षेत्रों, जहां कोविड-19 के 80 फीसद मामले हैं, के लिए जारी दिशानिर्देशों में कहा गया है कि विशेष कमांडर के नेतृत्व में एक समन्वय समिति गठित की जाएगी, जिसमें स्वास्थ्य, महिला व बाल विकास विभाग के सदस्य, निर्वाचित प्रतिनिधि और इस क्षेत्र में काम कर रहे गैर सरकारी संगठन के सदस्य होंगे। यह समिति लोगों को जागरूक करने के साथ ही उन्हें बीमारी को लेकर भ्रांतियों और झूठी खबरों के प्रति भी सचेत करेगी।